धरती पुत्र, पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) बिहार राज्य के गोपालगंज जिले के एक गाँव 'बेलसंड' के रहने वाले हैं। एक किसान के बेटे पंकज ने ग्रामीण जीवन और उसके भीतर की समस्याओं को बहुत करीब से देखा है। उनके सपनों ने उन्हें मुंबई के शहरी जीवन के अनुकूल बनाया लेकिन वे अपनी जड़ों को नहीं भूले। एक ग्रामीण के जीवन में पंचायत चुनावों के महत्व के बारे में संदेश फैलाने के लिए जब राज्य चुनाव आयोग, बिहार के अधिकारियों द्वारा उनसे संपर्क किया गया, तो वे इस विचार पर उछल पड़े। वे समझते हैं कि देश की प्रगति के लिए शासन के हर स्तर को अपनी जड़ों से मजबूत करने की जरूरत है। 68% से अधिक भारतीय आबादी ग्रामीण भारत में रहती है और यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि यह वर्ग, शासन के महत्व को समझे और पूरे दिल से भाग लें।
इस अवसर पर बोलते हुए पंकज ने कहा, ''पंचायत चुनाव बुनियादी लोकतंत्र का एक बेहतरीन उदाहरण है और सभी को अपनी बेहतरी के लिए आगामी चुनावों में भाग लेना चाहिए। पंचायत चुनाव की सुंदरता इस तथ्य में निहित है कि प्रतियोगी गांव से ही हैं, इसलिए ग्रामीणों के लिए अपने उम्मीदवारों को अच्छी तरह से जानना आसान हो जाता है। चुनाव आयोग ने चुनाव की प्रक्रिया को मानकीकृत करने के लिए बायोमेट्रिक और ईवीएम जैसी आधुनिक तकनीकों की शुरुआत की है।
पंकज त्रिपाठी आज देश के सबसे लोकप्रिय शख्सियतों में से एक हैं। यह स्वाभाविक ही है कि राज्य चुनाव आयोग, बिहार, उनके जैसे व्यक्ति जो ज़मीन से जुड़े है और वहां की भाषा बोलते है का सहयोग ले रहे हैं।
सुलेना मजुमदार अरोरा