मायापुरी अंक 41,1975
‘जूली’ की सफलता और नादिरा के बढ़िया अभिनय ने उन्हें फिर से मार्केट में खड़ा कर दिया है। आज फिर से प्रोड्यूसर की लाइन नादिरा के घर पर लग गई हैं। मैं जब मिला तो नादिरा की आंखो में आंसू आ गये और कहने लगीं
“कमाल है आज पच्चीस साल हो गये मुझें इस लाइन में, लेकिन ऐसा लगता है लोग मुझें अभी पहचानने लगे हैं लेकिन जैसे कि ‘ऑफर’ आ रहे हैं उससे मुझें डर है कि मैं ‘आंटी’ और ‘मम्मी’ के रोल के लिए ‘टाईप’ बन कर न रह जाऊं।“
हमें भी सुनकर बड़ा दुख हुआ। आदमी वही अदाकरी वही। सच है इस फिल्मी दुनिया का कोई भरोसा नही।