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‘‘मैं मुंबई नृत्य निर्देशक बनने आयी थी,पर किस्मत ने अभिनेत्री बना दिया...’’ -ज्योति शर्मा         

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By Mayapuri Desk
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‘‘मैं मुंबई नृत्य निर्देशक बनने आयी थी,पर किस्मत ने अभिनेत्री बना दिया...’’ -ज्योति शर्मा         

  -शान्तिस्वरुप त्रिपाठी

मध्यप्रदेश के सतना जैसे छोटे शहर से कम उम्र में मुंबई पहुँचकर टीवी सीरियल ‘अमिता का अमित’ से अभिनय कैरियर की शुरूआत कर ज्योति शर्मा ने टीवी जगत में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। अब वह पांच अक्टूबर से जीटीवी पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘राम प्यारे सिर्फ हमारे’ में दुलारी का किरदार निभाते हुए काफी उत्साहित हैं।

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प्रस्तुत है ‘मायापुरी’ के लिए ज्योति शर्मा से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश...

 सबसे पहले तो अपनी पृष्ठभूमि के बारे में बताएं? आपको अभिनय का चस्का कैसे लगा?

मैं मूलतः मध्य प्रदेश के छोटे शहर सतना से हूँ। मेरे पिता व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। मैंने कभी भी अभिनय को कैरियर बनाने के बारे में नहीं सोचा था। मैं तो कोरियोग्राफर/नृत्य निर्देशक बनना चाहती थी। लेकिन कहते हैं कि ‘जो किस्मत में लिखा होता है, वह होकर ही रहता है। ’तो अब मै मानकर चल रही हूँ कि मेरी किस्मत में अभिनेत्री बनना ही लिखा हुआ था। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोरियोग्राफर बनने के लिए मैं मुंबई आयी थी। एक प्रोडक्शन हाउस में कुछ काम करना शुरू ही किया था कि एक दिन एक प्रोडक्शन हाउस ने मुझे देखा और मुझसे ऑडीशन देने के लिए कहा। न चाहते हुए मैं उनकी बात नहीं टाल सकी और बस वहीं से मेरी किस्मत बदल गई। ओडीशन में पास हो गयी और मैं अभिनेत्री बन गयी। तब से आज तक पूरी शिद्दत और ईमानदारी से कोशिश करती हूं कि अपने दर्शकों का मनोरंजन करती रहूँ।

‘‘मैं मुंबई नृत्य निर्देशक बनने आयी थी,पर किस्मत ने अभिनेत्री बना दिया...’’ -ज्योति शर्मा         

क्या आपके परिवार में कला का कोई माहौल रहा है?

जी नहीं... मेरी मां हाउसवाइफ हैं और पापा बिजनेस करते हैं। घर में कला वाला मसला दूर दूर तक नहीं रहा। मैंने टीवी वगैरह पर फिल्में देखते हुए नृत्य सीख लिया था और कोरियोग्राफर बनने का सपना देखने लगी थी। नृत्य में मेरी रूचि दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। एक दिन मेरे पापा ने मुझसे पूछा कि मैं क्या करना चाहती हूँ? तो मैंने साफ साफ कह दिया कि मुझे नृत्य के क्षेत्र में कुछ करना है. तो पापा ने पूछा कि कोरियोग्राफर बनना है? मैंने हामी भर दी कि मुझे कोरियोग्राफर बनना है।

मुंबई आना कब और कैसे हुआ?

 मैं मार्च 2011 में मुंबई आयी थी और तब से यही हूं। सच कहूँ तो मुंबई पहुँचते ही मुझे यह अपना शहर व अपना घर लगने लगा था। जब मैं मुंबई नहीं आयी थी और स्कूल में पढ़ रही थी, तब भी मुझे हमेशा मुंबई अपनी सी लगती थी। पिता से कोरियोग्राफर बनने की इजाजत मिलने के बाद जैसे ही मैंने अपनी स्कूल की पढ़ाई खत्म की, वैसे ही मैंने अपने पापा से कहा कि अब मैं मुंबई जाकर अपने पंख फैलाना चाहती हूं। पापा ने मुंबईआने की इजाजत दे दी। और मैं मुंबई पहुँच गयी।

अभिनेत्री के तौर पर आपको पहला सीरियल कैसे मिला था?

 मेरा पहला सीरियल ‘अमृता का अमित’ था। इसके बाद मैंने ‘गुस्ताख दिल’ किया और फिर मुझे ‘‘दिया और बाती हम’ मिला था।

सीरियल ‘अमृता का अमित’ कैसे मिला था?

 मैं प्रोडक्शन हाउस में असिस्टेंट डायरेक्टर थी। एक दिन मैं अपने एक दोस्त की सीडी देने गई थी, इसे भी देख लेना, यदि पसंद आ जाए, तो इसका भला कर देना। लेकिन उनको मैं पसंद आ गई। उन्होंने मुझसे कहा कि, ‘आपको भी ऑडीशन देना पड़ेगा। क्योंकि उन्हे सीरियल के किरदार के चरित्र से मिलता जुलता चेहरा मुझमें नजर आया था। मैं उन लोगों को मना नहीं कर पाई। पहले तो मैंने मना कर दिया था, लेकिन उन लोगों ने जब दबाव डाला कि ऑडीशन दे देने में क्या जाता है? तो मैंने ऑडीशन दिया और मुझे ‘अमिता का अमित’ मिल गया। यहीं से मेरे अभिनय की शुरूआत हुई।

‘‘मैं मुंबई नृत्य निर्देशक बनने आयी थी,पर किस्मत ने अभिनेत्री बना दिया...’’ -ज्योति शर्मा         

अपने नौ वर्ष के कैरियर को किस तरह से देखती हैं?

 यदि आप भी मेरे कैरियर पर नजर दौड़ाएंगे, तो पाएंगे कि अभी तक मेरा कैरियर बहुत ही ज्यादा प्रोग्रेसिव रहा है। मैंने हर सीरियल में अभिनय करते हुए काफी कुछ सीखा और आज भी सीख ही रही हूं। अभी भी सीखने का सिलसिला चल ही रहा है। अभी भी मुझे हर दिन कोई ना कोई, कुछ ना कुछ सिखाता है। मेरी यात्रा बहुत ही अच्छी व बहुत ही ज्यादा खूबसूरत रही है। आगे भी यही उम्मीद करती हूं कि जैसी खूबसूरत यात्रा अब तक रही है, वैसी ही रहे और दर्षकों का प्यार लगातार मिलता रहे।

आपके कैरियर में टर्निंग प्वाइंट क्या रहे?

 मेरे लिए तो मेरा हर सीरियल टर्निंग प्वाइंट ही रहा है। क्योंकि मुझे हर सीरियल में प्रषंसा मिली। हर सीरियल मे मेरे अभिनय को बहुत पसंद किया गया। मगर मैं खुद पांच अक्टूबर से जीटीवी पर शुरू हुए सीरियल ‘राम प्यारे सिर्फ हमारे’ को ही कैरियर में अपना टर्निंग प्वाइंट मानूंगी। क्योंकि यह पूरी तरह से एकदम अलग किरदार है। बहुत ही खूबसूरत तरीके से इसे हमें बनाने को मिला है। मैं उम्मीद करती हूं कि जितने प्यार और खूबसूरती से हॅंसते हुए हम इस सीरियल को बना रहे हैं, उसी तरह से दर्शक भी इसे पसंद करेंगे।

सीरियल ‘राम प्यारे सिर्फ हमारे’ का ऑफर आपको कैसे मिला? आपने क्या सोचकर इस सीरियल में काम करना स्वीकार किया?

 सच कहूं तो यह मेरे लिए इस सीरियल से जुड़ना ‘चट मंगनी पट ब्याह’ वाला मसला रहा। मैंने इसके लिए ऑडीशन दिया और अगले ही दिन मेरा मॉक शूट हुआं। जिस दिन मॉक शूट था, उसी दिन एक घंटे के अंदर उन्होंने मुझसे कह दिया कि इसमें दुलारी का किरदार मैं ही निभा रही हूँ। फिर दो दिन बाद ही हमने इसका प्रोमो शूट किया। इतना ही नहीं हफ्ते भर के अंदर ही मेरी शूटिंग शुरू हो गई। यह सब पूरी तरह से एकदम जल्दी जल्दी हुआ। कुछ सोचने का वक्त ही नहीं मिला, पर जब मुझे इस सीरियल की ‘यूएसपी’ के बारे में, अपने किरदार के बारे में,पता चला तो मुझे अहसास हुआ कि जल्दबाजी मे ही सही, पर मैंने एक सही निर्णय लिया है.मुझे लंबे समय से ऐसा ही कुछ करना था।

इस सीरियल की किस बात ने आपको सर्वाधिक आकर्षित किया?

 इस सीरियल की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यह बहुत ही ज्यादा लाइट हार्टेड कॉमेडी वाला सीरियल है। इसमें ड्रामा के कॉमेडी भी है.इसलिए हम इसे ‘ड्रैमेटिकल’ कहते हैं। सच कहूं तो हर किरदार की अपनी एक झलक है। इस सीरियल में कभी भी कोई भी किरदार किसी को भी ओवर शैडो नहीं करेगा। हर कोई अपने अपने किरदार में उभर कर आएगा। सच कहूं, तो इस सीरियल के साथ हर दंपति यानी कि पति-पत्नी कहीं ना कहीं खुद को रिलेट कर पाएंगे। जिस तरह के नुस्खे दुलारी बता रही है, वैसा ही उसका कभी ना कभी हर पति पत्नी ने अपने निजी जीवन में अपनाया जरूर होगा, अपने पति को अपने पास रखने के लिए या पति ने अपनी पत्नी को अपने पास रखने के लिए। तो कहीं ना कहीं मुझे ऐसा लगता है कि इस सीरियल से हर कोई अपने आप को रिलेट कर पाएगा।

अपने दुलारी के किरदार को आप किस तरह से परिभाषित करेंगी?

 दुलारी बहुत ज्यादा प्यारी इन्नोसेंट व मासूम है। वह हमेषा अपना दिल हाथ में लेकर चलने वाली है। जिसको भी देखती या मिलती है, उसे अपना बना लेती है। उसके अंदर कपट बिल्कुल भी नहीं है। उसे औरत में सिर्फ अच्छाई ही नजर आती है। वह अपने पति राम प्यारे से बहुत प्यार करती है। उसे अपने पति पर बहुत ज्यादा विश्वास है।

इस सीरियल की पृष्ठभूमि भोपाल है.आप सतना से हैं और पिछले नौ वर्ष से मुंबई में रह रही हैं.तो क्या संवाद अदायगी में भोपाल के लहजे को पकड़ने की कोशिश की है?

 जी बिल्कुल... इसके लिए मैं तहे दिल से सीरियल के निर्माता व निर्देशक सचिन मोहिते का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी, जिन्होंने इस दिशा में मेरी बड़ी मदद की। उनके प्रयासो ने मुझे संवाद अदायगी में भोपाल के अंदाज को पकड़ने व दुलारी के किरदार को न्याय संगत बनाने में काफी मदद की। दुलारी का जो ढांचा है, उसे गढ़ने में भी उन्होेने मुझे जो टिप्स दिए, वह काफी मददगार साबित हुए। यदि उनका सहयोग न मिलता तो कम समय में इस किरदार को अपने अंदर समाहित करना मेरे लिए मुश्किल हो जाता। मैंने भी कम समय में अपनी तरफ से खुद को दुलारी के किरदार में ढालने में काफी मेहनत की। आपको दुलारी के बोली में भोपाल का ‘टोन’ नजर आएगा।

इसके अलावा भी आपको कोई खास तैयारी करनी पड़ी इस किरदार के लिए?

 जी हां! क्योंकि दुलारी बहुत ही ज्यादा इन्नोसेंट व मासूम है। सदैव बहुत ही ज्यादा प्यार से बोलती है। इसके लिए मैंने रिषिकेश मुखर्जी निर्देषित 1979 की फिल्म ‘गोलमाल’ में अमोल पालेकर के किरदार को ज्यादा ध्यान से देखा और उनके मैनेरिजम को आत्मसात करने का प्रयास किया। इस फिल्म में अमोल पालेकर जितना मीठा बोलते हुए नजर आए हें, उससे मैंने प्रेरणा ली है।

 सीरियल ‘राम प्यारे सिर्फ हमारे’ में अपने लुक को लेकर क्या कहेंगी?

 इस सीरियल में मेरे किरदार दुलारी का ‘लुक’ बिल्कुल अलग है। इसमें दुलारी के कम से कम तीन लुक हैं। सुबह का लुक अलग है, दोपहर का लुक अलग और रात का लुक अलग है। वह रात में खास तौर पर फूल लगाती है। साड़ी पहनती है। झुमके पहने हैं। यह लुक थोड़ा सा अलग है।

दुलारी’ का किरदार आपके निजी जीवन के कितने करीब है? क्या आपने अपने निजी जीवन में दुलारी जैसा कोई किरदार देखा है?

 दुलारी और ज्योति षर्मा में ज्यादा समानता नहीं है। पर हां! दुलारी जैसी लड़कियां होती हैं। मैंने बहुत कम देखी हैं, पर होती हैं। कई लड़कियाँ साफ दिल की होती हैं। इतनी प्यारी और इतना मीठा बोलती हंै कि आप को लगता है कि बस उसके साथ कुछ नहीं होना चाहिए। तो ऐसा नहीं है कि दुलारी जैसी लड़कियां नहीं है। आज के जमाने में मैंने जरूर देखी भी है।

कोरियोग्राफर बनते बनते आप अभिनेत्री बन गयीं। इस पर आपके माता-पिता की क्या प्रतिक्रिया रही?

 उन्होंने तो मुझे हमेशा सपोर्ट किया है। उन्होंने मुझसे हमेशा यही कहा है कि जो चीज करने में तुम्हें खुशी मिलती है, वही करो। जिसे करते हुए तुम्हे लगता है कि तुम अपना सौ प्रतिषत दे रही हो, उसे अवश्य करो. हम हमेशा तुम्हारे साथ खड़े हुए हैं। मेरे माता-पिता, मेरी बहन मेरे लिए हमेशा मेरे सपोर्ट सिस्टम मेरे पिलर रहे हैं। अगर वह नहीं होते तो मैं आज यहां नहीं होती।

आपने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। क्या इस बात का आपको गम है?

 ऐसा नही है... मैंने बारहवीं के बाद पत्राचार कोर्स कर अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। में नियमित रूप से कालेज जरुर नहीं गयी, पर इसका मुझे बिल्कुल भी अफसोस नहीं है। क्योंकि मुझे पता है कि मैं जो कर रही हूं, उसके लिए मेरे अंदर जो प्रतिभा होनी चाहिए, वह मुझमें हैं।

नौ वर्ष से टीवी पर काम कर रही हैं। कभी ऐसा नहीं लगता कि अब बड़े पर्दे पर यानी कि फिल्मों में काम किया जाए?

 सच कहूं तो मेरे अंदर ऐसा कोई भाव नही है। मेरे अंदर सिर्फ यही भाव है कि, जब जैसे भी मौका मिलेगा, अपने दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए,तब जो भी माध्यम मुझे मिलेगा, उस माध्यम से मैं उनका मनोरंजन करती रहूंगी। फिर चाहे वह टीवी हो, ओटीटी प्लेटफॉर्म हो अथवा फिल्म हो।

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