लिपिका वर्मा
श्रद्धा कपूर ने भले ही अपनी डेब्यू फिल्म, “तीन पत्ती” में अपनी धाक न जमाई हो किन्तु फिल्म, “आशिकी 2” करने के बाद उन्हें फिल्मी दुनिया में एक अलग पहचान जरूर मिल गयी है। अब अपनी फिल्म, “बागी” को लेकर भी वह काफी उत्साहित हैं।
लिपिका वर्मा के साथ एक अनूठी भेंटवार्ता में श्रद्धा ने दिल खोल के बातें की –
आप के लिए बागी का क्या मतलब है और आप कब कब बागी हुई हैं ?
किसी अच्छी बात के लिए अपने कदम अडिग रखना ही बागी कहलाता है। मैं किसी अच्छे कारण से ही बागी हुई हूँ और बागी होना दोनों आदमी और औरत का बराबर का हक है। हर किसी के अपने कारण होते हैं बागी होने के और यदि मैं किसी भी चीज़ के सही कारण देखती हूँ तो उसके लिए बागी होना कोई गलत नहीं होता मेरे हिसाब से।
कुछ बागी होने के कारण बताएं ?
मैं मुंबई स्कूल में अपनी पढ़ाई करने के बाद बाहर देश जाना चाहती थी और मेरे मम्मी पापा मुझे बाहर जाने नहीं दे रहे थे। किन्तु मैंने उन्हें मना ही लिया और फिर बाहर देश जाकर मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की। दरअसल में जब भी मेरा कुछ अच्छा करने का मन हो तो मैं उसे किसी भी कीमत पर करना चाहती हूँ।
कुछ हंस के बोली, “एक बारी मैंने अपनी परीक्षा में भी चिटिंग की थी और पकड़ी भी गयी थी। मेरी मम्मी को स्कूल में बुलाया भी गया था और प्रिंसिपल ने मेरी शिकायत की मेरी माँ से। इस बात से मुझे सजा भी भोगनी पड़ी। माँ ने भी इस बात की मंजूरी नहीं दी और वह भी मुझ से कुछ समय के लिए गुस्सा रही। जाहिर सी बात है, इस तरह के बागिपन को कोई भी कभी भी नहीं सराहेगा।
तो क्या आपके माता – पिता स्ट्रिक्ट थे ?
नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी। मेरी माँ मेरी सब से चहेती सेहली हैं और पापा भी मेरे दोस्त ही हैं। मैं अपनी माँ से हर बात शेयर करती हूँ। पर हाँ कुछ चीजों के लिए पापा स्ट्रिक्ट हैं। दरअसल मेरे पिताजी मुझे लाड भी बहुत करते हैं।
बागी की कहानी क्या है ?
यह ऐसे दो बागी व्यक्तियों की कहानी है जिसे आप देख कर ही बेहतर समझ पाएंगे। यह फिल्म रोमांस, रोमांच और ड्रामा एवं एंटरटेनमेन्ट से भरपूर है।
आप ने इस फिल्म में एक्शन भी भरपूर किया है, मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा ?
जी हाँ मुझे मार्शल आर्ट्स की ट्रैनिंग लेनी पड़ी। लेकिन, क्यूँकि मैंने अपनी पिछली फिल्म ‘एबीसीडी 2’ में भी काफी व्यायाम किया हुआ था तो मेरे मसल्स को एक्शन सीन्स करने में काफी आसानी रही। हाँ मेरा चरित्र काफी चैलेंजिंग था। एक्शन सीन्स में बॉक्सिंग और पंचिंग भी होती है सो उसे करने में भी मैंने बहुत आनंद लिया।
टाइगर आपके स्कूल का साथी है काम करने में मजा आया होगा ?
जी हाँ हम दोनों एक ही स्कूल से पास आउट हुए हैं, तो टाइगर के साथ काम करने में काफी कम्फ़र्टेबल लगा। टाइगर एक बहुत ही सुशील और अच्छा सहयोगी है।