-सुलेना मजुमदार अरोरा
बचपन में, ऋचा अपने दादा जी के साथ बहुत समय बिताती थीं जब उनके माता-पिता काम पर जाते थे। घर पर बैकग्राउंड में टीवी चलता रहता और ऋचा दादाजी को सवालों से परेशान करती थी और उनसे कहती थी कि वह बड़ी होकर एक अभिनेत्री बनना चाहती है। यह सुनकर दादाजी इस प्यारी सी होनहार बच्ची से कहते थे कि फिल्मों में अभिनय करने के लिए, अभिनेत्रियों को भारतीय शास्त्रीय नृत्य में प्रशिक्षित होने की आवश्यकता होती है और फिर वे नन्ही ऋचा को वहीदा रहमान, व्यजंतिमाला, माला सिन्हा और मीना कुमारी जैसे दिग्गज अभिनेताओं का उदाहरण दिया करते थे। उनकी इस प्रेरणा ने ऋचा को 6 साल की उम्र में ही कथक कक्षा में शामिल कर लिया और उन्होंने अगले 10 वर्षों तक कत्थक सीखना जारी रखा। ऋचा कहती हैं कि भले ही बॉलीवुड में उन्होंने अपने नृत्य कौशल का फायदा उठाने वाली कहानियों को नहीं चुना है, लेकिन नृत्य के प्रशिक्षण ने उन्हें एक बेहतर कलाकार बना दिया है।
आगे वे कहती हैं, 'यह मेरे बचपन की सबसे सुखद यादों में से एक है- मुझे अपने दादा जी के साथ समय बिताने का काफी समय मिला क्योंकि जब मेरे माता-पिता काम पर जाते थे तो मैं उनके साथ ही बातें किया करती थी। वे मेरी देखभाल किया करते थे। एक दिन टीवी में शायद मनीषा कोइराला की कोई फ़िल्म चल रही थी। मैंने वो फ़िल्म उन्हें दिखाते हुए कहा कि कैसे अभिनय एक महान प्रोफेशन हो सकता है और मैं भी इसमें अच्छा जरूर कर सकती हूँ, तब उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे वहीदा रहमान, व्यजंतिमाला आशा पारेख, माधुरी दीक्षित जैसी अभिनेत्रियों को देखना चाहिए, जिनकी भाव भंगिमाओं में कितनी ग्रेस और तरलता है और वे सभी कुशल शास्त्रीय नर्तकी भी है। दादाजी की इस प्रेरणा ने मेरी नृत्य सीखने की इच्छा को और भी दृढ़ संकल्प किया और मैंने प्रोफेशनली नृत्य सीखने का मन बना लिया।
फिर मैंने अपनी माँ को मुझे कथक कक्षाओं में दाखिला दिलाने के लिए राजी किया। मैंने छः साल की उम्र से लेकर सीधे दसवीं कक्षा तक दिल्ली में नृत्य सीखा और आज मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि नृत्य प्रशिक्षण ने मेरे शरीर में जो लय स्थापित किया उसने मुझे एक सक्षम कलाकार बना दिया है। लेकिन यह वास्तव में काफी हैरान करने वाली और दिलचस्प बात है कि मैंने अब तक ऐसी कोई भी फिल्म नहीं की है जो वास्तव में मेरी नृत्य क्षमता को उजागर करती है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि मैं जरूर ऐसी कोई फ़िल्म भविष्य में किसी दिन करूँगी। जब हम बच्चे होते हैं, तो हमें वास्तव में यह नहीं पता होता है कि हमारे बड़ों की बातों का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है, लेकिन आज मैं वास्तव में अपने दादाजी के प्रति आभारी महसूस करती हूं।'
ऋचा के लाखों दीवाने जरूर उनके दादाजी को ऋचा के जीवन में सही समय पर सही जगह, सही सलाह देने के लिए उनका शुक्रगुजार होंगे, क्योंकि यह उनके दादाजी ही है जिनकी वजह से दुनिया को ऋचा जैसी कुशल अभिनेत्री हासिल हुई।