मायापुरी अंक 16.1975
कश्मीर की रंगीन वॉदियों में जाकर अगर किसी की तबीयत रंगीन हो जाए तो मैं समझता हूं, मामूली बात है।
हाल ही में बी.आर चोपड़ा की फिल्म ‘जमीर’ की शूटिंग कश्मीर में हुई। सब लोग श्री नगर के मशहूर होटल ओबेराय में ठहरे। अमिताभ बच्चनजया भादुड़ी के बगैर थे और सायरा बानो भी अकेली ही थी। वैसे भी दिलीप कुमार सायरा के साथ शूटिंग पर नही जाते हैं। और उस समय वह दिल्ली के एक होटल में अपनी अगली फिल्म के बारे में मथापच्ची कर रहे थे।
कश्मीर की हवा ने लम्बू और सायरा को रोमांचित कर दिया। दोनों हर समय इकट्ठे दिखाई देने लगे। शूटिंग के समय और बाद में भी यूं ही एक शाम को, ओबरॉय होटल के लॉन में (यहां हर मेज के ऊपर रोशनी के लिए लैम्प लगे हुए है) वे दोनों एक अंधेरा कोना ढूंढ कर बैठ गए और न सिर्फ अपने बल्कि आसपास के मेजों की रोशनी भी अमिताभ ने गुल कर दी।
एक वेटर की बदकिस्मती कहिये कि उसने वहां पर आकर पास के एक मेज की रोशनी जला दी।
सायरा और अमिताभ दोनों अपनी ही दुनिया में खोये हुए थे रोशनी देखकर चौके। अमिताभ ने जब देखा की यह गुस्ताखी एक मामूली वेटर ने की है तो उसका मुंह गुस्से से लाल हो गया और ऐसे बोले जैसे उसे गोली मार देंगे“क्या चाहिए आपको ?
वेटर की घिघ्घी सी बन्ध गई-वह बिना कुछ बोले ही जल्दी से घूमकर गायब हो गया।