रेटिंग*
आमिर खान के भाई फैसल खान को लेकर कश्मीर की पृष्ठभूमि पर आधारित ‘चिनार दास्तान ए इश्क’ के निर्देशक शारीक मिन्हास ने वही घिसी पिटी प्रेम कहानी को बहुत ही साधारण तरीके से दर्शाया है।
कहानी
जमाल यानि फैसल खान एक गरीब कश्मीरी है वो अपने मौहल्ले में रहने वाली लड़की सुरैया यानि इनायत शर्मा से प्यार करता है लेकिन किसी मजबूरी में सुरैया को सलाम साहब यानि प्रमोद माउथो से निकाह करना पड़ता है। जमाल जब इस बात का विरोध करता हैं तो सलाम उसे अपने आदमियों से पिटवाकर बाहर फिकवा देता है। इस हादसे में उसकी मां मारी जाती है। इसके बाद जमाल पहले अपने आपको ताकतवर बनाता है इसके बाद वो पहले तो सलाम का कत्ल करता है। इसके बाद अपने हमदर्द का निकाह अजीज सिनेमा खान यानि दिलीप ताहिल की बेटी से करवाता है। इस वजह से अजीज खान और ख्वाजा साहिब यानि शहबाज खान उसके दुश्मन हो जाते हैं। जमाल सुरैया को बेवफा मानते हुये अपने प्यार का दुश्मन मानता है इसलिये उसे अंत तक माफ नहीं करता लेकिन जब सुरैया अपने पति सलाम के कत्ल का इल्जाम खुद ले लेती हैं तो वह कोर्ट में अपना गुनाह कुबूल कर लेता है।
बाद में उसे फांसी हो जाती है। जमाल के मरने के बाद अजीज खान अपनी बेटी और दामाद का कत्ल कर देता है लेकिन सुरैया उसकी नाती को बचा लेती है और उनके बड़े होने पर उनका निकाह करवाना चाहती है लेकिन जब अजीज वहां आ जाता है तो सुरैया उसे मारकर खुद भी मारी जाती है ।
निर्देशन, अभिनय तथा संगीत
जैसा कि पहले भी कहा गया है कि फिल्म का हर पक्ष कमजोर है। चाहे वो पटकथा हो या संवाद हो या फिर संगीत हो। अभिनय की बात की जाये तो फैसल खान पूरी तरह से अभिनय शून्य हो चुके हैं। शक्ल से वे अभी भी बीमार और हताश लगते हैं। इनायत खान तथा अन्य दूसरे नये चेहरे भी नौसिखिये साबित हुये है। बस दिलीप ताहिल, शहबाज खान तथा प्रमोद माउथो जैसे जाने पहचाने चेहरे भी बस खाना पूर्ति करते दिखाई देते हैं ।
क्यों देखें
कश्मीर की पृष्ठभूमि पर अभी तक बेशुमार फिल्में बनी हैं। जिनमें कुछ बेहतरीन साबित हुई तो कुछ बेहद खराब। ये फिल्म खराब फिल्मों में शूमार की जाती है। लिहाजा इस बोरियत भरी दास्तान की तरफ तो दर्शक भूलकर भी रूख नहीं करेगा।