मायापुरी अंक 41,1975
नटराज स्टूडियो में शक्ति फिल्म्ज़ के कार्यालय में निर्माता-निर्देशक शक्ति सामंत से भेंट हो गई। वह लंच के समय आराम कर रहे थे कि हमने जा घेरा।
“कहते हैं आजकल हीरो फिल्म निर्माण में काफी हस्तक्षेप करते हैं विशेष कर कहानी में क्या यह सही है ?
“मुझें इसका विशेष अनुभव नही है।“ शक्ति दा ने संक्षेप में उत्तर दिया।
“हमने तो सुना था कि ‘अंजनी’ फिल्म आपने नॉवेल के अनुरूप बनाई गई थी किंतु राजेश खन्ना की दखल अंदाजी के कारण उसकी कहानी में परिवर्तन किया गया। क्या यह सही नही ?” हमने पूछा।
“नॉवेल का अंत दुखद था इसलिए राजेश ने उसका अंत बदलने की सलाह दी थी जो हम लोगों ने सर्वसम्मति से फिल्म के लिए हितकर मान कर स्वीकार कर ली थी। वरना राजेश इस नेचर के अभिनेता नही हैं।“ शक्ति दा ने बताया।
“क्या आप इस बात को मानते हैं कि किसी कलाकार को अधिक समय तक टिकने के लिए अपनी पिछली इमेज को तोड़ते रहना चाहिये ?” हमने पूछा।
यह बात किसी हद तक सही है। आपने देखा होगा ‘आराधना’ में राजेश ने डबल रोल किया था। और दोनों ही रोल्स में काफी अंतर था यही महमूद और प्राण आदि की सफलता का राज़ है।“ शक्ति दा ने कहा।
आपने कितने ही हीरों के साथ काम किया है क्या आप बता सकते हैं कि आपको किसके साथ काम करने में अधिक आनंद और संतोष प्राप्त हुआ है?” हमने पूछा।
मैंने अभी तक सुनील दत्त, अशोक कुमार, मनोज कुमार, शम्मी कपूर, राजेश खन्ना उत्तम कुमार आदि सभी अच्छे अभिनेताओं के साथ काम किया है। मेरे साथ सबने ही अच्छा काम किया और पूर्ण सहयोग दिया। इसलिए मेरे लिए सभी अच्छे हैं और सब ही मुझें अच्छे लगते हैं।“ शक्ति दा ने कूटनीति पूर्ण उत्तर दिया।