फिल्मों में शुटिंग के लिए बजाज स्कूटर का बखुबी इस्तेमाल: राहुल बजाज

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फिल्मों में शुटिंग के लिए बजाज स्कूटर का बखुबी इस्तेमाल: राहुल बजाज

के.रवि (दादा)

मुंबई भारत का मनोरंजन, फैशन और वाणिज्यिक केंद्र है। मुंबई भारत की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। मुंबई की नाममात्र जीडीपी 240 बिलियन अमेरिकी डॉलर और जीडीपी (पीपीपी) 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, मुंबई की जीडीपी ( पीपीपी ) प्रति व्यक्ति लगभग 23,000 अमेरिकी डॉलर है। यह दुनिया का सबसे अमीर भारतीय शहर और 12वां सबसे अमीर शहर है, जिसमें 46,000 करोड़पति और 48 अरबपतियों के साथ लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है। भारत की अर्थव्यवस्था में मुंबई का योगदान 6.16% से थोड़ा अधिक है, जो कारखाना रोजगार का 10%, आयकर संग्रह का 30%, मनोरंजन कर का 45%, सीमा शुल्क संग्रह का 60%, केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह का 20%, विदेशी का 40% योगदान देता है। व्यापार, शेयर बाजार की संपत्ति का 100% और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कॉर्पोरेट करों में 80,000 करोड़ रुपये यानि के 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

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इन मुंबई महाराष्ट्र की बहुआयामी उद्यमियोमें बजाज समुह एक बड़ा नाम है, जिसके समुह में करीब 60 हजार कर्मचारी काम करते हैं।

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यह वह बजाज समूह है जिसकी नींव 1926 में मुंबई में जमनालाल बजाज द्वारा स्थापित एक भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह कंपनी के रूप में की है। बजाज समूह मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित सबसे पुराने और सबसे बड़े समूह में से एक है। इस समूह में 34 कंपनियां शामिल हैं और इसकी प्रमुख कंपनी बजाज ऑटो को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी दोपहिया और तिपहिया निर्माता के रूप में स्थान दिया गया है। कुछ उल्लेखनीय कंपनियां बजाज ऑटो लिमिटेड, बजाज फिनसर्व लिमिटेड, हरक्यूलिस होइस्ट लिमिटेड, बजाज इलेक्ट्रिकल्स, मुकंद लिमिटेड, बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड हैं। और बजाज होल्डिंग एंड इंवेस्टमेंट लिमिटेड के साथ साथ समूह की विभिन्न उद्योगों में भागीदारी है जिसमें ऑटोमोबाइल (2- और 3-व्हीलर), घरेलू उपकरण, प्रकाश व्यवस्था, लोहा और इस्पात, बीमा, यात्रा और वित्त शामिल हैं।

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इसी बजाज समुह के अध्यक्ष राहुल बजाज ने जब बजाज स्कूटर की जिम्मेदारी ली,तब उन दिनों का विज्ञापनों का सबसे महत्वपूर्ण अंग दूरदर्शन हूंवा कर्ता था। उसी दूरदर्शन को अपने बजाज स्कूटर के विज्ञापन का जरिया बनाकर उन दिनों में बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर हमारा बजाज नाम से इतना मशहूर हुंवा के यह विज्ञापन देश के हर दिल को छू गया। उन दिनो विज्ञापन की दूजियां के दिग्गज विज्ञापन निर्माता एवं रंगमंच की दुनिया की मशहूर शख्सियत अलक पदमसी के दिमाग का उपज था। बजाज चेतक बजाज ऑटो का सबसे पॉपुलर स्कूटर था। हालांकि, कंपनी ने बाद में बजाज सुपर और बजाज कब नाम से भी मॉडल पेश किए थे। लेकिन, बजाज की पहचान चेतक स्कूटर ही होता था।

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बुलंद भारत की बुलंद तस्‍वीर' के विज्ञापन को आम इंसान के इमोशन से जोड़कर तैयार किया गया था। 1989 में इसका जिम्‍मा लिंटास नाम की एक ऐड एजेंसी चलाने वाले एलिक पद्मसी को दिया गया और देखते हीदेखते यह विज्ञापन इतिहास में अमर हो गया। 10 जून, 1938 को कोलकाता के मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर में जन्‍मे राहुल बजाज ने 1965 में ही बजाज ग्रुप की जिम्‍मेदारी संभाली और कंपनी का टर्नओर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचाया। इनकी मेहनत का नतीजा था कि बजाज स्‍कूटर बेचने वाली देश की सबसे अग्रणी कंपनी बन गई। इस रिकॉर्ड को बनाने में एक भुमिका उस विज्ञापन बुलंद भारत की बुलंद तस्‍वीर हमारा बजाज’.की भी थीं। जिसे दूरदर्शन पर देख देख कर लोग बेहद आनंदित हो जाते थे।

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जब बाइक्‍स की एंट्री हुई तो बना ‘हमारा बजाज’ और छा गया

80 का दशक खत्‍म होने वाला था। इटेलियन ब्रांड वेस्‍पा और लैम्‍ब्रेटा के दौर में बजाज अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गया था। धीरे-धीरे लीड पोजिशन में पहुंच चुकी था। 1989 में स्‍कूटर इंडस्‍ट्री बड़े बदलाव से गुजर रही थी क्‍योंकि मार्केट में होंडा, यामाहा और सुजकी की मोटरबाइक की एंट्री हो चुकी थी। जो ग्राहकों पसंद आने लगी थीं।

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लोगों को आकर्षित करने के लिए बाइक कंपनियों ने इनकी स्‍टाइल, माइलेज और तकनीक की खूबी बताते हुए कई विज्ञापन जारी किए थे। हालांकि बजाज ने भी बाइक की तैयारी करनी शुरू कर दी थी लेकिन स्‍कूटर के बिजनेस को नुकसान से बचाने के लिए एक विज्ञापन तैयार करने की योजना बनाई गई थीं।

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साल 1989 में बजाज ऑटो के ऑफिस की ओर से लिंटास नाम की एक ऐड एजेंसी चलाने वाले एलिक पद्मसी को संदेश भेजकर बुलाया गया। उन्‍हें बताया गया कि राहुल बजाज अपने बजाज स्‍कूटर से जुड़ा एक विज्ञापन बनाना चाहते हैं। एक ऐसा ऐड चाहते हैं जिससे भारतीय अपनापन महसूस करें। जिससे घर-घर तक इसकी चर्चा हो. इसे ध्‍यान में रखते हुए एक विज्ञापन तैयार किया गया। जब यह विज्ञापन दूरदर्शन के जरिए घर-घर पहुंचा तो बजाज कंपनी भी को एक नई बुलंदियों तक पहुंचा गया। विज्ञापन के गीत ने लोगों के मन में बजाज की ऐसी विश्‍वसनीय छवि तैयार की जो आज भी उसी विश्‍वास के साथ बनी हुई है। बजाज ने इस विज्ञापन के जरिए भारतीयों के मन में गर्व के साथ स्‍वदेशी सामान खरीदने का जो जोश पैदा‍ किया, उसने कंपनी की ब्रांड इमेज को और मजबूती दी। खास बात यह भी रही कि उस दौर में ज्‍यादातर वाहन विदेशी कंपनियों के थे। या भारतीय कंपनियां के थे भी तो उनमें विदेशी निवेश था। बजाज अपनी तरह की ऐसी कंपनी थी जिसमें किसी तरह का विदेशी निवेश नहीं था। जो पूरी तरह से स्‍वदेशी भारतीय थी। इसी बात को विज्ञापन के जरिए भुनाया गया।

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ये जमीन ये आसमान, हमारा कल हमारा आज, बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर, हमारा बजाज...

इस यादगार विज्ञापन के जिंगल के बोल जयकृत रावत ने लिखे थें और इसका निर्देशन किया था फिल्म निर्माता सुमंत्र घोषाल ने और इसे संगीत से पिरोया था लुईस बैंक्स ने। ये वो समय था जब भारत विदेशी कंपनियों के लिए खुले और सबसे ज्यादा लाभ देने वाले बाजार के तौर पर उभर रहा था, और यही कारण था कि कंपनी देशवासियों को उनके भावनाओं को समझते हुए इस विज्ञापन का निर्माण किया और लोगों को बजाज ऑटो से जोड़ने में सफल हुई। बजाज का 'बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर' होने का विचार निसंदेह कंपनी के सबसे अहम फैसलों में से एक था। इस विज्ञापन को आज भी जब हम सुनते हैं तो नब्बे के दशक की धुंधली यादें हमें घेर लेती हैं। उस दौर में अपना बचपन जीने वालों के लिए ये धुन न केवल एक स्कूटर का जिंगल है बल्कि भावनाओं से भरी हुई उस गठरी के समान है जिसमें अनगिनत सुनहरी यादें हैं।

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1989 में आए इस बजाज के विज्ञापन के जिंगल से का गाना शानदार तो था तो वहीं इसको दिखाया भी बेहद कमाल के तरीके से था। स्कूटर के साथ लोगों की खुशियां और देश की तरक्की हो ही गई थी। लंबे वक्त तक इस विज्ञापन ने जनता के दिल में जगह बनाए रखी।

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इतनाही नहीं तो कोरोना के संकट के चलते तालाबंदी  की वजह से एक बार फिर टीवी पर 90 का दशक लौट आया था। रामायण, महाभारत, शक्तिमान जैसे टीवी सीरियल दोबारा शुरू किए गए थे। ऐसे में टीवी के शुरुआती दौर में बजाज स्कूटर जैसे जिन विज्ञापनों ने धूम मचाई थी, आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। भारतीय लोक सेवा प्रसारण 'दूरदर्शन' पर आने वाले इन विज्ञापनों की पहुंच हर घर में हुआ करती थी। अगर हम कहें कि इसी दूरदर्शन से हम दुनिया जहान के सारे दृश्य देख पाएं तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी।

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90 के दशक में बजाज के उस विज्ञापन में एक पारसी शक्श का पीले कलर की बजाज स्कुक्टर चलाते हुऐ चेहरा लोगो को बखूबी भा चूका था। उसी बजाज की स्कूटर को चलाते हुऐ बॉलिऊड के शहंशाह अमिताभ बच्चन से लेकर दीपिका पादुकोण को भी हम सबने फिल्मों के माध्यम से देखी है।

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भारत में सड़को पर जहां भी देखों स्कूटरों में बजाज ही बजाज नजर आता है। बाइक के इस दौर में आज भी सड़को पर आपको बजाज का स्कूटर धड़ल्लें से चलता नजर आएगा।

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इसकी लोकप्रियता का आलम यह है कि हिंदी फिल्मों में भी हीरों को यदि ठेठ भारतीय लुक में आना होता है तो फिल्म में वह बजाज स्कूटर पर ही बैठकर आता है। हाल ही रिलीज हुई फिल्म जाली एलएलबी 2 में अक्षय कुमार पूरी फिल्म में बजाज के स्कूटर पर ही घूमते नजर आए। फिल्म में लोगों की नजर जितना अक्षर कुमार पर रहती है उतनी ही उनके बजाज स्कूटर पर। जब बालीवुड के सभी बडे़ स्टार बजाज स्कूटर पर सवारी कर रहें तो ऐसे में बालीवुड के शंहशाह भला कैसे पीछे रह सकते हैं। साल 2016 में प्रदर्शित निर्देशक रिभु दासगुप्ता की फिल्म तीन में अमिताभ बच्चन भी नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ बजाज के स्कूटर पर घूमते नजर आए थे।

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बालीवुड हीरोइन सोनम कपूर ने भले ही रांझना मूवी में बजाज स्कूटर न चलाया हो लेकिन सोनम ने धनुष साथ पीछे बैठकर स्कूटर का खूब आनंद लिया। शाहरूख खान और अनुष्का शर्मा ने भी बजाज स्कूटर का भरपूर आनंद लिया। जब वे स्कूटर पर नजर आते हैं तो उनका लुक एकदम ठेठ भारतीय नजर आता है।

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अब ऐसे में टाइगर भाई जान सलमान खान सब स्कूटर को चलाऐ बिना कैसे भला पीछे रह सकतें हैं। तो उन्होंने भी सुल्तान फिल्म में मुजफ्फरनगर की सड़कों पर खूब बजाज स्कूटर चलाई। इतना ही नहीं तो दंगल फिल्म में आमिर खान अगर का अगर घाकड़ लुक आया है तो वह बजाज के स्कूटर पर ही बैठकर आया। आमिर ख़ान यदि बाइक पर बैठकर चलते तो वो बात नहीं आती जो उनके बजाज स्कूटर पर बैठते ही आ गई थी।

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राजपाल यादव के पैर भले ही बजाज स्कूटर पर पूरे नहीं आते हों लेकिन जब वे फिल्म मैं मेरी बीवी और वो में अपनी पत्नी को स्कूटर पर बैठाकर निकलते हैं तो फिल्म का मजा दुगना हो जाता है। फिल्म दो दूनी चार में ऋषि कपूर को कार चलानी नहीं आ रही थी। लेकिन जब वे बजाज स्कूटर पर बैठकर घर से निकलते थे तो लगता था कि ये पुराने जमाने के पापा है।

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अभिनेत्री करीना कपूर 3 इडियट्स फिल्म में ऐसा स्कूटर चलाया कि सबको पीछे छोड़ दिया। शादी के लाल जोड़े में करीना पीले रंग का बजाज का स्कूटर चलाती दिखाई देती है।

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फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हन में बालीवुड के कलाकार इमरान ने कैटरीना कैफ को पिछे बिठाकर बजाज स्कूटर चलाया है। और तो और जस्सी गिल का ओहो डेडी जी दे कैश, उत्थे करी जावे ऐश, साडा बापू जमीदार, किथो लेके देवे कार बापू जमीदार, किथों ले के देवें कार। पंजाबी गाने में भी आपको बजाज स्कूटर ही नज़र आएगा। साथ ही कपिल शर्मा के शो में भी खुद कपिल शर्मा बजाज स्कूटर मंच पर चलाते नज़र आएं। कुल मिलाकर देश के कई फ़िल्मों के अभिनेता अजय देवगन, दीपिका पादुकोण के जैसे ही बजाज स्कूटर का लाभ उठा चूके है।

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उड़ीसा के एक मशहूर गायक राकेश रियान ने तो सीधे सीधे बजाज स्कूटर नामक एक गाना ही संगीतकार बिजॉय शंकर की धुन पर तैयार किया है। जिसके हिंदी में बोल कुछ ऐसे है:

चलो बजाज स्कूटर चलाते हैं

मैना टोरेनो घर के लिए

आइए संकेतक चालू करें

मोइना चीनी पाने के लिए।

हिंदी फिल्मों और बजाज के स्कटूर का साथ ऐसा है जैसे शोले फिल्म में जय और वीरू का। क्योंकि भारत के बजार में यूं तो कई स्कूटर हैं। लेकिन बॉलिऊड की फिल्मों में बजाज के स्कूटर की बात ही अलग है।

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और अब इसी बजाज समुह के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज हम सब के बिच नहीं रहे। वे लम्‍बे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। इंतकाल के समय राहुल बजाज 83 साल के थे। उन्‍होंने शनिवार दोपहर 2.30 बजे आखिरी सांस ली। देश के मशहूर मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर परिवार में जन्में राहुल बजाज जी के इस कंपनी का टर्नओर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचाया। इनकी मेहनत का नतीजा था कि बजाज स्‍कूटर बेचने वाली देश की सबसे अग्रणी कंपनी बन गई।

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बजाज समूह के मानद अध्यक्ष और पूर्व प्रबंध निदेशक राहुल बजाज जमनालाल बजाज के पोते थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल स्कूल से पूरी की। फिर उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली, गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए से अपनी पढ़ाई की। उन्होंने 1965 में बजाज समूह का नियंत्रण संभाला और भारत के सबसे बड़े समूह में से एक की स्थापना की। भारत के राष्ट्रपति ने 27 अप्रैल 2017 को राहुल बजाज को लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए सीआईआई राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किया।

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उद्यमो के साथ ही बजाज समूह कई तरह की कल्याणकारी गतिविधियों में शामिल है, जो इसकी कंपनियों और ट्रस्टों के सहयोग से संचालित की जाती हैं। बजाज समूह के सामाजिक और कल्याणकारी उद्देश्यों को कई ट्रस्टों और फाउंडेशनों के माध्यम से पूरा किया जा रहा है, जिन्होंने हर साल ₹ 100 मिलियन रुपयों तक का खर्च किया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर लिखा कि कॉमर्स और इंडस्ट्री के क्षेत्र में उनके योगदान को याद रखा जाएगा साथ ही वो कम्युनिटी सर्विस के लिए भी याद रखे जाएंगे।

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राहुल बजाज ने लंबे समय तक देश के सबसे पुराने औद्योगिक घरानों में से एक बजाज ग्रुप का नेतृत्व किया। वह उद्योग जगत की बेबाक आवाज़ के तौर पर जाने जाते थे। तमाम मुद्दों पर वह खरी-खरी बोलने में विश्वास करते थे।

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वे कह चुके थे यदी अगर देशवासियों की ज़रूरत का सामान बनाने के लिए मुझे जेल भी जाना पड़ा तो जाऊंगा।

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कॉरपोरेट इंडिया की चिंता हो या देशहित से जुड़ा मुद्दा उन्होंने कभी भी खुल कर बोलने से गुरेज नहीं किया। राहुल बजाज ने एक समारोह में कहा था कि वह जन्मजात सत्ता-प्रतिष्ठान विरोधी हैं। बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना के समर्थन से साल 2006 में राहुल बजाज निर्दलीय सदस्य के तौर पर राज्यसभा पहुंचे। हाल ही में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के सामने कहा, था की उद्योगपति लोग आपसे मोदी सरकार आपकी डरते हैं। जब यूपीए-2 की सरकार थी, तो हम किसी की भी आलोचना कर सकते थे। पर अब हमें यह विश्वास नहीं है कि अगर हम खुले तौर पर आलोचना करें तो आप इसे पसंद करेंगे। राहुल बजाज ने उन दिनों लाइसेंस-परमिट सिस्टम का भी विरोध किया। लाइसेंस की वजह से सत्तर-अस्सी के दशक में स्कूटर बुक कराने के बाद डिलीवरी के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ता था। राहुल बजाज इसके ख़िलाफ़ भी बोले।

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भले ही राहुल बजाज ने लाइसेंस परमिट राज का विरोध किया हो लेकिन वह देशी उद्योग के उतने ही बड़े पैरोकार थे। 1992-94 में हुए इंडस्ट्री रिफ़ॉर्म के ख़िलाफ़ भी राहुल बजाज खुलकर बोले थे। उनका तर्क था कि इससे भारतीय इंडस्ट्री को धक्का लगेगा और देसी कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा मुश्किल हो जाएगी।

और अब यही राहुल बजाज जी सारी इंडस्ट्री के साथ हमें भी दुखद धक्का देकर अलविदा कह गए।

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उन्हें सारे देशवासियो की और से विनम्र आदरंजलि!

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