चोल साम्राज्य से चले आ रहे सत्ता परिवर्तन के प्रतीक चिन्ह 'सेंगोल' को नए संसद भवन में प्रस्थापित करना, किसी एतिहासिक- फिल्म की अवधारणा जैसा है!

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By Sharad Rai
चोल साम्राज्य से चले आ रहे सत्ता परिवर्तन के प्रतीक चिन्ह 'सेंगोल' को नए संसद भवन में प्रस्थापित करना, किसी एतिहासिक- फिल्म की अवधारणा जैसा है!
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इस समय देश के राजनैतिक, सामाजिक गलियारों की तरह  फिल्म वालों में भी नए संसद भवन के उद्घघाटन को लेकर चर्चा है. फिल्मी शौकीन तो फिल्म PS1 और PS 2 की चर्चा करने में लग गए हैं. फिल्म 'पोनियिन सेलवन' सीरीज में   चोल साम्राज्य के सत्ता संघर्ष की कहानी दिखाई गई है और यही वो काल है जबसे सेंगोल के चलन की जानकारी सामने आई है. दरअसल संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास स्थापित होने वाला राजदंड 'सेंगोल' चोल साम्राज्य से स्थान्तरित होते हुए देश की बनी नई संसद भवन तक पहुचा है. जिसकी कहानी कम ही लोगों को पता है.गृहमंत्री अमित शाह के मुताविक आज़ादी के 75 साल बाद देश को यह अवसर मिल रहा है जब देश का राजदंड नए संसद भवन में सुशोभित हो रहा है.अपने देश की सांस्कृतिक धरोहर व परंपरा निर्वाह करने की सोच के तहत यह ख्याल प्रधान मंत्री को आया है.

65000 वर्ग मीटर में बने, 1200 करोड़ लागत से नव निर्मित भारत के नए बने संसद भवन में सेंगोल एक खास आकर्षण के रूप में प्रस्थापित हो रहा है.सेंगोल एक तमिल शब्द है जिसका मतलब है नियम परिपालन. इसे संपदा सम्पन्न राष्ट्र के प्रतीक राज दंड के रूप में सत्ता हस्तांतरण के वक्त स्वीकार किया जाता है. जिसके शीर्ष पर नंदी विराजमान हैं. ऐसा माना जाता है कि सत्ता का हस्तांतरण आध्यत्मिक परंपरा से होना चाहिए. आठवीं सदी में चोला साम्राज्य के समय से यह परंपरा चल रही है. जब अंग्रेज देश को आज़ादी देकर वापस जा रहे थे, अंग्रेजी सत्ता के आखिरी वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से पूछा था कि शाशन-हस्तांतरण का तरीका क्या रहे? नेहरू जी भी अनभिज्ञ थे, इसपर मंत्रणा किया गया और जिम्मेदारी सी. 

राजगोपालचारी जी को दी गयी. जो तमिलियन थे और जिनको राजा जी कहा जाता था, वे ग्रंथों से जानकारी इकट्ठा किए एक प्रारूप बनाए और सेंगोल एक राजदंड के रूप में तमिलनाडु से बनकर दिल्ली लाया गया. 14 अगस्त 1947 को रात 10 बजकर 45 मिनट पर लार्ड माउंटेन बेटन  ने इसको नेहरू जी को सौंपा जो भारत के पहले प्रधान मंत्री बने थे. तदुपरांत सेंगोल को इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया गया था. अब आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में तैयार हुए नए संसद भवन में सेंगोल को तमिलनाडु से आए विद्वान लोगों के अधिनम द्वारा प्रधानमंत्री स्वीकार करेंगे. 5 फिट ऊंचाई के चांदी से बने खम्भ पर सोने की परत चढ़े  सेंगोल के शीर्ष पर 'नंदी' विराजमान हैं. 

नए संसद भवन के उदघाटन के अवसर पर देश के सभी सांसदों को सचिव भारत सरकार की तरफ से निमंत्रण गया हुआ है. इस मौके पर फिल्म इंडस्ट्री से भी बहुत से चेहरे होंगे.लोक सभा और राज्य सभा मे बॉलीवुड, साउथ फिल्म इंडस्ट्री और बंगाल फिल्म इंडस्ट्री के अलावा भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री  से भी कई पर्दे के चमकते चेहरे हैं. ये सभी माननीय लोग जो वहां उपस्थित होंगे सेंगोल प्रस्थापना के साक्षी बनेंगे...    पूरा माहौल किसी फिल्म की अवधारणा को साकार करता सा होगा. जय हिंद!

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