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Birthday Special Meenakshi Seshadri: मैं उन्हें बहुत 'बोर' करती हूँ

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By Mayapuri
Birthday Special Meenakshi Seshadri: मैं उन्हें बहुत 'बोर' करती हूँ
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ओल्ड इंटरव्यू

किसी न किसी विषय को लेकर मीनाक्षी शेषाद्री हमेशा चर्चा में रहीं. उनकी फिल्में चलने न चलने से कोई मतलब नहीं है क्योंकि मीनाक्षी शेषाद्री की अपनी 'एक खास जगह है इंडस्ट्री में. किसी भी चीज से अधिक मीनाक्षी शेषाद्री ने अपने आपको महत्त्व दिया. और हर काम वक्‍त पर किया. जैसे फिल्मों में आने के बाद उन्होंने 'ग्रेजुएशन' किया, एम.ए. करना चाहती थीं लेकिन फिल्मों की व्यस्तता से कर नहीं पायी. अब ऐसी वैसी फिल्में न करके वो एम. ए, के लिए वक्‍त निकाल रही हैं. एम. ए. का 'एडमिशन' लेने के लिए वो, 'खुद विद्यार्थियों के साथ लाईन में लगी. मैं जानती थी कि गर्मी बहुत होगी इसलिए मैंने पैंट पहनी, लूज टॉप पहना, एक पानी की बोतल ली, एक रूमाल लिया और 'पोनी टेल' बांधकर अन्य विद्यार्थियों के साथ खड़ी हो गईं . सभी मुझे देखकर बहुत हैरान थे. फीस भरने के बाद मैं चैपाटी आयी, मसाला मिल्क का एक बड़ा ग्लास पीया और चैन की सांस ली.

मीनाक्षी शेषाद्री एम. ए. करने के बाद 'डॉक्टरेट' करने की तमन्ना रखती हैं. देखा जाये तो वो एकसाथ बहुत सारे काम कर रही हैं. एक्टिंग कर रही हैं, डांस शौज कर रही हैं, पढ़ाई कर रही हैं, गायन भी सीख रही हैं और इस साल एम. ए. के इम्तिहान दे रही हैं.

सैट पर जाते समय मैं अपनी पढ़ाई की किताबे ले जाती हूँ. बेचारी मम्मी को मेरी 'नोट्स' लिखनी पड़ती है. कभी कभी तो उन्हें बहुत 'बोर' कर देती हूँ, अपनी पढ़ाई के बारे में 'लेक्चर' दे देकर. स्टडी बुक के साथ साथ मैं कुछ लैट्रस भी ले जाती हूँ, जो मुझे लिखने होते हैं. म्यूजिक कैसेट एक अलग बैग में ले जाती हूँ., डांस की किताबें तीसरे बैग में. जब लोग मुझे इतने सारे सामान के साथ देखते हैं तो पूछते हैं कि क्या मैं आउटडोर शूटिंग पर जा रही हूँ?

फिल्मों के लिए वक्‍त निकाल पाती हैं मीनाक्षी शेषाद्री? वो कहती हैं कि इन दिनों वो सिर्फ अच्छी फिल्में साइन करना चाहती हैं. लेकिन उन्होंने कुछ फिल्में ऐसी साईन की हैं जो ऐसी वैसी फिल्मों में आती है.

'बिल्कूल नहीं! मैंने ऐसी कोई फिल्‍म साईन नहीं की है. हो सकता है बहुत पहले जो फिल्में मैंने साईन कर रखी हों, वो ऐसी निकल आयी हों कभी कभी जिस फिल्म पर हम निर्भर करते हैं वो 'डीले' हो जाती है. वो इसलिए कि मैं उम्मीद करती हूँ कि फिल्म वक्‍त पर पूरी हो जायेगी मेरे साथ ये तकलीफ है कि मैं अपनी रिलीज' कभी 'प्लान' नहीं करती. शायद इसलिए मेरी कुछ अच्छी फिल्में रूकी हुईं हैं! जैसे हमशक्ल, बड़ी बहन, 'आग और सुहाग', 'स्वर्ग से प्यारा घर हामारा' आदि. मेरे पास कुछ फिल्में हैं जिनमें मेरी बहुत अच्छी भूमिका है. जैसे 'मेरी पायल तेरे गीत में मैं एक 'स्ट्रांग इण्डियन लड़की की भूमिका कर रही हूँ. टाईटल पर मत जाईये क्योंकि इसमें सिर्फ क्लासिकल डांस ही नहीं और भी बहुत कुछ है. एक ऐसी लड़की की भूमिका निभा रही हूँ जो बहुत खूबसूरत है और उसे अपनी खूबसूरती पर गर्व है, वो शादी को एक बंधन समझती है और दुनिया को अपने कदमों के नीचे रखना चाहती है 'स्वर्ग से प्यारा घर हमारा' में एक अमीर लड़की की भूमिका कर रही हूँ जो अपने घर से अक्सर भागती रहती है. बहुत कॉमेडी भी है. मैं और कॉमेडी करना चाहूंगी. मुझे हर तरह की कॉमेडी पसंद है इसके अलावा मेरी आग और सुहाग है. जिसमें मैं डबल रोल कर रही हूँ. डाकू और उसकी बेटी पुलिस ऑफिसर में बहुत गोलियाँ बरसती है इस फिल्म में इमोशन भी कुछ कम नहीं. मां बेटी के बीच के सीन्स बहुत 'ड्रामेटिक' हैं.

'दामिनी' के बारे में कुछ बताईये…

इस फिल्म में मैं अमीर घराने की बहु बनी हूँ जो घर में हुए एक कत्ल की गवाह बनती हूँ. शादी के बाद पति पत्नी के रोमांस पर भी बहुत महत्त्व दिया गया है. चिंटु के साथ दोबारा काम करना अच्छा लग रहा है. सन्‍नी देओल वकील बने है. फिल्म बहुत अच्छी बन रही है. निर्देशक राजकुमार संतोषी को इस बात का 'फुल क्रेडिट' जाना चाहिए. 

सुनने में आया है कि निर्देशन की आपको अचानक दिलचस्पी हो गई है और आप बहुत जल्द निर्देशिका बनने जा रही हैं. क्या ये सच है?

हाँ मुझे अब निर्देशन का भूत सवार हो गया है. ये भूत सवार मुझे ऐसा हुआ कि मुझे और मेरी मम्मी को बहुत सी स्क्रिप्टस पढ़नी पड़ती थी. निर्माता मेरे साथ फिल्में बनाना चाहते थे लेकिन उन्हें कोई सही स्क्रिप्ट नहीं मिल रही थी. इसलिए मैं उन्हें तरह तरह के आईडिया देने लगी. तब उन्होंने मुझसे कहा कि मैं स्क्रिप्ट क्यों नहीं लिखती. उन लोगों ने मुझसे ये भी कहा कि मुझमें एक अच्छे निर्देशक के गुण हैं. लेकिन फिलहाल निर्देशक वाली,बात एक सपना है. मैं जानती हूँ मैं एक दिन निर्देशक बनूंगी. मैं एक सफल अभिनेत्री बनूं न बनूं, सफल निर्देशिका जरूर बनूंगी.

मीनाक्षी शेषाद्री का कहना है कि इंसान की खूबसूरती से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपने फीगर का कितना वो ख्याल रखता है.

जी हां ये बिल्कुल सच है! खूबसूरती सिर्फ बाहर से ही नहीं बल्कि अंदर से भी होनी चाहिए. मैंने अपने खाने पीने का 'फिक्सरूटीन' बना रखा है. मैं रोजाना दो “ग्लास दूध, फ्रूट जूस, नारियल पानी और 10 ग्लास हल्का गर्म पानी पीती हूँ.

उनका कहना है कि मेकअप का उन्हें बचपन से ही शौक रहा है.

मेकअप करने और बाल बढ़ाने का मुझे बचपन से शौक रहा. कमर तक लम्बे मेरे बाल थे, उन्हें 'रोल' करने और उन्हें सीधे करने में बहुत मजा आता था मुझे. मेकअप लगा लगाकर मैं तरह तरह के प्रयोग करती रहती. रात को खाना खाने के बाद मैं मेकअप करने बैठ जाती और ऑटोमैटिक कैमरे से अपनी तस्वीरें लेती.  

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