कैलाश सत्यार्थी ने भारतीय परिधान एवं टेक्सटाईल उद्योग में आपूर्तिश्रृंखला को बाल-मजदूरी से मुक्त बनाने के लिए फैशन डिज़ाइन काउन्सिल आफ इण्डिया के साथ हाथ मिलाए हैं। इसपहल के तहत एक अभियान ‘नोट मेड बाय चिल्ड्रन’ की शुरूआत की गई है। देशी डिज़ाइनरों को भारत को बाल मजदूरी मुक्त बनाने में योगदान के लिए प्रभावित एवं प्रोत्साहित करना इस अभियान का उद्देश्य है।
एफसीसीआई और फाउंडेशन के इस संयुक्त अभियान की घोषणा नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी तथा एफडीसीआई के अध्यक्ष श्री सुनील सेठी की मौजूदगी में की गई। कार्यक्रम में 15 डिज़ाइनरों ने एक साथ मिलकर शपथली ‘‘मैं ऐसे परिधान बनाने की शपथ लेता हूं, जिसमें बाल मजदूरी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। यह भारत को बाल मजदूरी से मुक्त बनाने की दिशा में मेरा एक योगदान है।’
कर्यक्रम में हिस्सा लेने वाले डिज़ाइनरों में नम्रता जोशीपुरा, अंजना भार्गव, अमित विजयन और रिचर्ड पांडव (एमरिच), प्रियदर्शिनी राव, अंजु मोदी, गौतम राखा (रबानी औ रराखा), चारू पाराशर, पंकज आहुजा (पंकजऔरनिधी), पारस बैरोलिया (गीशाडिज़ाइन), राहुल मिश्रा, रेनु टंडन, रीना ढाका, सामंत चैहन और वरूण बहल शामिल थे।
इस मौके पर नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा, ‘‘फैशन संस्कृति, रचनात्मकता एवं उत्साह के संयोजन के साथ अपने उंचेउद्देश्यों को हासिल कर सकता है। ‘नोटमेडबायचिल्ड्रन’एक अनूठा अवसर है जिसके माध्यम से डिज़ाइनर, ब्राण्ड एवं उपभोक्त अपनी भीतरी और बाहरी खूबसूरती को दुनिया के सामने ला सकते हैं।’
श्री सुनील सेठी, एफडीसीआई, प्रेज़ीडेन्ट ने कहा, ‘‘यह एसोसिएशन मेरे अैर एफडीसीआई सदस्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हमारा मानना है कि यह फैशन सेक्टर को बाल मजदूरी से मुक्त बनाने की दिशा में पहला कदम है।’