Birth Anniversary Johnny Walker (Badruddin Jamaluddin Kazi): जानिए कैसे बने बस कंडक्टर से एक्टर

60 के दशक की बात है बदरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी इंदोर के एक मुस्लमान परिवार के रहने वाले थे। 15 लोगों का भरा पूरा परिवार था उनका। उस समय गरीबी और भुखमरी के कारण काज़ी अपने परिवार को चलाने के लिए अलग अलग काम किया करते थे। इसके बाद उन्हें बम्बो इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट(BEST) में बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई। वो अपनी नौकरी तो करते साथ साथ यात्रियों का मनोरंजन भी कराते थे। हमेशा खुशमिज़ाज रहने वाले काज़ी टिकट बाटने के साथ साथ लोगों को हँसी भी बाटते थे।
ऐसा ही आम सा एक दिन था काज़ी रोज की तरह उस दिन भी बस में लोगों का मनोरंजन कर रहे थे। उस दिन उसी बस में लेजेंडी अभिनेता बलराज सहानी भी यात्रा कर रहे थे। और अपने एक स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे। काम करते हुए उनका ध्यान काज़ी पर गया। सहानी ने काज़ी से कहा कि तुम गुरू दत्त से जाकर मिलो उन्हें ऐसे ही एक एक्टर की तलाश है।
जब काज़ी, गुरू दत्त के ऑफिस पहुंचे तो गुरू दत्त ने उन्हें एक शराबी का अभिनय करने के लिए कहा। काज़ी ने वो किरदार इतना बखूबी निभाया कि गुरू दत्त ने काज़ी का नाम अपनी फेवरेट व्हिस्की जॉनी वॉकर पर रख दिया। अपने अभिनय से बॉलीवुड इंडस्ट्री पर अमिट छाप छोड़ने वाले जॉनी वॉकर, गुरू दत्त के चहेते बन गए।
इसके बाद से अपने हर फिल्म में गुरू दत्त, जॉनी वॉकर को जरूर रखते थे। जॉनी भी उन्हें अपना गुरू मानते थे। कई फिल्मों में गुरू दत्त ने जॉनी के लिए सीन में फेर बदल किए थे। वैसे तो जॉनी ने लगभग 300 फिल्मों में अभिनय किया है। यहां तक कि उन्होंने ब्लैक एंड वाइड से कलर सिनेमा का सफर तय किया है, लेकिन उनकी कुछ फिल्में जैसे कि बाजी, आर पार, टैक्सी ड्राईवर, mr and mrs 55, CID, प्यासा और नया दौर को कोई नहीं भूल सकता।
जब जॉनी वॉकर फिल्मों में काम करते थे तो उस समय केवल लीड कलाकारों के लिए गाने बनाए जाते थे लेकिन जॉनी के लिए उस समय ओपी नय्यर जैसे मसहुर म्यूजिक कंपोजर ने उनके लिए गाने बनाए जिसे आवाज मोहम्मद रफ़ी साहब ने दी। एक बार की बात है जॉनी वॉकर, गुरू दत्त के साथ कोलकाता में थे तो एक मालिश करने वाले के तरफ इशारा कर गुरू दत्त ने कहा कि जॉनी उस मालिश करने वाले को ध्यान से देखे तुम्हें उसका किरदार निभाना है। और उनका निभाया किरदार और वो गाना “सर जो तेरा चकराए” तो हम आज भी गाते है। वैसे तो हमने हमेशा जॉनी को कॉमेडियन के किरदार में देखा है लेकिन राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म आनंद में उनका इमोशनल किरदार देख आज भी आंखे भर आती है। उनका अभिनय देख सभी दंग रह गए थे।
जब जॉनी वॉकर ने अपने काम से पहचान बना ली तो उन्हें मद्रास(चिन्नई) से फिल्म का ऑफर आया। जब वो फिल्म की शूटिंग के लिए मद्रास पहुंचे तो एटरपोर्ट पर ही पता चला कि उनके भतीजे का देहांत हो गया है। वो पूरे परिवार के साथ रहते थे। और अपने भतीजे के निधन की खबर सुनकर वो वापस लौट गए। जब कुछ महीने बाद वो फिर मद्रास गए तो उन्हें खबर मिली की उनके पिताजी गुजर गए। वो फिर से वापस बॉम्बे लौटे। एक बार फिर जब कुछ महीने बाद जॉनी मद्रास गए तो होटल रूम में पहुंचे, उन्होंने बेग नीचे भी नहीं रखा था कि टेलीफोन बजा, उन्होंने हाथ में पकड़ा बेग रखे बिना फोन उठाया तो खबर आई कि गुरू दत्त नहीं रहे।
इस बात का उन्हें बहुत धक्का लगा और उन्होंने मद्रास जाने से इंकार कर दिया कि कही गए तो पता नहीं कौन सी बुरी खबर आ जाएगी। इसका असर उनके करियर पर भी पड़ा लेकिन वो मद्रास नहीं गए। फिर उन्होंने साल 1996 में कमल हासन की फिल्म चाची चारसोबीस साइन की, उन्हें पता नहीं था कि इस फिल्म के लिए उन्हें मद्रास जाना होगा लेकिन पूरे 14 साल बाद वो फिर मद्रास गए, पूरे फ्लाइट में डरे हुए बैठे रहे, लेकिन खुशी की बात ये हुई कि फिर कोई दुखद खबर नहीं आई। फिल्म में उनका किरदार एक शराबी पेंटर का था। ये आखरी फिल्म थी जिसमें जॉनी नजर आए थे।
29 जुलाई साल 2003 को जॉनी वॉकर दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन उनका निभाया किरदार, उनकी अदाकारी की चर्चा आज भी होती है। उनपर बनाए गए गाने जैसे “ये है बॉम्बे मेरी है”, “मेरा यार बना है दुल्हा”, “जाने कहा मेरा जिगर गया जी” हम आज भी गाते हैं। अपने अभिनय से जॉनी ने अलग अलग तरीके से हंसाया है तो आनंद में बहुत रुलाया भी है। आप हमें हमेशा याद रहोगे।


