मायापुरी अंक 45,1975
आज किशोर कुमार का उतना ही क्रेज है जितना कि राजेश खन्ना का आज निर्माता उनसे गाना गवाने के लिए तड़पते हैं। और एक समय था कि यही किशोर कुमार फिल्मों में आने के लिए तड़पते थे। किंतु अपने बड़े भाई अशोक कुमार से दिल की बात कहते हुआ डरते थे। और बड़े भाई की इजाजत के बिना वह कुछ नही कर सकते थे। आखिर एक दिन अनूप कुमार और किशोर कुमार ने मिलकर अशोक कुमार को एक पत्र लिखा और डरते डरते अपना उद्देश्य थोड़े में लिख डाला कि उन्हें भी एक्टर बनने का शौक है। इसलिए यदि वे उचित समझें तो कही सिफारिश कर दें या उन्हें आज्ञा दें ताकि खुद किस्मत आजमाने की कोशिश करके एक्टर बन जाएं और वह पत्र अपनी नौकरानी के हाथ अशोक कुमार तक पहुंचा दिया।
वह नौकरानी थोड़ी देर के बाद उसका उत्तर लेकर आई। अनूप कुमार और किशोर कुमार ने बड़े बेसब्री और खुशी-खुशी वह पत्र पढ़ते ही दोनों के चेहरों का रंग उड़ गया। उसमें लिखा था
तुम दोनों गधे हो। फिल्मी दुनिया तुम जैसे गधों के लिए नही है। कोई और अक्ल की बात सोचो।
अशोक कुमार की उस समय की बात दोनों भाईयों को बुरी जरूर लगी किंतु स्वंय अशोक भी यह नही जानते थे कि एक समय आएगा कि जब खुद उन्हें इन गधों के साथ काम करना पड़ेगा। (फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ और ‘बढ़ती का नाम दाढ़ी’ आदि) परन्तु कमाल यह है कि अशोक कुमार किशोर कुमार के बारे में सदा ही निराश रहते थे और अनूप कुमार को आगे बढ़ाने की कोशिश किया करते थे। लेकिन किशोर कुमार ने लोकप्रियता में दोनों भाईयों को पछाड़ दिया।