अभिनेता-राजनीतिक कमल हासन को मद्रास हाई कोर्ट ने उनके हिंदू चरमपंथी बयान को लेकर सोमवार को फटकार लगाई और कहा कि एक अपराधी की पहचान उसके धर्म, जाति या नस्ल से करना निश्चित तौर पर लोगों के बीच घृणा के बीज बोना है। मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति आर पुगलेंधी ने एक हालिया चुनावी रैली में हासन की तरफ से दिए गए विवादित बयान को लेकर दर्ज मामले में उन्हें अग्रिम जमानत देते हुए कहा, कि घृणा भरे भाषण देना आजकल आम हो गया है।
तमिलनाडु और नई दिल्ली में मामले दर्ज
मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक हासन को अरावाकुरीचि में दिए गए उनके बयान को लेकर दर्ज मामले में गिरफ्तार किए जाने की संभावना थी। उन्होंने कहा था कि स्वतंत्र भारत का पहला चरमपंथी एक हिंदू था। उन्होंने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे के संदर्भ में यह बात कही थी। यह मामला हिंदू मुन्नानी की शिकायत पर दर्ज किया गया है। कमल हासन की इस टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया था और बीजेपी, राज्य में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके और हिंदू संगठनों ने उनकी आलोचना की थी। उनके खिलाफ तमिलनाडु और नई दिल्ली में मामले दर्ज किए गए थे।
कमल हासन को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
न्यायाधीश ने प्रचार भाषण में इस मुद्दे को उठाए जाने पर हासन की गलती की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक चिंगारी से रोशनी भी हो सकती है और पूरा जंगल भी खाक हो सकता है। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, 'चुनाव सभा में जनता के लिए जरूरी था कि आम लोगों के उत्थान के लिए रचनात्मक समाधान दिए जाएं, न कि घृणा पैदा की जाए।' उन्होंने कहा कि देश पहले से ही सार्वजनिक भाषणों के कारण होने वाली कई घटनाएं झेल चुका है, जिसमें बेकसूर लोगों ने बहुत कुछ सहा है।
न्यायाधीश ने खेद जताया
न्यायाधीश ने इस बात पर खेद जताया कि याचिकाकर्ता अपने पक्ष पर कायम है कि उन्होंने जो कहा वह ऐतिहासिक घटना के संदर्भ में था। न्यायमूर्ति पुगलेंधी ने कहा, 'अगर यह ऐतिहासिक घटना है और यह सही संदर्भ में नहीं कही गई तो यह एक अपराध है। भले ही वह कट्टरपंथी, आतंकवादी या चरमपंथी हो, उनको उनके धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास और भाषा के आधार पर नहीं परिभाषित किया जाना चाहिए। एक व्यक्ति अपने व्यवहार से अपराधी बनता है और अपने जन्म से नहीं।’
न्यायाधीश ने कहा, कोर्ट को जमानत देनी होगी
हासन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा, कि कोर्ट को उन्हें जमानत देनी होगी क्योंकि चुनाव प्रक्रिया अब भी लंबित है और वह एक पंजीकृत राजनीतिक दल के नेता हैं। न्यायाधीश ने हासन को अरावाकुरीचि में न्यायिक मैजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होने और 10,000 रुपये का मुचलका और इतनी ही जमानत राशि जमा कराने का निर्देश दिया। हासन ने अपनी याचिका में कहा, कि उनका भाषण केवल गोडसे के संबंध में था और संपूर्ण हिंदू समुदाय के बारे में नहीं। उनके वकील ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने अभिनेता के भाषण से कुछ शब्द उठा लिए जिन्हें सही संदर्भ में समझाया नहीं गया। लोक अभियोजक ने दावा किया कि हासन के भाषण ने लोगों के बीच नफरत फैलाई और उनके खिलाफ कुल 76 शिकायतें प्राप्त हुईं।