महेश भट्ट कैंप एक ऐसा स्कूल है जंहा से प्रोडशन, डायरेशन तथा एक्टिंग तीनों क्षेत्रों से प्रतिभायें बाहर आती रही है । य और बात हैं एक ये एक ऐसा स्कूल है जंहा तकनीकी पक्ष के लोग इसी परिवार के होते हैं । जैसे विक्रम भट्ट, मोहित सूरी तथा विशेष भट्ट । अब इन्हीें में एक नाम और जुड़ गया है । वो निर्देशक करण दारा । करण बतौर निर्देशन फिल्म ‘खामोशियां’ से डेब्यु किया हैं । इस फिल्म को लिखा है विक्रम भट्ट ने और प्रडयूस किया हे मुकेश भट्ट ने ।
अब जरा ये भी बता दिया जाये कि करण का भट्ट परिवार से क्या रिश्ता है । महेश भट्ट की माता जी और करण की नानी दोनों सगी बहने हुआ करती थी । इस तरह करण एक तरह से दूर का ही सही लेकिन भट्ट परिवार की चौथी पीढ़ी का सदस्य हुआ न । बतौर करण मैं शुरू से ही लेखक बनना चाहता था । इसलिये मेरी मुलाकात मोहित सुरी से हुई तो उसने मुझे अपना एडी बनने का ऑफर दिया जिसे मैने मान लिया । उस वक्त तक मैं महेश जी से मिला तक नहीं था और न ही वे मुझे जानते थे । राज टू की सिटींग में मेरा उनका सामना हुआ तो पहले उन्होंने मुझै कोई एक्टर समझा लेकिन जब मोहित ने मेरा परिचय दिया तो उन्होंने कहा पीछे के दरवाजे से क्यों आये, सामने से आना था । खैर इसके बाद मैने मोहित के साथ चार पांच फिल्में बतौर एडी की । और अब मैं इस फिल्म से स्वतंत्र निर्देशक बन चुका हूं । यहां पूरी फिल्म के दौरान महेश भट्ट और विक्रम भट्ट एक शुभ चितंक की हैसियत से मेरे दांये बांये ही खड़े रहे ।
भट्ट कैंप की चौथी पीढ़ी का निर्देशक करण दारा
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