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सोनाली बेंद्रे ने कैंसर के समय अपने अनुभवों को याद करते हुए बताया कि उन्हें पहली बार डॉक्टर के पास जाने पर पता चला कि वह कैंसर से पीड़ित हैं।
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उन्हें यह भी याद आया कि जिन्दा रहने की केवल 30 प्रतिशत संभावना थी, लेकिन उन्होंने लड़ाई शुरू की और इस मुश्किल समय में अपने परिवार के साथ खड़े रहने का निर्णय लिया।
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सोनाली ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर है, तो उन्हें चौंकाने की जगह पर उन्हें धीरे-धीरे इस बात को स्वीकार करना पड़ा।
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उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी बीमारी के बारे में सच्चाई से निपटने के लिए अपने आप को ध्यान केंद्रित करना पड़ा।
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सोनाली ने कहा कि उन्हें अपने परिवार के साथ खड़ा रहकर उन्हें अपनी शक्ति और सामर्थ्य को बढ़ावा देने की आवश्यकता थी।
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उन्होंने बताया कि उन्हें कैंसर के बाद अपने जीवन की प्राथमिकताओं को पहचानने की जरूरत थी और ध्यान देने की आवश्यकता थी।
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सोनाली ने बताया कि उन्हें अपने बच्चे को छोड़कर देश से बाहर जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने परिवार का साथ दिया और इस मुश्किल समय में उन्हें समर्थन दिया।
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सोनाली ने बताया कि उन्हें डॉक्टर के सामर्थ्य पर विश्वास था और उन्होंने उनके साथ सहयोग किय
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