हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मै अपने पैतृक गाँव बभालगाँव (लातूर) में अपने परिवार के साथ दीवाली मनाने जाऊँगा। बचपन में वहाँ दीवाली की जो धूम हमने मनाई वो आज भी याद है। वहाँ दीवाली की खास ट्रेडिशनल पकवाने, घर पर, परिवार की स्त्रियां अपने हाथों से बनाती और सबको बांटती है। करंजी, चकली, बेसन के लड्डू, टेस्टी बादाम नारियल वाले चिवड़ा, मोदक मिठाइयां, उफ़, क्या क्या बताऊँ?? उन्हें मुँह में रखते ही दीवाली का सच्चा स्वाद और आनंद आ जाता है। मुम्बई के घर पर भी दीवाली का एक दिन हम जरूर मनाते है। घर को डेकोरेट करना, हर चीज़ नयी लगाना, दोस्तों को निमंत्रित करना, दोस्तों के घर पार्टी में जाना यह हर वर्ष का रिचुअल है। अब हम पटाखे नहीं फोड़ते। पहले ही ध्वनि और एयर पॉल्युशन बहुत है। अब दीवाली आनंद, प्रार्थना, सौंदर्य, प्रेम और लजीज पकवानों के साथ मनाना चाहिए। हैप्पी दीवाली आप सब पाठकों को, सेफ एंड स्वीट दीवाली मनाइये।
'अपने गांव में मनाता हूं दीवाली' रितेश देशमुख
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