मायापुरी अंक 44,1975
जब आप किसी से बरसों से नहीं मिलें हों तो आपके दिमाग में उस आदमी की वही शक्ल रहती है जो बरसों पहले देखी होती है। कुछ ऐसा ही हुआ धर्मेन्द्र के साथ पुरानी एक्ट्रेस निगार सुल्ताना को देखकर। (आखिरी फिल्म मुगले-आज़म)
निगार सुल्ताना कभी बहुत ही सैक्सी हीरोइन मानी जाती थीं। एक जमाना था उनके नाम का बहुत हंगामा था। हमारे देश में लाखों उनका नाम ले- लेकर सपना देखा करते थे। धर्मेन्द्र उनमें से एक थे।
एक पिक्चर के लिए जब निगार सुल्ताना को शर्मिला टैगोर की मां के लिए साइन किया गया। उस फिल्म में धर्मेन्द्र हीरो थे जैसे ही उन्होंने सुना बड़ी खुश हुई।
स्कूल के समय में उनके सपने देखा करती थी। वह जोश से बोलीं।
लेकिन जब सैट पर दोनों मिले तो धर्मेन्द्र को बड़ी मायूसी हुई। निगार बूढ़ी हो चुकी हैं, बाल पक चुके हैं और मोटी भी हो गई हैं।
इससे तो अच्छा होता, मैं नही मिलता यार, आप ठीक कहते हैं भाई साहब, सपने सुहावने होते हैं। मैं ढांढस दी।