बोमन इरानी एक ऐसे वाहिद अदाकार हैं जो हर प्रकार की भूमिकाओं में घुल मिल जाते हैं। कॉमेडी हो, सीरियस या फिर निगेटिव। हर तरह के रोल वे बहुत सहजता से निभा जाते हैं। इस बार उन्होंने फिल्म ‘संता बंता’ में एक अलग तरह की कॉमेडी की है।
जब उनसे फिल्म के बारे में बात की तो उनका कहना था कि संता बंता कोई जोक्स की किताब नहीं है न ही इसका फिल्म के किरदारों से कोई लेना देना है यहां दो किरदार हैं जिनका नाम संता बता है और ये तो यह दोनों जासूस बनना चाहते हैं। हां इनके नाम राशि देश की सर्वोच्च जासूसी संस्था रॉ में भी काम करते हैं जो क्राईम के केस सॉल्व करते हैं यानि जब भी कोई क्राइम होता है उसके लिये उन्हें भेजा जाता है। हाल ही में फिल्म के टाइटल को लेकर पंजाब में फिल्म पर बैन लगा दिया गया था लेकिन जब लगा कि वह केस ही गलत था तो उस याचिका को डिसमिस कर दिया गया। फिल्म में संता बंता यानि दोनों ही किरदार बहुत अच्छे हैं वे एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं और हमेशा किसी भी क्राइम को सॉल्व करने के लिये तैयार रहते हैं। बोमन का कहना है फिल्म तो फिल्म है बस उसके किरदार अलग होते हैं जैसे मुन्ना भाई… या थ्री इडियट्स में मेरे कॉमेडी किरदार थे परन्तु इस फिल्म मे मैं पहली दफा जासूस बनकर कॉमेडी कर रहा हूं यहां मेरा एक तरफा बिल्लो यानि नेहा धूपिया से प्यार भी है। वो गाने भी गाता है, डांस भी करता है।

इन सब के बावजूद पहले मैंने कहानी सुनी और फिर अपना रोल। इसके बाद जब मुझे मेरे जोड़ीदार बंता के बारे में बताते हुये कहा कि उस रोल को वीरदास निभाने जा रहे हैं। वीरदास का नाम मुझे बिलकुल सही लगा। दरअसल जिस तरह की ये जोड़ी है उस के मुताबिक वीरदास मुझसे कहीं ज्यादा जवान हैं तथा कद में भी वह मुझसे छोटा है। इसके अलावा उसका कैरेक्टराइजेशन और अंदाज मुझसे बिलकुल अलग है। रोल्स भी यही डिमांड कर रहे थे। फिल्म के अन्य कलाकारों में विजयराज, संजय मिश्रा के अलावा जब आकाशदीप ने जॉनी लीवर का नाम लिया तो फिर फिल्म न करने का सवाल ही नहीं पैदा होता था। मेरा मानना है कि जॉनी भाई जैसे नेक, डाउन टू अर्थ और भले इंसान बॉलीवुड में न के बराबर हैं, दूसरे उन जैसे कलाकार से आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। मैं हर फिल्म जिसमें मैं उनके साथ काम कर रहा होता हूं। उनसे बहुत कुछ पूछता रहता हूं हर बार उनके साथ काम करते हुये बहुत मजा आता है।

लोग सोचते हैं कि मैने स्टैंडअप कॉमेडी की है। ऐसा नहीं हैं मैने थियेटर में कॉमेडी काफी की है। मेरा मानना है कि स्टैंडअप कॉमेडियन को एक्टर भी होना चाहिये क्योंकि कोई भी स्टैंडअप कॉमेडियन एक्टर नहीं बन सकता। हम वीरदास का उदाहरण लेते हैं वो स्टैंडअप कॅामेडियन के अलावा बहुम उम्दा एक्टर भी हैं। मेरा मानना है अगर स्टैंडअप कॉमेडी में कपिल शर्मा जैसा एक्टर है तो वो कॉमेडी को कहां से कहां ले जा सकता है। मैं उस समय की बात कर रहा हूं जब कपिल आज का कपिल नहीं था। उसे लेकर मेरे पास एक किस्सा है। एक बार हांगकांग में मैं किसी डिनर पार्टी का हिस्सा बन उस वक्त वहां के काउंसिल जनरल के साथ खड़ा बातें कर रहा था, उसी दौरान मेरे कानों में एक आवाज आई मैने उधर देखा तो स्टेज पर एक आदमी कुछ ऐसी बातें कर रहा था जिन्हें सुनकर मेरा ध्यान भी उस की बातों की तरफ चला गया। कछ देर बाद मैं कांउसिल जनरल बातें कर रहा था लेकिन मेरा पूरा ध्यान स्टेज पर बोल रहे शख्स की तरफ लगा हुआ था। एक बार उसने पता नहीं क्या कहा, मैं जिसे सुनकर जोर से हंसने लगा, मैंने देखा काउंसिल जनरल मेरी तरफ अजीब नजरों से देख रहा था। मैंने उनसे माफी मांगी और फिर स्टेज की और इशारा करते हुये कहा माफ कीजिये मैं बात आपसे कर रहा हूं लेकिन शुरू से उस शख्स की बातें मुझे प्रभावित कर रही हैं। मैंने देखा वह शख्स जितना नैचुरल था उसकी बातें भी उतनी ही नैचुरल थी, जिन्हें वह स्वीटली स्माईल कर कह जाता था। वह कपिल शर्मा था। जिसे बाद में मैं बैक स्टेज मिलने गया और उसकी तारीफ की। बाद में दो बार मुझे कपिल के शो ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ में भी जाने का मौका मिला।