मनोज बाजपेयी इन दिनों अपनी होम-प्रोड्यूस्ड फिल्म भैया जी के लिए खूब तारीफें बटोर रहे हैं. अपने अभिनय करियर के दौरान, अभिनेता ने सिनेमा की विभिन्न विधाओं में काम किया है. हाल ही में सुशांत सिन्हा के साथ उनके यूट्यूब चैनल पर एक इंटरव्यू में , मनोज ने बॉलीवुड में मादक द्रव्यों के सेवन और तलाक के मुद्दों पर चर्चा की.
बाजपेयी ने बॉलीवुड में तलाक पर प्रतिक्रिया दी
भैया जी एक्टर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “सबसे पहले इसे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री कहते हैं. यह बहुत छोटी इंडस्ट्री है. इस छोटी इंडस्ट्री में बहुत से लोगों को नौकरी की जरूरत है. अगर इंडस्ट्री के किसी कोने में कोई गलत काम करते हुए पकड़ा जाता है तो इससे कुछ साबित नहीं होता. मैं और मेरे दोस्त या को-स्टार भी इसी इंडस्ट्री से ताल्लुक रखते हैं और मैं बता सकता हूं कि उनमें से 95% लोग न केवल अपनी फिल्मों के लिए बल्कि अपने परिवार और प्रियजनों के लिए भी बहुत भावुक और ईमानदार हैं. यहां-वहां की कुछ घटनाएं यह साबित नहीं कर सकतीं कि पूरी इंडस्ट्री ऐसी ही है. आज की तारीख में अगर आप तीस हजारी कोर्ट में जाकर तलाक की दर के बारे में पूछें तो आपको पता चलेगा कि हम आज कहां पहुंच गए हैं, जहां हर दिन रिश्ते और शादियां टूट रही हैं. हमारे समाज ने एकल परिवार की प्रवृत्ति को अपनाया और इसके फायदे भी हैं, लेकिन एकल परिवार की प्रवृत्ति ने जो नुकसान पहुंचाया है, उसे आप आज अदालतों में देख सकते हैं.”
मनोज बाजपेयी ने कहा, फिल्म इंडस्ट्री खुले विचारों वाला है
उन्होंने आगे कहा, "तो क्या इंडस्ट्री समाज का हिस्सा नहीं है? जो लोग एक ही समाज से जुड़े हैं, वे इंडस्ट्री का हिस्सा हैं. जब लोग एक ही समाज से जुड़े हैं, तो जाहिर सी बात है कि समाज में जो बदलाव हुआ है, उसका असर इंडस्ट्री पर भी दिखेगा. पहले इसी इंडस्ट्री में इतने तलाक नहीं होते थे, जितने आज हैं. इंडस्ट्री बहुत खुले विचारों वाली है, जो काफी अच्छी बात है. क्रिएटिव लोगों को खुले विचारों वाला होना पड़ेगा."
मनोज बाजपेयी के बारे में
मनोज ने अपने अभिनय की शुरुआत शिकस्त नामक एक टेलीविजन धारावाहिक से की थी. बाद में उन्होंने शेखर कपूर की बैंडिट क्वीन से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की और लोकप्रिय टेलीविजन श्रृंखला स्वाभिमान में भी काम किया. सत्या, कौन, शूल, जुबैदा, अक्स, पिंजर, वीर-ज़ारा और 1971 में उनके काम ने उन्हें आलोचकों की प्रशंसा दिलाई. बाद में मनोज ने राजनीति, आरक्षण, चटगाँव, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर सीरीज़, अलीगढ़, अय्यारी, बागी 2, सोनचिरैया, गुलमोहर और सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है, जोरम और साइलेंस 2 जैसी फ़िल्मों में अभिनय करके व्यावसायिक और कलात्मक सिनेमा के बीच संतुलन बनाया. उन्होंने द फ़ैमिली मैन और किलर सूप जैसे ओटीटी शो में भी काम किया.
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