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तीन दिवसीय ठुमरी उत्सव में प्रतिष्ठित कलाकारों ने बिखेरे संगीत के रंग

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By Mayapuri
तीन दिवसीय ठुमरी उत्सव में प्रतिष्ठित कलाकारों ने बिखेरे संगीत के रंग
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साहित्य कला परिषद के वार्षिक संगीत कार्यक्रम के अंतिम दिन इंद्रेश मिश्रा, सुनंदा शर्मा और शुभा मुद्गल जैसे कलाकारों को सुनने का अवसर मिला. तीन दिवसीय ठुमरी उत्सव 26 अगस्त को कमानी सभागार, मंडी हाउस में शुरू हुआ, जिसमें प्रख्यात कलाकारों द्वारा कुछ दुर्लभ ठुमरी रचनाओं को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया गया.

महोत्सव के तीसरे दिन की शुरुआत इंद्रेश मिश्रा के साथ हुई, जो ठुमरी महोत्सव के कई संस्करणों का हिस्सा रहे हैं, जिसमें से कुछ में उन्होंने अपने गुरु पद्म भूषण पं छन्नूलाल मिश्र के साथ प्रदर्शन किया हैं. अपनी प्स्तुति में इंद्रेश मिश्रा ने पीलू, मिश्र पहाड़ी, दादरा, कजरी, झूला प्रस्तुत किया और ठुमरी के कई प्रकार जैसे बोल बंट ठुमरी, जाट भाव ठुमरी, नृत्य अंग ठुमरी, बंदिश ठुमरी प्रस्तुत की. इसके बाद सुनंदा शर्मा ने भी विभिन्न प्रकार की ठुमरी प्रस्तुत की जो 'श्रृंगार रस' और 'करुण रस' जैसे विभिन्न रसों पर आधारित दुर्लभ रचनाएं हैं. शाम का समापन पद्मश्री शुभा मुद्गल के प्रदर्शन के साथ हुआ. उन्होंने ठुमरी और दादरा रचनाएं प्रस्तुत कीं.

वार्षिक ठुमरी उत्सव के पहले दो दिनों में भी प्रसिद्ध कलाकारों को मंच पर देखा गया. पहले दिन पं. भोलानाथ मिश्रा ने जाट ताल में नृत्य भाव बंदिश ठुमरी, विलाम्बित ठुमरी और राग तिलक कमोद, खमाज दादरा और खजरी प्रस्तुत की. इसके बाद मधुमिता रे ने राग मिश्र माज खमाज में ठुमरी,राग पीलू गारा में दादरा; झूला और काजरी प्रस्तुत की. दिन का अंतिम प्रदर्शन इंद्राणी मुखर्जी द्वारा प्रस्तुत पूरब अंग ठुमरी था. दूसरे दिन डॉ. रीता देव ने शाम की शुरुआत मांझ खमाज में ठुमरी, राग मेघ में दादरा, कजरी, झूला और राग खमाज में बंदिश की ठुमरी पेश की. बाद में, सोनाली बोस ने राग मिश्र में खमाज प्रस्तुत किया, उसके बाद राग मिश्र में खमाज, राग मिश्र पीलू में दादरा और एक काजरी प्रस्तुत की. काकली मुखर्जी ने मिश्र मारू बिहाग पर आधारित ठुमरी, मिश्र कौशिक ध्वनि में कजरी और शिवरंजनी पर दादरा के साथ प्रस्तुति का समापन किया.

साहित्य कला परिषद की सचिव डॉ. मोनिका प्रियदर्शिनी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “साहित्य कला परिषद पिछले कई वर्षों से ठुमरी महोत्सव का आयोजन कर रहा है. इस साल हमारी कोशिश उन कलाकारों को लाने की थी जिन्हें हमने पहले इस फेस्टिवल में नहीं सुना था और इसलिए हम आने वाले कलाकारों को दिल्ली वालों से मिलाना चाहते थे. आगे बढ़ते हुए, हमने कई और महोत्सवों की योजना बनाई है जैसे शास्त्रीय और अर्ध शास्त्रीय उत्सव. हमें उम्मीद है कि हमें दर्शकों का प्यार और समर्थन मिलता रहेगा.”  

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