बिहार और यहां कि राजनीती से आप सभी परिचित हैं। 90 के दशक में बिहार की राजनीती ने एक अलग ही मोड़ लिया था जिसकी ग्वाह पूरा देश बना था। लालू प्रसाद यादव की सरकार और बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के समय की राजनीती तो याद ही होगी। इसपर आधारित है सोनी लीव की वेब सीरीज महारानी।
किरदारों की बात करें तो वेब सीरीज में मुख्य किरदार में हुमा कुरैशी, सोहम शाह, अमित साइल, प्रमोद पाठक और भी कई अभिनेता नजर आए।
बात करते हैं कहानी की- कहानी 90 के दशक की है। जात-पात, उँच-नीच के बीच के फर्क को लेकर कहानी शुरू होती है जिसमें एक नीची जात का व्यक्ति मारा जाता है। इसके बाद सीधे कैमरा पहुंचता है बिहार के सीएम भीमा भारती(सोहम शाह) पर जिन्हें सीएम बने तीन साल हो चुका हैं। उनका सीएम बनना मानो बिहार के पिछड़े वर्ग के लिए लाटरी के टिकट जैसा हो। पूरा गांव उनकी इज्जत करता है। वो छठ मनाने अपने गांव गोपालगंज गए हैं जहां उनकी पत्नि रानी भारती(हुमा कुरैशी) और बच्चे रहते हैं। छठ के घाट पर भीमा भारती पर दो गोली चलती है। अब उन्हें ठीक होने में छह से सात महीने लगने वाले हैं। तो राज्य कौन चलाएगा। पार्टी में एक नवीन कुमार(अमित साइल)है जिन्हें लगता है कि अब भीमा बाबू के बाद उनका ही नंबर है सीएम बनने का। वो अपने विधायक जुटाना शुरू कर देते हैं। किसको कौन सा पद देंगे ये भी वादे करने लगते हैं।
चुंकि भीमा बाबू के पास अधिक विधायकों का समर्थन होता है इसलिए उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार मिल जाता है। भीमा बाबू अपना दाव खेलते हैं और अपनी पत्नि जो चौथी कक्षा तक पढ़ी हैं, राजनीती का कोई ज्ञान नहीं हैं उन्हें मुख्यमंत्री बना देते हैं, ये सोच कर की वो बस अंगूठा लगाएगी। सरकार तो भीमा बाबू चलाएंगे। इसमें भीमा बाबू का साथ महासचिव मिश्रा जी(प्रमोद पाठक) देते हैं।
इसके बाद शुरू होती है महारानी की कहानी। अंगूठा लगाते लगाते वह कब साइन करने लगती है इसी की कहानी है पूरे सीरीज में। इस बीच नवीन कुमार और अन्य नेता उन्हें ग्बार सीएम बताकर उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर करते हैं। लेकिन रानी भारती को हिला नहीं पाते हैं।
अपने कार्यकाल के दौरान वो सबसे अहम दाना घोटाला का पता लगाती है जिसमें 418 करोड़ की चोरी होती है।
इस सीरीज में राज्यपाल की भी अहम भूमिका है। जब आप सीरीज देखेंगे तो पता चलेगा।
एक्टिंग की बात करते हैं। मुख्य किरदार महारानी हुमा कुरैशी को देख ऐसा लगा जैसे उनका बिहार के गांव में ही जन्म हुआ है। जिस तरीके से उन्होंने खुद को इस किरदार में ढाला है वो काबिले तारीफ है। बिहार की भाषा को न सिर्फ उन्होंने बोला बल्कि जीया भी है।
वहीं सोहम शाह और अमित साइल अपने किरदार में फीट बैठे। और मिर्जापुर के जेपी यादव यानी की प्रमोद पाठक ने दिल जीत लिया। बाकि किरादारों ने भी अपना हंड्रेड परसेंट देने में कसर नहीं छोड़ी।
कहानी में आप साफ साफ देखेंगे हुमा कुरैशी (राबड़ी देवी), सोहम शाह (लालू प्रसाद यादव) और अमित साइल (नीतीश कुमार) के किरदार में नजर आ रहे हैं। हालांकि कहानी में फेर बदल की गई है और अंत होते होते इसे हुमा कुरैशी पर केंद्रित कर दिया गया।
डायरेक्टर करण शर्मा और शो के क्रिएटर सुभाष कपूर ने बहतरीन काम किया है। शो को 90 के दशक जैसा दिखाने की कोशिश की गई जिसमें वो सफल रहे।
- कहानी पोलिटिकल ड्रामा है। विमेन सेंट्रिक भी है।
- एक्टिंग और बिहार की भाषा को जीने के लिए अलग से नंबर
- डायरेक्शन बेहतरीन रहा।
Rating- 3.5/5
अगर आप ने लम्बे समय से कोई अच्छा पोलिटिकल ड्रामा नहीं देखी है तो आपको देखनी चाहिए। अगर बिहार से हैं तो जरूर देखनी चाहिए। वैसे आप इंटरटेनमेंट के लिए भी देख सकते हैं।