हिंदी सिनेमा में इन दिनों भले ही विषय केंद्रित फिल्मों का बोलबाला हो लेकिन बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का मानना है कि ये फिल्में भी तय फॉर्मूले पर ही बनती हैं, जैसा कि बॉलीवुड की मुख्यधारा की फिल्मों के साथ है। उन्होंने सामाजिक रुप से प्रासंगिक फिल्मों को प्रोपेगैंडा यानी प्रचार बताया।
उन्होंने कहा कि इस तरह की फिल्में मुख्य रूप से एक विशय के आसपास घूमती हैं, लेकिन वो मुख्यधारा वाली फिल्मों के ट्रेंड्स के अनुसार बनाई जाती है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा- ये प्रोपेगैंडा फिल्म हैं, जिसमें आप एक मुद्दे को राष्ट्रीय संकट की तरह उठाते हैं। मैं नहीं मानता कि ये सिनेमा है। मैं इसमें विश्वास रखता हूं या नहीं, ये अलग चीज है।
लोग इसे विषयवस्तु वाली फिल्म बताते हैं, लेकिन इसे बनाने का तरीका बॉलीवुड की सफल कारोबारी फिल्मों की तरह है, जिसमें 5 गाने होते हैं, डांस होता है और आइटम नंबर होता है। इसलिए हम कैसे उसे अच्छी विषयवस्तु वाली फिल्म बता सकते हैं। आगे कहा कि अभी ऐसी ही फिल्में चल रही हैं। यहां तक कि मैंने भी ऐसा करना शुरु कर दिया है।‘
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