लिपिका वर्मा
रितेश देशमुख ने हिंदी फिल्म जगत में अपना एक मुकाम तो बना ही लिया है। कॉमेडी जॉनर की फिल्मो से लेकर मराठी फिल्मों में अभिनय से लेकर निर्माण तक की बाग़ डोर सम्भाले हुए है रितेश। हाल ही में उनकी आने वाली फिल्म,”बैंजों” को लेकर रितेश ने हमसे अपने प्रोफेशनल और पर्सनल बातें भी शेयर की-
आपने हम दो और हमारे दो के मध्य नजर एक कॉम्पैक्ट परिवार बने है, कितना समय दे पाते हैं बच्चों को ?
सही कहूँ तो फ़िलहाल मैं आपको उनसे ज्यादा समय दे रहा हूं” हंस कर बोले रितेश। कुछ सोच कर रितेश ने कहा , हम दो और हमारे दो के तहद मेरी एक कॉपेक्ट फॅमिली है और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि जब कभी भी मुझे समय मिलता है तो मैअपने बड़े बेटे को स्कूल से ले आता हूँ। मेरी पत्नी जिनिलिया घर पर रहती है सो वह उन्हें ज्यादा समय दे पाती है किन्तु मेरी भी यही कोशिश रहती है कि जल्द से जल्द काम खत्म कर घर लौटूं।
अपने बच्चो को विरासत में क्या देना चाहते है आप?
देखिये, हम दोनों जिनिलिया और मैं अपनी खुशकिस्मिती समझते है कि हम दोनों के पेरेंट्स ने हमे विरासत में नैतिक मूल्य जो कुछ भी दिए है वही हम अपने बच्चो को देना चाहते है। हमारे बच्चे सकुशल रहे और उनकी सेहत की खुशाली एवम जो कुछ भी नैतिकता से फ़िलहाल हम उन्हें अवगत करवा रहे है , उन सभी को ग्रहण कर वह जीवन में आगे बढे यही हमारे लिए महत्व पूर्ण भी है।
जिनिलिया के साथ आपकी बहुत स्ट्रांग बॉन्डिंग देखी गयी है क्या वह आपके लुक एवम फिल्मों के बारे में भी कुछ सलाह मशवरा करती है ?
जी बिलकुल , जब भी मैं कोई नई फिल्म साईन करता हूँ तो हम उस फिल्म को लेकर कहानी , मेरा चरित्र और मेरे लुक के बारे में सलाह जरूर करते है। यह अलग बात है कि मैं उनकी सलाह से सहमत या असहमत रहूँ। मैं तीन मराठी फ़िल्में कर रहा हूँ -मौली, लेह भारी और छत्रशिवाजी। एक फिल्म मैं प्रोड्यूस कर रहा हूँ। और प्रोडक्शन का कार्य-भार जिनिलिया के जिम्मे ही है। उन्होंने साउथ की कुछ फिल्मों में प्रोडक्शन का कार्यभार सम्भाला है इस लिए वह इस काम में पूर्णतः निपुण है।
आपकी आने वाली फिल्म,”बैंजों”- आपका रील किरदार आपके रियल लाइफ में एट्टीट्यूड और पेमेंट ग्राफ को लेकर कितना मेल खाता है ?
देखिये, हीरोइक एट्टीट्यूड [रवैया ] किसमें नहीं होता है। बैंजों ,एक स्ट्रीट सिंगर है और उसे इस बात का एहसास हो जाता है कई लोग उसके गाने में रूचि रखते है। सो जाहिर सी बात है यदि कोई 10 रुपए दे रहा होता है तो मैं उससे 20 रुपये की डिमांड करूँगा। देखिये, हमारे प्रोफेशन में ही यह डिमांड और सप्लाई का रूल लागू नहीं होता है यह हर एक प्रोफेशन में लागू होता है। मुझे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने अपनाया है यह मेरे लिए बहुत ही बड़ी बात है। मैंने बहुत बेहतरीन फ़िल्में की है और अपना एक मुकाम भी बना लिया है यही मेरे लिए एक ख़ुशी की बात है।
किरदार अमिताभ बच्चन या आमिर खान से प्रेरित है क्या?
यदि हम ऐसा कहें कि ,”हम जहां पे खड़े हो जायें। ..लाइन वहीँ से शुरू होती है” यदि ऐसा लगे फिल्म मं दर्शकों को तो इसका यह मतलब नहीं है कि हमने किसी को कॉपी किया है।यदि किसी को बैंजों – आमिर खान की फिल्म रंगीला जैसी लगे आपको [कहानी या कुछ सीन्स] तो यह आपका देखने का अपना तरीका होगा। हमने सब कुछ अपने ही ढंग से करने की कोशिश की है।