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देव आनंद और कल्पना कार्तिक की प्रेम कहानी उस वक्त शुरू हुई जब वे "टैक्सी ड्राइवर" की शूटिंग कर रहे थे और धीरे-धीरे एक-दूसरे के करीब आ गए।
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कल्पना कार्तिक, जिनका असली नाम मोना सिंघा था, शिमला की एक सुंदर लड़की थीं जो मुंबई में अपने फिल्मी करियर की तलाश में आईं।
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देव साहब के बड़े भाई चेतन आनंद ने मोना के परिवार को प्रोत्साहित किया और उन्हें देव आनंद के साथ अपनी पहली फिल्म में काम करने का मौका मिला।
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देव आनंद और कल्पना कार्तिक ने "आंधी," "आन," "हमसफर," "टैक्सी ड्राइवर," "हाउस नंबर 44," और "नौ दो ग्यारह" जैसी कई हिट फिल्मों में साथ काम किया।
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"टैक्सी ड्राइवर" की शूटिंग के दौरान दोनों ने शादी करने का फैसला किया और रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर हस्ताक्षर कर दिए, जिसके बाद वे पति-पत्नी बन गए।
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शादी के बाद, कल्पना ने फिल्मों को छोड़ दिया और अपने बच्चों सुनील और देविना के साथ परिवारिक जीवन का आनंद लिया।
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देव आनंद और कल्पना का रिश्ता तब खटास में आया जब देव साहब ने "हरे राम हरे कृष्ण" में ज़ीनत अमान को एक स्टार बनाया।
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देव साहब ने इरिस पार्क छोड़कर "सन एंड सैंड" होटल में रहना शुरू कर दिया और वहीं 20 वर्षों तक रहे।
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देव साहब के निधन के बाद, कल्पना कार्तिक अकेली रह गईं और अब 86 वर्ष की उम्र में देव की यादों और अपने विश्वास के साथ जीवन बिता रही हैं।
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इरिस पार्क में अब एक अजीब सा अंधेरा और सन्नाटा है, जहां मोना मैडम प्रार्थना कर रही हैं और भगवान से बात कर रही हैं।
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