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कशिका कपूर की डेब्यू फिल्म 'आयुष्मती गीता मैट्रिक पास' ने ग्रामीण इलाकों में दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाला है, विशेष रूप से 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान से जुड़े संदेश के माध्यम से।
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फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है और यह लड़कियों की शिक्षा के महत्व और शिक्षा से जुड़े मुद्दों को उजागर करती है।
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उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण इलाके में एक परिवार ने फिल्म देखने के बाद अपनी बहू को कॉलेज भेजने का फैसला किया, जिससे महिलाओं की शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता का महत्व उजागर हुआ।
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कशिका कपूर ने इस कहानी से प्रेरित होकर गर्व और आभार व्यक्त किया, क्योंकि उनका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की शिक्षा का समर्थन करने के लिए प्रेरित करना था।
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अभिनेत्री का कहना है कि उनका हमेशा से उद्देश्य प्रेरित करना रहा है, और वह उम्मीद करती हैं कि और भी परिवार अपनी बेटियों और बहुओं की शिक्षा को प्राथमिकता देंगे।
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'आयुष्मती गीता मैट्रिक पास' एक ग्रामीण पृष्ठभूमि की युवा लड़की की कहानी है, जो समाजिक दबावों के बावजूद शिक्षा के लिए संघर्ष करती है।
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फिल्म महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के महत्व को दर्शाती है, जिससे कई परिवार पारंपरिक बाधाओं को तोड़ने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
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कशिका कपूर द्वारा निभाई गई गीता की भूमिका ने फिल्म को कई परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बना दिया है, जो महिलाओं की शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित कर रही है।
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