मायापुरी अंक 17.1975
मोहन स्टूडियो के मैकअप रूम में रूपेश कुमार से भेंट हुई। एक जमाने में वह बड़े धूम-धड़ाके के साथ इंडस्ट्री में आये थे किन्तु न मालूम कैसी हवा चली कि बाजी ही उतर गई। वह खलनायक से ‘प्रभात’‘बाजीगर’‘प्लेबॉय’ में हीरो बने और अब फिर खलनायक बन गये हैं। हमने इसी बात को लेकर बातचीत शुरू की।
“रूपेश जी आपने खलनायक से हीरो की ओर छलांग मारने के पश्चात फिर से खलनायक के रोल लेने क्यों शुरू कर दिए?”
मैंनें कभी किसी खास किस्म के पात्र अभिनीत करने का आग्रह नही किया मैं तो केवल रोल प्ले करने में विश्वास रखता हूं चाहे हीरो का रोल हो या खलनायक का या हीरोइन के बाप का ही रोल क्यों न हो। ‘प्लेबॉय’ में मैं अब भी हीरो हूं। फिल्म पूरी हो चुकी है और मार्च तक प्रदर्शन की आशा है। ‘जीने के लिए’ मैं भी मैं हीरो हूं और प्रेमा नारायण हीरोइन है” रूपेश ने बताया, “मैं अपने हर रोल में कुछ न कुछ नया पन देने की कोशिश करता हूं। फिल्म शहर से दूर मैं मैनें सिच्युएशन के हिसाब से पूरी फिल्म में शेर पढ़े है। एक दृश्य में ‘प्लेबॉय’ पत्रिका देखते हुए मैं कहता हूं।
बीसा तेरे लव का मरजे गम की दवा है?
क्यों और को देता हूं बीमार तो मैं हू
इसी तरह के फड़कते हुए शेर मैंने पूरी फिल्म में पढ़े है।“
“आपकी ‘धड़कन’‘प्रभात’ और बाजीगर बॉक्स ऑफिस की आशाओं पर पूरी नही उतरी। इसका क्या कारण है? क्या उनसे आपको कुछ धक्का लगा? हमने पूछा।
“फिल्में तो अच्छी बनी थी। लेकिन बॉक्स ऑफिस पर पूरी क्यों नही उतरी? इसके बारे में क्या कह सकता हूं। रूपेश बोले।
“आप चूंकि मुमताज के कजिन है इसलिए आप से यह जानना चाहूंगा कि इस खबर में कहां तक सच्चाई है कि मुमताज ने पुन: फिल्मों में काम करने का निश्चय किया है और यश चोपड़ा की ‘कभी कभी’ में राखी के साथ वह भी काम करने वाली हैं। मैंने पूछा।
“मुमताज अपनी शादी से बहुत खुश हैं। और आज कल मयूर के पास वापस लन्दन पहुंच चुकी हैं। इस खबर मैं कोई सच्चाई नही है कि वह पुन: फिल्मों में काम करने वाली हैं। यश चोपड़ा की फिल्म में मुमताज नही बल्कि उनकी कजिन नसरीन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।“ रूपेश कुमार ने मुमताज के संबंध में फैली अफवाहों का खंडन करते हुए कहा।