चच्चा फिल्मी सिर्फ नाम के फिल्मी नहीं हैं, उनका खड़कता, हिचकौले खाता जिस्म भी फिल्मों की तरह बॉक्स ऑफिस पर हिलता जुलता रहता है। उनका रंग भी फूजी कलर से इस्टमेन कलर होता रहता है। आज सवेरे हाथ में नीम का दातुन लिये, बनियान व लुंगी के साथ वो पूरे मौहल्ले में कुलाचें भरते फिर रहे थे। लुंगी भी बिल्कुल साउथ फिल्मों के हीरों की तरह।
“क्या बात है चच्चा, साउथ की फिल्मों में काम करने जा रहे हो
क्या ?” मैनें उनकी निमोड़ी थूक से बाल बाल बचते हुए कहा।
“सही जा रहे हो मियां.. पहली मर्तबा एक राइटर ने सही जुगाली की है। सही थूकदान में पीक का निशाना लिया है। “चच्चा नीम की जुगाली से मेरी दीवार पर ऑटोग्राफ देते हुये पिनपिनाए।
“यानि वाकई साउथ सिनेमा वालों का बुरा वक्त आ गया है जो वो आपको फिल्मों में ले रहे हैं ?” मैं हकबका कर बोला।
चच्चा ने लुंगी में लिपटी तुड़ी-मुड़ी जंग खाई सिगरेट निकाली और स्टाइल से उछाला। सिगरेट सीधी उनकी आंख में जाकर बिलबिलाई।
“मियां.. माइण्ड इट.. रजनीकांत ने कल मेरे को फोन किया बोला.. उसकी ‘लिंगा’ फिल्म में उसको सोनाक्षी सिन्हा के साथ एक डेशिंग हीरो मांगता है” वो मेरे को रोल ऑफर किया.. अई अई ओ.. चच्चा फिल्मी और सोना करेगें.. आपुड़िया” चच्चा फिल्मी ने तमिल स्टाइल में बोलने का असफल प्रयास किया।
“पर चच्चा, कहां तुम.. कहां रजनीकांत.. कहां सोनाक्षी सिन्हा.. बात कुछ हज्म नही हुई ?” मैं पूरी तरह बगबगा के बोला।
“क्या बात करते हो कलमसाज, लुंगी पहन ली है बस चश्मा और सिगरेट की प्रैक्टिस कर रहा हूं.. फिर रजनीकांत में ऐसा क्या है जो मुझमें नही.. देखते जाना.. मैं सबकी छुट्टी कर दूंगा” चच्चा चश्मे को हाथ से घुमा कर नाक पर बिठाने की कोशिश करते लुंगी हिलाते पतली गली में निकल लिए।
मैं सोच में पड़ गया। क्या वाकई सिर्फ लुंगी डांस करने से या स्टाइल दिखाने से कोई रजनीकांत बन सकता है। रजनीकांत जैसे कलाकार बरसों में जन्म लेते हैं। उनके फैंस उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। और वो इतने सरल हैं कि फिल्मों के होने के बावजूद नकली रूप बनाकर नहीं रहते । जैसा दिखते हैं वैसे ही आप जिंदगी में नजर आते हैं।
चच्चा फिल्मी जैसे लाखों लोग उनकी नकल तो कर सकते हैं पर उनके जितनी काबिलियत सात जन्मों तक नहीं पा सकते।
(लेखक हरविन्द्र मांकड़)