दीपावली का त्यौहार है और आज हम अवसाद के अंधकार से आशा की रोशनी की बातें करेंगे। दीपावली की रात अमावस्या की रात होती है लेकिन फिर भी वो रात आशा और उमंग, जोश, रोशनी की रात कहलाती है, इसीलिए हम दीपावली का स्वागत धूमधाम से करते हैं। मैं दीपावली के तीनों दिन, बंगलोर के अपने निवास स्थान में बिताने की पूरी कोशिश करती हूं। इसे मैं 'होम कमिंग' कहती हूँ। मेरा पूरा वर्ष बहुत व्यस्तता से बीता, जिसमें ज्यादातर समय मैं जर्नी में ही रही। दीवाली फेवरेट त्योहार है मेरा और मेरे पूरे परिवार का भी। यह कितनी दिलचस्प बात है कि मेरे परिवार के सभी सदस्यों का नाम उजियारे के प्रतीक स्वरुप है। पापा का नाम प्रकाश, मम्मी का नाम उज्ज्वला, बहन का नाम अनिशा और मेरा नाम दीपिका है। मेरे लिए दीवाली का अर्थ है ब्राइटनेस, फेस्टिव फरवर, फैमिली, फ्रेंड्स, पॉजिटिविटी, हैप्पीनेस और अब तक जो हासिल किया, उसके लिए ग्रैटिट्यूड। एक जमाने में हम अपने बिल्डिंग के कंपाउंड में अपने पड़ोसी और लोकैलिटी के फ्रेंड्स के साथ दिवाली मनाते थे। वह दो दिन हमारे परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने परिवार को समर्पित रहते हैं। उन दिनों मेरे पास फुर्सत थी। मैं मॉम को घर सजाने में, फूलों की लड़ियां लगाने में, किचन में दिवाली के स्वीट्स तैयार करने में हाथ बटाया करती थी। शाम को दरवाजे की एन्ट्रेन्स में रंगोली बनाने का काम सिर्फ मेरा था। रात होते ही पूजा के बाद पड़ोसियों और उनके बच्चों के साथ नीचे उतरकर पटाखे फोड़ने का हंगामा शुरू हो जाता था। हम बच्चे सभी खतरनाक बम पटाखे या लड़ी बम नहीं जलाते थे। वह काम बिल्डिंग और घर के बड़े सदस्य ही करते थे। मुंबई आकर फिल्म स्टार बनने के बाद की दिवाली मेरे लिए और भी स्पेशल बन गई क्योंकि मेरी पहली फिल्म 'ओम शांति ओम', दीवाली पर ही रिलीज हुई थी। अब वक्त के साथ हम अपने पर्यावरण को बचाने के लिए, कुछ परंपराओं में थोड़ा फेर बदल कर रहे हैं। अब इको फ्रेंडली दीप, पटाखों की तरफ हम अग्रसर हैं। रंगोली मैं आज भी बनाती हूँ लेकिन पटाखे नहीं फोड़ती। इस बार भी बंगलुरु जाने का कार्यक्रम है। मायापुरी के पाठकों को दीपावली की ढेरों शुभकामनाएँ।
दीपावली मेरे लिए 'होम कमिंग'- दीपिका पादुकोण
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