मायापुरी अंक 3,1974
आशा पारिख कल टॉप की हीरोइन मानी जाती थी. लेकिन आज हरबार हिट फिल्म देने के बाद भी वह फिल्मों से गायब सी होकर रह गई है। फिल्मिस्तान में उससे मुलाकात हुई तो हमने पहला प्रश्न यही किया।
‘आशा जी कटी पतंग और ‘हीरा’ जैसी हिट फिल्में देने के बाद भी आप परदे पर कम दिखाई दे रही है इसका क्या कारण है ?
‘नई हीरोइनों की एक बाढ़ सी आ गई है और उसकी वजह से कपड़े उतार कर अभिनय करने का मुकाबला शुरू हो गया है। फिल्म में अभिनय की जगह अंग प्रदर्शन ने लेली है। इसीलिए ऐसी ही फिल्में अधिक बनने लगी है और मैं इस टाइप की फिल्मों से सदा दूर रही हूं आशा ने कहा।
‘लेकिन सब ऐसी फिल्म तो नही बनाते। अच्छी फिल्में भी तो बनती है? हमने कहा।
‘लेकिन कितनी ? गिनती की चन्द जो उंगलियों पर गिनी जा सकती है आशा ने कहा। दरअसल मैंने शुरू से 4-5 से अधिक फिल्में कभी नही की. इसीलिए ‘आराधना और ‘सीता और गीता’ जैसी फिल्मों से हाथ धोने पड़े’
‘क्या आपके साथ अन्याय करने का कारण नासिर हुसैन नही है. जिनकी हर फिल्म में आप हीरोइन होती थी. किन्तु अब वह भी दूसरी लड़कियों को लेने लगे है ! क्या संबंध ठीक नही है ? हमने पूछा.
‘हमारे ताअल्लुकात पहले की तरह दोस्ताना है. नासिर साहब ने मेरे बिना सिर्फ एक ही फिल्म बनाई है, उसका किरदार मुझे सूट नही करता था. इसलिए बाहर की लड़की को लिया था, आशा पारिख ने स्वंय को समझते हुए कहा।