मायापुरी अंक 12.1974
दिलीप कुमार और ‘मुगले-आजम’ के निर्माता के. आसिफ में गहरी छनती थी। अब फिल्मी लोगो को आदत है कि रोमांस तो एक से करते है, शादी कही और करेगे.(उदाहरण राजेश खन्ना) आसिफ साहब ने भी इधर-उधर रोमांस लड़ाने के पश्चात दिलीप कुमार की बहन अख्तर से शादी कर ली। इस शादी से दिलीप को ऐसा गहरा धक्का लगा कि वह कई सप्ताह फिल्मों में काम नही कर सके उन्होनें के. आसिफ को ‘आस्तीन का सांप कहा। दिलीप का बस चलता तो के. आसिफ को चौराहे पर बंधवा कर शिकारी कुतों से नुचवा देता। अब मुझे बताइये, के. आसिफ के पासा क्या नही था? स्वास्थ्य या पैसा ? (चरित्र की बात हमने जान बूझ कर छोड़ दी है। फिल्म जगत में चरित्र नाम की कोई चीज नही होती ) मगर नही, दिलीप साहब अपनी बहनियां को फिल्मी हंगामे से दूर कही और ब्याहना चाहते थे।
राजकपूर की बेटी रितू बड़े आराम से हीरोइन बन सकती थी। देवानंद की बेटी देवना को हीरोइन बनने के लिए मम्मी या पापा की सिफारिश की जरूरत नही पड़ेगी। मगर एक की शादी दिल्ली में हो गई, दूसरी मंसूरी के एक स्कूल में पढ़ रही है। क्या बम्बई में अच्छे पब्लिक स्कूल नही है।