‘भाबीजी घर पर हैं’ से रोहिताश गौड़ (मनमोहन तिवारी)
‘‘भले ही पिछले कई सालों में कानून व्यवस्था में बदलाव आया हो, लेकिन मुझे लगता है कि आम आदमी को जब भी न्याय की जरूरत होती है, उन्हें अभी भी संघर्ष करना पड़ता है। यह लड़ाई अंतहीन है और कई लोगों को इसने मायूसी में छोड़ दिया है। नये जमाने के भारत की सच्ची तस्वीर पेश करने के लिये, मुझे अभी भी लगता है कि हमारे कानून को और भी ज्यादा आगे बढ़ने की जरूरत है, ताकि हमारे देश के नागरिकों को सुरक्षा और सहयोग मिल सके। जब बात महिलाओं की आती है तो कानून को और भी सख्त होने की जरूरत है और सजा और भी ज्यादा कड़े होने चाहिये। तभी हम सही मायने में एक संयुक्त देश होंगे।
‘भाबीजी घर पर हैं’ से शुभांगी अत्रे (अंगूरी भाबी)
‘‘26 जनवरी हमेशा ही पुरानी कई सारी यादों को ताजा कर देता है, जब बचपन में हम झंडा फहराने के कार्यक्रम के लिये तैयार हुआ करते थे और सही मायने में इस बात को महसूस करते थे कि इस दिन का भारत के इतिहास में क्या महत्व है। एक भारतीय के रूप में गर्व होने के नाते, मेरे मन में हमेशा ही भारतीय संस्कृति और इतने सालों में हमारे अंदर जो मूल्य डाले गये हैं, उसको लेकर गहरी श्रद्धा रही है। हालांकि, अभी हम उस तरह के राष्ट्र होने से काफी दूर हैं, जब हर भारतीय को भारत का नागरिक होने पर गर्व हो। एक भारतीय के रूप में मैं महिलाओं के विकास की दिशा में योगदान देने का संकल्प लेती हूं। साथ ही मैं संकल्प लेती हूं कि मैं अपने देश के अनाथ बच्चों की मदद करने जितनी हो सके मदद करूंगी। छोटी-छोटी चीजों के जरिये मैं आज के समय में महिलाओं के प्रति समाज की सोच को बदलने का संकल्प लेती हैं और किस तरह वह देश के विकास में मदद कर सकते हैं इस बारे में बताने का।’’
‘हप्पू की उलटन पलटन’ से कामना पाठक (राजेश)
‘‘सालों पहले जब भारत का संविधान बना था, तब से लेकर अब तक भारत ने काफी लंबा सफर तैयार किया है। हर नागरिक को यह महसूस करने का मौका देने के लिये कि उन्हें भारतीय होने पर गर्व है काफी सारे कानून लागू किये जाने से लेकर, भारत होने की सोच में बदलाव और खुलापन आया, ताकि इसके नागरिकों का हर संभव रूप में विकास हो सके। हम केवल उस विकास की लौ को जलाने में अपना योगदान दे रहे हैं। इससे भी ज्यादा, भारत के एक नागरिक के रूप में हमें एक-दूसरे की मदद के लिये आगे आना चाहिये। हममें से ज्यादातर लोग दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के दौरान चुप्पी लगाना ही सही समझते हैं और चाहते हैं कि उसमें उलझें ना। देश को एक सूत्र में बंधा हुआ देखना किसी आशीर्वाद से कम नहीं है। कहने का मतलब है कि मुझे वाकई उम्मीद है कि यह देश जल्द ही अपने वास्तविक स्थिति में आ जायेगा और शांति कायम होगी।’’
‘गुड़िया हमारी सभी पे भारी’ से सारिका बहलोरिया (गुड़िया)
‘‘देशभक्त का पर्याय है देश की महत्वपूर्ण उपलब्धियों का जश्न मनाना है और गणतंत्र दिवस ऐसा ही एक दिन है, लेकिन हमें अपनी देशभक्ति को सिर्फ एक दिन तक सीमित करके नहीं रखना चाहिये। आज मैं यह संकल्प लेती हूं कि एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते अपने सामने होने वाले किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाऊंगी, चाहे वह बात कितनी भी छोटी क्यों ना हो। हमारा लक्ष्य होना चाहिये कि भारत को सबसे अद्भुत और खूबसूरत देश बनायें, जिसका हमने सपना देखा है। इस दिन से जुड़ी सबसे अच्छी यादें हैं, जब हम स्कूल में इसे मनाया करते थे। हम तीन रंग के कपड़ों में तैयार हुआ करते थे और स्किट तथा डांस से भरी परफॉर्मेंस देते थे।’’
‘कहत हनुमान जयश्रीराम’ से स्नेहा वाघ (अंजनि)
‘‘हमने भारतीय संविधान के 71 गौरवशाली साल पूरे कर लिये हैं और हर साल भारत को आगे बढ़ते हुए देखना गौरवपूर्ण क्षण से कम नहीं। इससे मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है कि मेरे देश ने कितनी तरक्की कर ली है और इतने सालों में किस तरह हम एक हुए हैं। हालांकि, हमें रास्ता नहीं बदलना है, उस राह पर और भी आगे बढ़ते जाना है। पिछले कुछ सालों में साक्षरता दर बढ़ी है, लेकिन सबके लिये शिक्षा पर अभी भी काफी ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है और मुझे ऐसा लगता है कि एक नागरिक के तौर पर हम हमेशा इस बड़ी तरक्की में अपना योगदान दे सकते हैं। इस गणतंत्र दिवस मैं संकल्प लेती हूं कि मैं भारत को शिक्षित बनाने में मदद करूंगी, मेरे आस-पास जिन लोगों को भी शिक्षा की जरूरत होगी, मैंं अपना योगदान दूंगी।’’
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