मायापुरी अंक 19.1975
आज फिल्म सितारों की कीमतें आसमान को छू रही हैं। और वह अब किसी राजा-महाराजा की सी जिदंगी बिताते हैं। आज उनके लिए इम्पाला गाड़ियां खरीदना इतना ही आसान हो गया है जितना कि एक साधारण व्यक्ति के लिए साईकिल खरीदना। एक जमाना वह भी था जब फिल्म वालों को इतनी भारी कीमतें नही मिला करती थी। कई कई फिल्मों में काम करने के पश्चात प्रसिद्धि मिलने पर भी उन्हें बसों, ट्रामों और ट्रेनों में सफर करना पड़ता था। कभी आज की प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर को भी उस जमाने में केवल ट्रेन के थर्ड क्लास के कम्पार्टमेन्ट में सफर करना पड़ता था। यह उसी समय की बात है। लता को अपने गीत की रिकॉर्डिंग के लिए ट्रेन से मलाड़ जाना पड़ता था। जहां मुम्बई टॉकीज में उनके गानों की रिकॉर्डिंग हुआ करती थी। लता प्राय: एक नवयुवक को देखा करतीं थी जो ग्रांट रोड स्टेशन से ट्रेन पकड़ा करता था। वह रास्ते भर गुनगुनाता हुआ जाया करता था। उसके हलिये और चालढाल को देख कर लता सोंचा करती थी कि यह भी कोई हीरो बनने का शौकीन आवारा लड़का होगा। लेकिन एक दिन जब मुंबई टॉकीज पहुंची तो यह देख कर हैरान रह गई कि वही नवयुवक रिकॉर्डिंग रूम में मौजूद है। और उस समय तो लता के आश्चर्य की सीमा न रही जब संगीतकार ने उसे यह बताया कि मैं इस लड़के से प्लैबैक लेना चाहता हूं किन्तु यह मानता ही नही। बड़ी मुश्किल से संगीतकार उस नौजवान की नही नही की कसम तुड़वाने में सफल हुआ। जब उसने गाना रिकॉर्ड करवाया तो लता उससे प्रभावित हुए बिना न रह सकीं। आज वह नौजवान लता की तरह चोटी का गायक हैं।
अब आपको बता दूं कि वह नौजवान और कोई नही अपने रंग का अकेला गायक किशोर कुमार थे। उस संगीतकार का नाम था स्व. खेमचन्द प्रकाश यह बात लता को बाद में मालूम हुई कि वह नवयुवक अशोक कुमार का छोटा भाई हैं तब उन्हें और अधिक हैरानी हुई।