-शान्तिस्वरुप त्रिपाठी
मंुबई के माहीम इलाके में कोंकणी ब्राम्हण परिवार में जन्मी ईषा कोप्पीकर किसी परिचय की मोहताज नही है। वह मषहूर माॅडल, अभिनेत्री,राजनीतिज्ञ व अंत्राप्नोर हैं। इन दिनों वह राम गोपाल वर्मा निर्मित और अगस्थ्य मंजू के निर्देषन में बनी वेब सीरीज ‘‘दहानम’’ को लेकर चर्चा में हैं। जो कि 14 अप्रैल से ‘एम एक्स प्लेअर’ पर प्रसारित हो रही है।
प्रस्तुत है ईषा कोप्पीकर से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंष...
आपके फिल्मी कैरियर में टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे?
क्या कूल हैं हम ,षबरी, एक से बढ़कर एक.डी आदि फिल्में मेरे कैरियर में टर्निग प्वाइंट्स रही।
आपके उपर ‘खल्लास गर्ल’ के अलावा ‘पुलिस अफसर’ की ईमेज चस्पा है?
सर... मुझ पर कई इमेज चस्पा है। मैने अब तक जो भी किया, वह सब लोगो को अच्छा लगा। मुझे लगता है कि यह अच्छी बात है। पुलिस हो या ‘कृष्णा काॅटेज’ की दिषा नामक भूत हो,‘एक विवाह ..ऐसा भी ’की चांदनी हो, इन सभी में मुझे बहुत पसंद किया गया और लोग आज मुझे इन्ही नामों से बुलाते भी हैं।
जब आपको वेब सीरीज ‘‘दहानम’’ का आफर मिला, तो आपको किस बात ने इंस्पायर किया?
पहली बात तो इस सीरीज के निर्माता राम गोपाल वर्मा से मेरा काफी पुराना संबंध है। मैंने उनके साथ ‘डार्लिंग’ और ‘षबरी’ के दस वर्ष बाद काम किया है। राम गोपाल वर्मा पर मुझे इतना यकीन है कि मैं उनसे कभी सवाल नही करती। उन्होने मुझे अपनी हर फिल्म में एक नया रूप दिया। जब उन्होने ‘खल्लास’ गाने मंे मुझे पेष किया था, तो मुझे कभी लगा नहीं था कि मैं इतनी ग्लैमरस व हाॅट दिख सकती हॅूं। इससे पहले मैने फिल्मों मंे नेक्स्ट डोर गर्ल के ही किरदार निभाए थे। ‘खल्लास’ के बाद उन्होेने मुझे एक बार फिर ‘डार्लिंग’ में घरेलू लड़की बनाकर पेष किया। ‘षबरी’ में डिग्लैरस किरदार दिया। फिर ‘गैंगस्टर’ में एक अलग रूप दिया और अब ‘दहानम’ में बहुत ही अलग तरह का पुलिस अफसर का किरदार दिया है। जब रामू जी ने मुझे ‘दहानम’ का आफर दिया, तो मैने उनसे सवाल नहीं किए। क्यांेकि मुझे पता था कि यदि यह पुलिस अफसर है,तो इसमें कुछ अलग बात होगी।
अब तक आपने कई फिल्मों मंें पुलिस अफसर का किरदार निभाया है। उनसे ‘दहानम’ की पुलिस अफसर किस तरह अलग है?
अब तक आपने मुझे पुलिस अफसर के किरदार में जितना देखा है, वह सभी काॅमेडी वाले पुलिस अफसर थे। फिल्म ‘क्या कूल हैं हम’ सिच्युएषनल फिल्म में मेरा सिच्युएषनल काॅमिक किरदार था। वेब सीरीज ‘फिक्सर’ में भी काॅमेडी की थी। मगर ‘दहानम’ में काॅमेडी के लिए कोई जगह नही है। इसमें काफी खून खराबा व एक्षन है। बहुत षंात स्वभाव है। पर वह फ्रस्टेट भी है,क्योंकि वह जो कुछ करना चाहती है,वह कर नही पाती। तो वह काफी फ्र्रस्ट्ेटेड है।
तो इसमें आपने एक्षन भी किया है?
जी हाॅ! किया तो है, मगर थोड़ा बहुत ही एक्षन किया है।
दस साल बाद राम गोपाल वर्मा के साथ काम करते हुए आपने उनमें क्या बदलाव देखा?
पहली बात तो इस सीरीज मंे वह निर्देषक नही सिर्फ निर्माता हैं। उनमें कोई बदलाव नही आया। मुझे लगा ही नही कि मैं उनसे दस वर्ष बाद मिली हॅूं। लेकिन मुझे उनसे षिकायत है कि उन्होेने मुझे निर्देषित नहीं किया।
इसके अलावा क्या कर रही हैं?
दो वेब सीरीज और दो फिल्में जल्द आने वाली हैं।
जब फिल्म सिनेमाघर मंे रिलीज होती है,तो दो घ्ंाटे के अंदर ही कलाकार के तौर पर रिस्पांस पता चल जाता है,मगर वेब सीरीज में ऐसा नही होता?
उत्साह और जिज्ञासा तो रहती है।
सिनेमा में आ रहे बदलाव को आप किस तरह से देखती हैं?
अच्छा है। अब लोग नए नए कटेंट पर सिनेमा बना रहे हैं। लोग प्रयोग करने को तैयार हैं और दर्षक उन्हे देखने के लिए तत्पर हैं।