रेटिंग**
हिन्दू मुस्लिम भाई चारा या उनमें धर्म को लेकर आपसी बैर। ये विशय हमारी फिल्मों के लिये अब लगभग बासी हो चुका है। बावजूद इसके आज भी इस विशय पर लगातार फिल्में बन रही हैं। स्वतंत्र विजय सिंह और व्यास वर्मा द्धारा निर्मित तथा जीतेन्द्र तिवारी वी पी. सिंह द्धारा निर्देशित फिल्म ‘शोरगुल’ भी इसी विषय पर बनी ऐसी फिल्म है जिसमें सभी जाने पहचाने तथ्य मौजूद हैं।
कहानी
यूपी की राजनीति में विधायक जिम्मी शेरगिल हिन्दू मुस्लिम के बीच तनाव पैदा कर तथा धर्म के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने के लिये मशहूर है। दूसरी तरफ पंडित जी यानी आशुतोष राणा इन्सानियत को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं । इसलिये उनकी दोनो पक्ष इज्जत करते हैं। उनका राजनीति हल्कों में इतना असर है कि जिम्मी को भी उनके सपोर्ट की जरूरत पड़ती है। पंडित जी के पड़ोस में एक मुस्लिम परिवार रहता है। जिसका उनके साथ इतना अच्छा भाई चारा है कि पंडित जी का बेटा और पड़ोस की मुसलमान बेटी सूहा गेजेन दोनों बचपन के साथी हैं इसलिये आज भी दोनों एक साथ कॉलेज जाते हैं। इसी बीच लड़का सुहा से प्यार करने लगता है लेकिन सुहा उसे सिर्फ अपना दोस्त समझती है। सुहा का निकाह एक मुस्लिम परिवार के बिजनिसमैन हितेन तेजवानी से तय हो जाता है। हितेन एक पढ़ा लिखा समझदार युवक है जो धर्म वगैरह में बिलीव नहीं करता। जबकि उसका चचेरा भाई एजाज खान इस्लाम के कुछ और ही मायने मानता है लिहाजा वो हितेन को सुहा और पंडित जी के बेटे के खिलाफ भड़काता रहता है । एक बार जब सुहा अपने दोस्त को बुलाकर समझाने की कोशिश कर रही है। उसी दौरान एजाज हितेन को लेकर वहां पहुंचता है और पंडित के बेटे की हत्या कर देता है । इस बात का फायदा उठाते हुये जिम्मी शहर में हिन्दू मुस्लिम दंगे करवा देता है और दंगे की आड़ में पंडित जी की भी हत्या करवा देता है। सुहा किसी तरह बच जाती है । लेकिन एक दिन वो सैंकड़ों लोगों को दंगों की आग में झौंकने वाले नेता जिम्मी की हत्या कर देती है ।
निर्देशन
कहानी हाल में हुये मुज्जफर नगर दंगो से काफी प्रभावित दिखाई देती है । फिल्म में जाने पहचाने तथ्य हैं लेकिन उन्हें फिल्म के किरदार असरदार बनाने की भरपूर कोशिश करते हैं। पटकथा धीमी और संवाद साधारण हैं। फिल्म जो कहती हैं उसे सुन सुन कर दर्शक उकता चुके हैं इसलिये वे फिल्म से अंत तक नहीं जुड़ पाते। सुना है मुज्जफर नगर की एक मुस्लिम इकाई ने फिल्म के किरदार जिम्मी शेरगिल के खिलाफ पहले फतवा जारी कर फिल्म को विवाद में लाने की कोशिश की लेकिन बाद में पता चला कि फतवा वापस ले लिया गया।
अभिनय
फिल्म का एक ही उज्जवल पक्ष है उसकी कास्टिंग स्ट्रांग है। जिम्मी शेरगिल ग्रेशेड रोल बहुत बेहतरीन तरीके से निभाते हैं यहां भी एक मौंका परस्त नेता को उसने बढ़िया तरीके से निभाया। पंडित जी जैसे पॉजिटिव रोल आशुतोश राणा पर फबते हैं। जंहा हितेन तेजवानी ने एक सुलझे युवक को अच्छी अभिव्यक्ति दी वहीं एजाज खान ने नगेटिव रोल असरदार ढंग से निभाया। मुख्य भूमिका में सुहा गेजेन पर सोनाक्षी सिन्हा और टिस्का चोपड़ा की छाया है वो खूबसूरत लगने के अलावा अपनी भूमिका भी अच्छी तरह निभाने में सफल रही। दीपराज राणा हमेशा ही प्रभावित करते हैं यहां वे आइपीएस ऑफिसर की भूमिका में असरदार रहे जबकि उन्हें ज्यादा मौंका नहीं मिल पाया। इनके अलावा संजय सूरी,अनिरूद्ध दवे तथा नरेन्द्र झा आदि कलाकार भी असरदार रहे। आइटम सॉन्ग में हर्षिता भट्ट भी दिखाई दी ।
संगीत
ललित पंडित, निलादरी कुमार तथा अर्जुन नायर तीन संगीतकारों ने कहानी से मेल खाता म्युजिक तैयार किया ।
क्यों देखें
कलाकारों की अच्छी एक्टिंग के लिये फिल्म देख सकते हैं ।