मायापुरी अंक 01.1974
जब चार-पांच दिन लगातार राजकपूर ने ऋषि को नही देखा तो उनकी चिंता बढ़ी। एक दिन बहुत सुबह जब ऋषि से राज का सामना हुआ तो उनसे पूछा, ये रात-रात भर कहां गायब रहते हो बर्खुरदार पांच दिन में आज तुम्हारी सूरत देखी है।
आजकल काम बहुत है पापा जी तीन-तीन शिफ्टों में शूटिंग करनी पड़ रही है। जब सुबह मैं घर से निकलता हूं तो आप सोए हुए होते है। रात को घर देर से आता हूं तब तक आप सो जाते हैं, इसीलिए आपको यह शिकायत का मौका मिला, ऋषि ने नम्रता से कहा।
‘ठीक है बेटे, मगर अपनी सेहत का तो ध्यान रखो, राज ने मुस्कुरा कर ऋषि की पीठ थपथपाई। अपने होनहार बेटे को काम के प्रति इतना ईमानदार देखकर उनकी छाती फूल गई थी।