यह लेख दिनांक 20-10-1996 मायापुरी के पुराने अंक 1152 से लिया गया है!
परी की तरह नाजुक सी नजर आने वाली ट्विंकल खन्ना वास्तव में बड़ी मजबूत किस्म की है, वह कहती है, “बचपन से ही मैं टाम ब्वॉय की तरह थी, लड़कों की धुनांई भी कर देती थी, और डांट पड़ने पर तब तक रोती नहीं थी जब तक कि- मुझे गुस्सा न जाए’।
सुलेना मजुमदार अरोरा
क्या आज भी आप वैसी ही हैं?
कुछ मैं बहुत जल्दी दुखी नहीं होती हूँ, छोटी-छोटी बातें मुझे निराश, हताश नहीं करती! हां, अगर कोई मेरा बहुंत अपना गुजर जाए तो मुझे बहुत दुख होता है, जब कुछ साल पहले मेरी मौसी का निधन हुआ था, तो मैं खूब रोई थी।
“क्या आज भी आप बचपन के दिनों की तरह गुस्सा करती, लड़ती झगड़ती हैं?
“बचपन की बात और थी, पर आज मैं अपना तेवर हर ऐरे-गैरे पर जाया नहीं करती! मेरी मम्मी और बहन के साथ ही कभी कभार छोटी बड़ी बात पर लड़ झगड़ लेती हूँ, खासकर चिंकी मेरी बहन के साथ, सच बताऊँ तो जिन्दगी का मजा-इसमें हैं, जरा देर बक झक करने के बाद हम फिर ऐसे घुल मिल जाते हैं जैसे दूध में शक्कर।
क्या कोई ऐसा दोस्त आपको नहीं मिला जो आपको अपने रंग से रंग सके?
यही तो बात है न, मैं किसी से इस कदर कभी प्रभावित नहीं होती कि अपना व्यक्तित्व, मिजाज, आदत छोड़ कर उसके रंग में रंग जाऊँ हर जगह हमेशा मेरी बात मानी गई।
मेरी मर्जी चली, शायद मैं अपने इरादों और वजूद में बहुत पक्की हूँ, मुझे अपने मन की करने से कोई नहीं रोक पाया आज तक।
छोटी सी बात भी मैं तब तक नहीं मानती जब-तक कि मुझे खुद वह बात सही न लगे! अगर मुझे जूते पहनने हैं, और मम्मी मना कर रही है तो, मैं जिद करके वही अपने पसंद के जूतें ही पहनूंगी।
“क्या पापा की तरह हैं आप?
कोशिश तो करती हूँ कि, उनकी तरह हूबहू मिलती जुंलती हरकतें न करूं, परं ऐसा हो नहीं पाता! काफी कुछ उनकी तरह ही हूँ। मुझे तो उनके मन की बातों का भी पंता चल जाता है, शायद एक तरह सोचते हैं हम।
फिल्म इंडस्ट्री की कुछ बिन्दास नायिकायें नाराज होने पर गाली गलौज पर उतर आती हैं, क्या आप भी?
नहीं नहीं, नाराजगी के आलम में तेवर झलकाना अलग बात है, और गाली देना अलग, मेरी परवरिश ऐसे-घर और ऐसे माहौल में हुई है, जहाँ गाली गलौज नहीं चलती।
इस बात के लिए मेरी मम्मी को धन्यवाद द्रेना चाहिए कि अकेले दम हमारी परवरिश उन्होंने इतनी अच्छी तरह की है कि, हममें अच्छे संस्कार, अच्छी आदत के गुण भरे हैं।
हम उन लड़कियों की तरह बर्ताव नहीं कर सकते, जो बात-बात पर गंदी गाली देती हैं, या जंगली बन जाती हैं
आपको कैसी जिन्दगी पसन्द है?
खुशगवार, टेंशन फ्री हँसना मेरे लिए ज्यादा आसान है, हँसी मेरे होठों पर जल्दी आती है! हँसने मुस्कुराने के लिए मुझे किसी के साथ की भी जरूरत नहीं, बस कोई मजेदार किताब होनी चाहिए हाथ में।
किस तरह की किताबें पसंद हैं, आपको ?
कार्टून के कॉमिक्स, मेरी अलमारी कॉमिक्स से भरी पड़ी है, मेरी सहेली दोस्तों को भी इस बात का पता है, इसलिए तोहफे में भी वे मुझे कॉमिक्स देते हैं।
आपको अक्सर गुस्सा किस बात पर आता है?
मैं पराये या अनजान लोगों पर गुस्सा नहीं करती मेरा पारा जल्दी चढ़ता भी नहीं है, पर कोई मेरे कन्धे पर बन्दूक रखकर अपना मतलब निकालने की कोशिश करे या बिना मतलब मुझे परेशान करे तो मैं अपंनी नाराजगी उस पर जरूर जाहिर करती हूँ और दोबारा उसका मुँह नहीं देखती!
आप फिल्मों में काम क्यों कर रही हैं?
मेरी इच्छा, मर्जी, शौक है, जाहिर है पैसों के लिए तो नहीं कर रही, लेकिन फिर भी मुझे मेरा डियू तो मिलना ही चाहिए, कोई यहाँ मुफ्त में काम तो करता नहीं!
क्या आपको स्वतंत्रता पसंद है?
मुझे मेरे हिस्से की स्वतंत्रता मिली है, मैंने वह किया जो मैंने करना चाहा, स्वतंत्रता मन की होनी चाहिए, ऐसा नहीं कि मैं जाकर कहीं अकेले रहने लगूँ, नहीं बाबा, बचपन से मैं एक भरे पूरे घर में पली बढ़ी हूँ।
जहाँ हर समय आस-पास कोई न कोई रहा है, मैं स्वतंत्रता पाने के लिए अकेले रहने की कल्पना भी नहीं कर सकती, मैं अपने परिवार के प्यार, स्नेह, ध्यान के बीच रही हूँ और इन एहसासों के बिना नहीं जी सकती।
“इसका अर्थ है आपको हर वक्त प्यार चाहिए?
हाँ, अपनों का प्यार, दोस्तों का प्यार, मैं भी तो पूरी लबालब भरी हूँ प्यार से, और मुझे इजहार करने में कंजूसी अच्छी नहीं लगती।
जब दोस्त मित्र या सहेलियों के साथ होती हूं तो हँसते, मुस्कराते, एक दूसरे पर गिरते पड़ते, पीठ पर धौल जमाते हुए वक्त गुजरता है, मैं अपना स्नेह, प्यार या लगाव जाहिर जरूर करती हूँ अपनी हरकतों से।
क्या आप रोमांटिक हैं?
“हाँ बहुत, सेमान्स कां अर्थ मेरे लिए, किसी से प्यार और विश्वास भरा साथ, कहीं दूर देश, रोमांटिक आबोहवा में, चाँदनी रात में साथ साथ डिनर लेना!
“क्या आप लापरवाह किस्म की हैं?
छोटी-छोटी बातों में लापरवाह जरूर हूँ, अक्सर लापरवाही से दौड़ते भागते हुए, मैं किसी चीज से टकरा जाती हूँ, कई बार किसी सामान से उलझ कर गिर भी पड़ती हूँ, चोट भी खा जाती हूँ सेज का किस्सा है, यह तो!
फूर्सत के क्षणों में क्या करती हैं?
“कॉमिक्स पढ़ती हूँ और देखती हूँ, मुझे डरावने भूत प्रेत की फिल्में बहुत पसंद हैं, रोंगटे खड़े कर देने वाली फिल्में या सस्पेन्स थिलर में बहुत मजा आता है!
बतौर अभिनेत्री आपके लक्ष्य क्या हैं?
मैं ऐसी स्टार एक्ट्रेस बनना पसंद करूंगी, जिसे दर्शक बार-बार देखना पसन्द करें, मैं अच्छी अभिनेत्री भी साबित होना चाहूँगी ।
क्या आपको खाने पीने का शौक है?
जो पसन्द हो, वही खाना अच्छा लगता है, मैं कैलोरी गिन के नहीं खा सकती!