दिल, बेटा और इष्क जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देषक इन्द्र कुमार ने पहले तो ग्रैंड मस्ती जैसी कामेडी बनाकर लोगों को चौंका दिया था और अब उन्होंने एक बार फिर ‘सुपर नानी’ जैसी अधकचरी फिल्म बना कर हैरान कर दिया है । अस्सी के दषक में पारिवारिक फिल्मों की तरज पर बनी फिल्मों ये एक कमजोर कॉपी है ।
रेखा पुराने आचार विचार वाली ऐसी ग्रहणी है जो अपने बच्चों और पति का हर तरह से ख्याल रखती है लेकिन बच्चे और पति आज के माहौल में ढल चुके ऐसे मॉडर्न बन चुके हैं जो रेखा को पुराने विचारों वाली समझते हुये उसे किचन तक सीमित कर देते हैं । उसी दौरान अमेरिका से रेखा का नाती शर्मन जोशी आता है जो अपनी नानी से बहुत प्यार करता है । जब वो नानी को इस हालत में देखता है तो नानी को लेकर ऐसा कुछ करता है कि नानी पूरे परिवार को सोचने पर मजबूर कर देती है । और एक दिन बच्चे और पति उसके आगे झुकने पर मजबूर हो जाते है ।
दरअसल इन्द्र कुमार ने अवतार या बागवान जैसी फिल्मों से इन्सपायर हो सुपर नानी बनाने का विचार किया लेकिन कमजोर कथा और लचर पटकथा ने सब गुड़ गोबर कर दिया । रेखा को इस उम्र में सुपर मॉडल दिखाना बचकाना था फिर उन्होंने अपनी भूमिका को अच्छी तरह निभाया । इसी तरह शर्मन जोशी भी फिल्म को उठाने की कोशिश करते नजर आते हैं । एक्टिंग में रणधीर कपूर तीस साल पहले थे आज भी ऐसे ही हैं । अनुपम खेर एक्टिंग कम बोर ज्यादा करते हैं। माहेरू माहेरू तथा धानी चुनरिया गीत अच्छे बन पड़े है । बावजूद इसके सुपर नानी साधारण बन कर रह गई ।