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बॉलीवुड अभिनेत्री राधिका मदान ने विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं के जरिए अभिनय में अपनी बहुमुखी प्रतिभा को साबित किया है।
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महाराष्ट्र दिवस पर, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने राधिका को उनकी फिल्मों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया।
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राधिका ने 'पटाखा' फिल्म के लिए राजस्थानी बोली सीखी और ग्रामीण राजस्थान की एक युवती का किरदार निभाया।
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'सरफिरा' फिल्म के लिए उन्होंने मराठी भाषा और संस्कृति की बारीकियों को समझा और इसे बखूबी निभाया।
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'सास बहू और फ्लेमिंगो' में उन्होंने फिर से राजस्थानी बोली का उपयोग किया, जिससे उनकी भाषाई क्षमता की पुष्टि हुई।
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नेटफ्लिक्स सीरीज़ 'रे' के लिए उन्होंने भोजपुरी बोली सीखी, जिससे उनके अभिनय में और यथार्थवाद आया।
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'मर्द को दर्द नहीं होता' फिल्म के लिए राधिका ने एक साल तक मार्शल आर्ट का कठोर प्रशिक्षण लिया और बिना बॉडी डबल के एक्शन सीक्वेंस किए।
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'काचे लिम्बू' फिल्म में उन्होंने क्रिकेट खेलना सीखा और व्यापक प्रशिक्षण लिया ताकि एक क्रिकेटर का किरदार सजीव लगे।
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'शिद्दत' फिल्म के लिए उन्होंने तैराकी में महारत हासिल की और जटिल जल दृश्यों को निभाया।
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राधिका मदान की अभिनय यात्रा उनके समर्पण और नई चुनौतियों को स्वीकारने की इच्छा से भरी हुई है।
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