वरुण धवन भी अपने पिता डेविड धवन के रास्ते पर चल रहे हैं। डेविड धवन निर्देशित अधिकांश फिल्में हिट रही हैं, उसी तरह वरुण धवन भी बॉलवुड में सफलता की गारंटी मान लिए गए हैं। स्टूडेंट ऑफ द ईयर से लेकर कलंक तक उनका सफर रंगीन रहा है। कलंक को लेकर हुई बातचीत के दौरान वरुण कहते हैं कि करण जौहर का यह सब्जेक्ट बहुत पुराना है। अभिषेक और मैं उस वक्त उनके एसिसटेंड डायरेक्टर थे। तब अभिषेक ने मुझे बताया था कि करण ने उन्हें कलंक की स्टोरी सुनाई है। उस वक्त कोई नहीं सोच सकता था कि एक दिन वह अभिषेक ही ये फिल्म डायरेक्ट करेंगे और मैं इसमें अभिनय करूंगा। इसमें मेरा जफर का कैरेक्टर हार्ड हिटिंग, इंटेंसिव और सीरियस है। एक तरह से जफर मिस अंडरस्टुड कैरेक्टर है।
आमतौर पर कलंक को धब्बा कहा जाता है लेकिन फिल्म में इसके क्या मायने हैं? इस सवाल पर वरुण कहते हैं कि कलंक’ की कहानी कलंक और प्यार पर आधारित है। कभी-कभी सच्चा प्यार भी ‘कलंक’ बन जाता है और कभी-कभी ‘कलंक’ के चलते प्यार अधूरा रह जाता है, यही बात फिल्म में समझाने की कोशिश गई है।
किरदार के लिए क्या तैयारियां करनी पड़ी? इसपर वरुण ने कहा कि सेट पर मौलवी जी रहते थे जो मुझे बताया करते थे। हालांकि इससे पहले भी मैं मुस्लिम कैरेक्टर कर चुका हूं। मैंने कहा था कि इस कैरेक्टर के लिए मुझे वीडियो मत दिखाओ, फिजिकली दिखाओ। अगर मीनिंग और ब्यूटी समझते हो तो किरदार निभाने में मजा आता है। इस फिल्म मैं मैने सुरमा लगाकर और पठानी सूट पहनकर जब सेट पर एंट्री ली, तो वहां मौजूद 500 डांसर्स मुझे देखकर चिल्लाने लगे। यह अलग तरह का रिस्पॉन्स था। पहला शॉट नमाज का ही था और मुझे ब्लैसिंग मिल गई थी।
वरुण कहते हैं कि यह फिल्म हिंदु-मुस्लिम विरोध पर नहीं है। इसमें हमने ऐसा कुछ नहीं दिखाया। मैं तो कहता हूं कि हमारा देश ही यूनीक है। मैं विभिन्न देशों में घूमा हूं लेकिन भारत जैसा सेक्यूलर देश मुझे कोई नहीं मिला। यहां हर मजहब के लोग रहते हैं और उन्हें जीने की आजादी है। हमारी संस्कृति ने सभी धर्मों को स्वीकार किया है। मैं सूई धागा के लिए ऐसी जगह शूटिंग की थी जहां मसजिद और जैन मंदिर साथ-साथ थे और वहां कोई प्रोब्लम नहीं थी। वरुण कहते हैं कि कलंक में हम भारतीय संस्कृति के दायरे से बाहर नहीं गए। फिल्म में सभी धर्मों को सम्मान दिया है। किसी की भावनाओं को चोट नहीं पहुंचाई। मैं तो कहता हूं कि बिल्कुल सही समय पर यह फिल्म आ रही है।
किसकी बायोपिक करना चाहेंगे? इस अहम सवाल पर वरुण कहते हैं कि मैं बायोपिक नहीं करना चाहता क्योंकि अब भेड़चाल हो गई है। हां अगर करना भी पड़े तो अपने पापा की करूंगा जिन्होंने अपनी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। उन्होंने लगभग सभी सितारों के साथ काम किया है। उनकी जिंदगी रंग बिरंगी रही है। डायरेक्टर अभिषेक बर्मन को लेकर वरुण कहते हैं कि वह टैलेंटेड और जिद्दी डायरेक्टर है। इस फिल्म के लिए उसने जिंदगी लगा दी। उसे परवाह नहीं थी कि शॉट देते समय मेरा हाथ या पांव भी टूट जाए। उसे तो मुझसे अच्छा काम निकालना था और उसमें सफल रहा।