डा. सुुदीप रंजन सरकार बेसिकली साइक्लॉजिस्ट हैं। इसके अलावा उन्हें पेंटिग और कविता लिखने का भी शौक रहा है। चार पांच साल पहले किसी रिसर्च पर उन्हें मौजूदा फिल्म ‘ अमफार्मिंग द ट्रांसफॉर्मेशन’ का आइडिया आया । फिल्म और अपने आपको लेकर क्या कहते हैं डा. संदीप ।
करीब चार पांच साल पहले मैं इन्टरनेट पर एक टॉपिक को लेकर रिसर्च कर रहा था। उस दौरान वर्ल्ड वॉर में जो सोल्जर मौत को धोखा देकर आये थे, उनसे पूछा गया था कि अब आपके लिये जिन्दगी का महत्व क्या है। तो उनका जवाब था कि हम जिन्दा हैं हमारे लिये यही सबसे बड़ी बात है। दूसरी तरफ जिन्दगी की भाग दौड़ में हमें मौत का एहसास नहीं होता यानि वह दिखाई नहीं देती। फिर चाहे वह किसी हमारे रिश्तेदार की मौत हो या किसी अपने की। लेकिन जब मौत हमारे नजदीक होती है चाहे वह बीमारी के तहत हो या किसी और तरह से तब आपको उसका एहसास होता है। फिल्म का नायक भी किसी हादसे से गुजरता है, उसके बाद उसकी जिन्दगी पूरी तरह बदल गई । मैं फिल्म का नाम अमफार्मिंग की जगह बदलाव रख सकता था तो यह एक्शन हिन्दी फिल्म लगती। वैसे मैने फिल्म को पूरा नाम दिया हैं ‘अमफार्मिंग द ट्रांसफॉरमेशन’ मैं यह भी जानता हूं कि हमारी फिल्मों की ऑडियेंस की ज्यादा तादाद हिन्दी है लेकिन मैने यह फिल्म सुल्तान या बजरंगी भाई की ऑडियेंस की लिये नहीं बनाई है ।
फिल्म की शूटिंग तीस दिन में कंपलीट कर ली गई। फिल्म का आधा भाग कोलकाता में फिल्माया गया और बाकी हिस्सा मक्लायडगंज जो धर्मशाला के काफी ऊपर पहाड़ पर बसा हुआ है, जहां दलाई लामा रहते हैं । अगर बात आती है बजट की तो यह डिपार्टमेंन्ट प्रडयूसर रीता जी का है। मुझे इतना पता है कि उन्होंने मेरी सारी रिक्वॉरमेन्ट पूरी की। इससे पहले मैने एक शॉर्ट कम डॉकूमेन्ट्री फिल्म बनाई थी जो अभी तक अट्ठाईस एवार्ड जीत चुकी है । उसका नाम है ‘ नेती नेती नॉट दिस नॉट दिस’। इस फिल्म से मुझे देश विदेश में काफी नाम और इज्जत हासिल हुई। मुझसे अक्सर पूछा जाता हैं कि आप एन्टरटेनमेन्ट फिल्म आगे बनायेगें या बनाना ही नहीं चाहते। तो उसके लिये मेरे पास जवाब है कि मेरे लिये पेंटिग्स या एक अच्छी कविता को लेकर बातचीत करना मनोरजंन है क्योंकि मैं कमर्शियल बेस्ड मूवी में बिलीव नहीं करता। हां मैं अपनी फिल्म में कमर्शियल स्टार्स ले सकता हूं ।
कहानी को लेकर बात की जाये तो यह एक ऐसे मौंके की जर्नी हैं जिसे वह सब नहीं मिल पा रहा है, जिसकी उसे खोज है, लेकिन जब वह शहर पहुंचता है तो उसे पता चलता है जिसकी उसे तलाश थी उसका जन्म वैश्यालय में हुआ था । दूसरी तरफ एक फीमेल बिल्डर है जो अपनी लड़ाई या मैन्युपोलेशन के पीछे अपने परिवार का जिक्र करना नहीं भूलती यानि वह जताना चाहती है कि यह सब वह अपने परिवार के लिये कर रही है लेकिन जब उसे अपने माता पिता के बारे में पता चलता है तो उसके लिये भी जिन्दगी के मायने बदल जाते हैं । इन दोनों कहानीयों को जोड़ता हैं एक वैश्यालय। लेकिन फिल्म में वैश्यालय या वैश्याएं होते हुये भी कहीं भी कोई वल्गैरिटी या नंगापन नहीं दिखाई देगा ।
फिल्म की स्टार कास्ट है साउथ इंडियन अभिनेत्री अक्षया राव तथा मराठी फिल्मों के जाने माने नाम सुशील भोंसले, तथा अतुल महाजन। इनके अलावा संजय भाटिया, बंगाली फिल्मों की नायिका पारिजात चक्रवर्ती और नेहा कपूर मॉडलिंग और टीवी की दुनिया से है। यह कास्ट मैने इसलिये ली क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि लोग स्टार्स को नहीं फिल्म के किरदारों को देखने जाये।