राजेश खन्ना एक ऐसे कलाकार है सदा न्यूज में रहे है चाहे वह टॉप पर रहे हो या फ्लॉप! उन्हें अपने आपको न्यूज में रखने का गुर आता है।
आज जबकि डिम्पल कापड़िया फिल्मों में आने के बावजूद फ्लॉप सिद्ध हुई हैऔर उधर राजेश खन्ना ने अपनी जाती फिल्म ‘अलग अलग’ (जिसके बारे में लोगों का यह विचार था कि मजनून की तरह वह भी नहीं बनेगी) पूरी कर ली है तो हर फिल्मी पत्र–पत्रिका में राजेश खन्ना की ही चर्चा हो रही हैं।
जैड.ए.जौहर
इसी लिये ‘अलग अलग’ की शूटिंग में दोनों कश्मीर में ‘अलग–अलग’ ही रहे
एक और जहाँ यह खबर है कि डिम्पल राजेश खन्ना के पास वापस आना चाहती है। वहीं दूसरी ओर यह भी उड़ा हुआ है कि राजेश खन्ना और टीना मुनीम की अब शादी नहीं होगी।
दोनों के संबंधों में दरार पड़ चुकी है। इसी लिये ‘अलग अलग’ की शूटिंग में दोनों कश्मीर में ‘अलग–अलग’ ही रहे।
उस दिन सेठ स्टूडियों में राजेश खन्ना फिल्म ‘नजराना’ की शूटिंग कर रहे थे। वहीं उससे बातचीत करने का अवसर मिला तो हमने बातों में राजेश खन्ना से पूछाः—
ऐसे हालात में आपने प्रोडक्शंन शुरू करने की सरदर्दी कैसे कुबूल की? कहाँ से प्रेरणा ली?
फिल्मों में 2 वर्ष गुजारने के पश्चात फिल्म मेकिंग मेरे लिए सरदर्दी का काम नहीं था। मैं बहुत अर्से से फिल्म बनाने का विचार कर रहा था।
किन्तु जब पाकिस्तानी फिल्म ‘मेहरबानी’ वीडियो पर देखी तो मुझे ‘अलग अलग’ बनाने की प्रेरणा मिली। इसे शुरू करने में देर जरूर लगी किन्तु मैंने इसे रिकाॅर्ड समय में पूरा किया है।
हालाँकि लोगों ने बहुत–डराया था।
बतौर निर्माता आपका अनुभव कैसा रहा?
जब मैंने प्रोडक्शन शुरू किया तो मुझे इस बात का अहसास था कि मैं एक्ंिटग के अलावा जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारियाँ उठा रहा हूँ।
किन्तु मुझे जैसा यूनिट मिला है मैं नहीं समझता कि इस से अच्छा और कोई यूनिट हो सकता था। हर आदमी प्रोफेशनल है और अपने दिमांग में एक्सपर्ट है।
जिसके कारण मुझे इसके कारण किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई। मैंने तमामतर समस्याओं और टेन्शन को फेस किया है। किन्तु मुझे इस में बड़ा मजा आया है।
अलग अलग में जरीना वहाब के नाम की भी घोषणा हुई थी। किन्तु उसने फिल्म छोड़ दी। इस का क्या कारण था?
जरीना वहाब को मैंने ही साईन किया था और मैंने ही उसे छोड़ा है। उसने फिल्म नहीं छोड़ी। फिल्म में जरीना की वैम्पिश भूमिका थी। इसलिए उसके स्थान पर बिन्दु को साईन किया गया।
च हमने सुना है कि ‘ऊँचे लोग’ की तरह ‘अलग अलग’ भी पाकिस्तानी फिल्म ‘मेहरबानी’ की कॉपी है। आपने भी कहा है कि इसी से प्रेरित होकर ‘अलग अलग’ शुरू की है। क्या यह सच है?
प्रेरणा लेना और कॉपी करने में बड़ा अंतर है। ‘मेहरबानी’ से प्रेरणा ली है किन्तु ‘अलग अलग’ उसकी नकल नहीं है। यह उससे अलग फिल्म है।
सुना है निर्माण के बाद अब आप निर्देशन में भी पदार्पण करना चाहते हैं। क्या यह सच है?
जी हाँ! यह सच है। मैंने उसके लिए एक स्क्रिप्ट पसन्द कर लिया है।
बतौर फिल्मकार आप कैसी फिल्में बनाना चाहते हैं?
मैं रोमांटिक हीरो रहा हूँ। और आज एक्शन फिल्मों की अपेक्षा रोमांटिक फिल्में ही लोग अधिक पसन्द करने लगे हैं। इसलिए मैं रोमांटिक फिल्में ही बनाऊँगा।
क्या आर्ट फिल्म बनाने का कोई इरादा नहीं है जैसे कि शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा ने कोशिश की थी?
बैनर स्टैब्लिड होने के पश्चात अगर फिल्में बॉक्स आफिस पर चमत्कार दिखातीं रहीं तो इस दिशा में भी फिल्म बनाने पर विचार करूँगा किन्तु फिलहाल ऐसा कोई इरादा नहीं है।
इसका मतलब है आपने फिल्म निर्माण कला की सेवा या अपने अन्दर के कलाकार की संतृ्ष्टि के लिए नहीं बल्कि पैसे कमाने के लिए शुरू किया है?
हर कोई जो पैसे लगाता है वह पैसों की वापसी भी चाहता है। पैसा गँवाना कौन पसन्द करता है। आज शशि कपूर आर्ट की सेवा करके कितने खुश हैं आप उनसे मालूम कर सकते हैं।
आपके बारे में मशहूर है कि आपने अपने निर्माताओं को बहुत परेशान किया है। कभी सैट पर वक्त पर नहीं आते सिवाये मद्रास के! अब जबकि निर्माता बनने के पश्चात आपको उसकी परेशानियों का ज्ञान हो गया है तो आपको अपने इस व्यवहार पर पछतावा होता है?
पछतावा कैसा? कलाकार तो कलाकार होता है क्लर्क नहीं होता कि 10 बजे से 6 बजे तक ड्यूटी बजाये। कलाकार तो मूडी इन्सान होता है।
अगर उसे किसी प्रकार के बंधनों में बाँधने का प्रयास किया जाए तो उसका नतीजा अच्छा नहीं निकलता। राजेश खन्ना ने कहा।
रही बात मद्रास की तो आप उनकी तरह प्लानिंग करके फिल्म बनाईये वैसे साधन जुटाइये मैं यहाँ भी समय से पूर्व सेट पर हाजिर हो सकता हूँ।
जब मैं वहाँ समय का पालन कर सकता हूँ तो यहाँ भी कर सकता हूँ।