मायापुरी अंक 19.1975
भारतीय निर्माताओं में सबसे अधिक झगड़ालू और नोटिसबाज निर्माता के तौर पर जो ‘नाम’ वीरेन्द्र सिन्हा ने कमाया है वह और किसी भी निर्माता को नही मिला। उन्होंने अपनी नई फिल्म ‘जहरीला इंसान’ का बिजनेस करते समय मुंबई के साथ अन्य दो वितरकों को भी डिलिवरी देने के लिए कहा था। किन्तु वह ऐसा न कर सके। बल्कि उन्होंने पिक्चर की प्राइस बढ़ाने का चक्कर चला दिया। ‘बॉबी’ के पश्चात ऋषि की ‘जहरीला इंसान’ पहली फिल्म है। और प्राइस भी बढ़वाली। लेकिन कलाकारों के पैसे पूरे नही दिये इस पर प्राण ने अपने वसूलने के लिए इंजेक्शन ले लिया। और फिल्म 20 दिसम्बर को रिलाज न हो सकी। अब 3 जनवरी 74 की बात चली तो वितरकों ने सिर उभारा लेकिन ‘जहरीले’ निर्माता ने ऐसा वार किया कि लाठी भी न टूटी और सांप भी मर गया। उन्होंने अपनी फिल्म के पहले दिन के शो चैरिटी प्रीमियर के लिए दे दिये। नेक काम में कौन आदमी विघ्न डालेगा। चैरिटी प्रीमियर के साथ ही फिल्म रिलीज हो गई।