मायापुरी अंक 16.1975
प्रेमनाथ की साल गिरह की पार्टी में रीना राय ही अकेली हीरोइन थी जो खलनायकों में आ फंसी थी। वरना वहां एक से एक घाघ विलेन मौजूद था। सिवाय (हीरो और हीरोइनों के) रीना राय को एक निर्माता बोर कर रहा था। हम मौका देख कर पास जा बैठे। रीना राय ने जैसे चैन की सांस ली हो। बोली कहिए कैसे मिजाज है?
आपको मुबारक बाद देनी थी ‘वरदान’ अच्छा बिजनेस कर रही है। वरना आपकी पिछली फिल्में इतनी अच्छी नही गई थी। खैर यह बताइए, आप आजकल किस किस्म के पात्र अभिनीत कर रही हैं? क्या उनसे सन्तुष्ट है?
एक कलाकार कभी सन्तुष्ट नही होता। किन्तु मुझे तो अभी कोई ऐसा खेल मिला ही नही है। एक कलाकार उसी पात्र से सन्तुष्ट होता है जिसमें उसे भावनात्मक अभिनय करने का अवसर मिले। और ऐसे रोल किस्मत से ही मिलते हैं। फिर भी मुझे अब तक की फिल्मों में ‘वरदान’ का रोल अधिक पसन्द था। आने वाली फिल्मों में सुनील दत्त के निर्देशन में बन रही ‘डाकू और जवान’ का रोल भी पसंद है। उसमें मैं एक गांव की लड़की का रोल कर रही हूं. रीना राय ने बताया।
आपकी ‘जख्मी’ की स्टिल्ज देख कर लगता है कि आप ‘जरूरत’ टाइप सैक्सी रोल ज्यादा पसन्द करती हैं क्या यह सही है? हमने पूछा, हालांकि आपने एक इन्टरव्यू में कहा था कि ‘जरूरत’ टाइप नही करना चाहती।
वह कहानी की मांग है। मुझे कहानी की मांग पूरी करने में कोई आपत्ति नही है किन्तु बिना कारण सैक्स के प्रदर्शन के खिलाफ हूं। मैंने ‘जरूरत’ में जो कुछ दिया उसके बिना कहानी अधूरी ही रह जाती। लेकिन मेंने अपने पर वैसा लेबल नही लगने दिया जैसा कि रेहाना और राधा पर लग गया था। रीना ने कहा।