मायापुरी अकं 4,1974
जिन पाठकों को लवलीन की फिल्म ‘जान हाजिर है’ का नाम कुछ विचित्र लगा हो, उन्हें हम एक फिल्म का विचित्र नाम बतायेंगे। फिल्म है कॉमेडियन मोहन चोटी की ‘धोती, लोटा और चोपाटी’ (हमारे ख्याल से ‘धोती, लोटा और मैदान’ ज्यादा बेहतर नाम होता। कम से कम वह नाम ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ के साथ लय में तो है हमने अपने ख्याल की चर्चा मोहन चोटी से की तो उसने विनम्र होकर कहा गुरु मैं एक छोटा-सा आदमी हूं मनोज कुमार नही मनोज साहब पान खाकर थूक दें तो दस मोहन चोटी पैदा हो जाए इस नाम की (फिल्म के नाम की, मोहन चोटी के नाम की नही) एक कहानी है जब आदमी बम्बई आता है तों उसके पास एक धोती (कुर्ता) और लोटा (बर्तनों में लोटे जैसी मामूम चीज का इतना महत्व बात जमी नही) होता है। वह फुटपाथ पर सोता है और चौपाटी से अपना जीवन आरंभ करता है। यह मेरे अपने जीवन की कहानी है (बस बधु. यही पर नये-नये निर्माता मात खा जाते है। दर्शक फिल्म में आपकी कहानी नही, अपनी कहानी देखना चाहते है। राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ मैं अपना दुखड़ा रोकर क्या कमा लिया?