सोशल मीडिया एक सशक्त प्लेटफार्म है।पर जरुरत है इसका सही ढंग से इस्तेमाल करने की।सोशल मीडिया के ही प्लेटफार्म ‘फेसबुक’की ही वजह से अपर्णा दीक्षित को टीवी सीरियल में अभिनय करने का आफर मिला और आज उनकी गिनती एक चर्चित अभिनेत्री के रूप में होती है।‘‘पवित्र रिश्ता’’से अब तक वह दस से अधिक सीरियलों में अभिनय कर अपनी अभिनय प्रतिभा का परचम लहरा चुकी हैं।इन दिनों वह ‘‘दंगल’’टीवी सोमवार से शुक्रवार शाम सात बजे प्रसारित हो रहे सीरियल‘‘‘प्यार की लुका छुपी’’’’में सृष्टि के किरदार में नजर आ रही हैं।
-मैं आगरा की रहने वाली हूं।मेरे घर में कला या सिनेमा या अभिनय का कोई माहौल नहीं है।मगर मुझे बचपन से नृत्य व संगीत का शौक रहा है।फुल आफ लाइफ जीने की आदत रही है.मगर मैने कभी नही सोचा था कि मैं आगे चलकर अभिनेत्री बनूंगी।हमेशा बड़बड़ करते रहने का मेरा व्यक्तित्व रहा है।
तो फिर अभिनय की तरफ मुड़ना कैसे हुआ?
-जब मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में फिजिक्स ऑनर्स की पढ़ाई कर रही थी।उसी दौरान किसी ने मुझे फेसबुक पर देखा था,तो उन्होने मुझे फोन किया कि वह ‘बालाजी प्रोडक्षन हाउस’ के एक नए सीरियल के लिए दिल्ली में ही ऑडिशन कर रहे हैं,और मैं भी ऑडिशन दे दॅूं।पहले तो मुझे यकीन नही हुआ,पर उन्होने कई बार फोन किया,तब मैं अपनी एक सहेली के साथ ऑडिशन देेने गयी। वहां पर मेरा चयन हो गया और मुझे मुंबई बुलाया गया।
तब मैने अपने माता पिता से बात की और अपनी मम्मी के साथ मुंबईआयी थी।उसकी कुछ दिन शूटिंग हुई,पर वह सीरियल कभी प्रसारित ही नहीं हुआ।तो मैं वापस दिल्ली चली गयी और अपनी पढ़ाई पूरी की।उसके बाद मैं पुनः मुंबई वापस आयी।क्योंकि मुझे अंदर से आभास होने लगा कि जब मुझे एक बार मुंबई ने बुलाया है,तो जरुर कुछ अच्छा होगा।इसलिए मुझे कोशिश करनी चाहिए।
जब मैं दुबारा मुंबईआयी तो मैने आते ही उन्ही को सूचित किया था कि मैं मुंबई आ गयी हूं और मैं सीरियल में अभिनय करना चाहूंगी, जिन्होने पहली बार दिल्ली में मेरा ऑडिशन लिया था।यह टीम ‘बालाजी टेलीफिल्मस’के सीरियलों के लिए ही ऑडिशन लेती थी।मुंबई पहुॅचने के पंद्रह दिनों के अंदर ही मुझे सीरियल‘‘पवित्र रिश्ता’’में अभिनय करने का अवसर मिल गया।उसके बाद मैने ‘बालाजी’के कई सीरियलों सहित अब तक दस सीरियलों में अभिनय कर चुकी हूं।
आपके कैरियर के टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे?
-मेेरे कैरियर में सबसे बड़ा टर्निंग प्वांइट्स तो मुंबई पहुॅचने के पंद्रह दिन के अंदर ‘बालाजी टेली फिल्मस’ के सीरियल‘‘पवित्र रिश्ता’को करने का अवसर मिलना ही रहा।उसके बाद मैने लगातार पांच सीरियल ‘बालाजी टेलीफिल्मस’के ही किए हैं।अन्यथा लोगों को लंबे संघर्ष के बाद ही इस तरह का बड़ा सीरियल करने का मौका मिलता है। मेरा दूसरा टर्निंग प्वाइंट रहा सीरियल ‘‘कलश’’.इस सीरियल की वजह से मुझे जबरदस्त शोहरत मिली,पहचान मिली।इसमें मुझे चुनौती पूर्ण किरदार निभाने का भी मौका मिला।
अब तक के दस सीरियलों में से किसका कौन सा किरदार सर्वाधिक कठिन या चुनौतीपूर्ण रहा?
-यॅूं तो मैने हर सीरियल में नारी प्रधान,सषक्त व चुनौतीपूर्ण किरदार ही निभाए हैं।मगर मेरा पसंदीदा किरदार तो सीरियल ‘कलश’का ही रहा।इसमें मैने देविका और अंबिका यह दो किरदार निभाए हैं।इसमें किरदार का ट्रांसफॉर्मेशन होता है.किस तरह एक भोली भाली लड़की की मौत कैसे होती है और मरने के बाद जब वापस आती है,तो पूरा लुक बदल जाता है।वह नगेटिब तो नही होता है,मगर बहुत ज्यादा पुजारी भी नहीं होता है।अब ‘‘‘प्यार की लुका छुपी’’’में भी अच्छा किरदार निभा रही हॅूं।
सीरियल‘‘‘प्यार की लुका छुपी’’से आपका जुड़ना कैसे संभव हुआ?
-जब मेरे पास इस सीरियल का आफर आया,तो मैने इसके सृष्टि के किरदार के साथ काफी रिलेट किया।मुझे लगा कि सृष्टि तो उसी तरह की लड़की है,जिस तरह की लड़कियां उत्तर भारत में होती हैं।वह पढ़ी लिखी होती हैं,मगर बहुत ज्यादा मुँहफट और आउट गोइंग नहीं होती हैं।उन्हे ज्ञान होता है।वह अपने रिश्तों में सामंजस्य बैठाना जानती हैं।उनके लिए अपना प्यार,अपने रिश्ते बहुत अहमियत रखते हैं।मैं खुद आगरा से हूं,तो मुझे पता है कि छोटे शहर की लड़कियां ऐसी ही होती हैं।तो मैं रिलेट कर रही थी।इसके अलावा कहानी भी अच्छी,रोचक व रीयल है।इस कहानी से हर इंसान रिलेट कर सकता है,इसलिए मैने तुरंत हाॅं कह दिया था।
आपके अनुसार सृष्टि क्या है?
-हर औरत को यह समझना बहुत जरुरी है कि उन्हे किस हद तक क्या सहन करना है।और सृष्टि को इस बात की समझ है कि उसे क्या सहन करना है और क्या नही करना है।अक्सर लड़कियां काफी कुछ यह सोचकर सहन करती रहती हैं कि रिश्ते खराब न हो।प्यार खराब न हो।इस चक्कर में हम काफी त्याग करते रहते है।काफी कुछ सहन करते रहते हैं।पर एक मुकाम पर आपको यह अहसास करना पड़ता है कि यह गलत है,इस पर रोक लगानी ही पड़ेगी।अपनी सेल्फ रिरूपेक्ट/ आत्मसम्मान के लिए खड़ा होना ही पड़ेगा।तो सृष्टि से मैने सीखा कि प्रोफेशनल और पर्सनल जिंदगी के बीच सामंजस्य का होना बहुत जरुरी है।
लाॅक डाउन में छूट मिलने के बाद सबसे पहले आपके ही सीरियल ‘प्यार की लुका छुपी’’ की शूटिंग शुरू हुई.आपके मन में कितना डर था?आप कितनी तैयारी करके सेट पर पहुॅची?सेट पर किस तरह की तैयारी निर्माता की तरफ से की गयी थी?
-लाॅक डाउन में छूट मिलने पर शूटिंग करने के लिए हम सभी एक्साइटेड और नर्वस दोनों ही थे।अब तक पूरे विश्व में किसी की भी जिंदगी में कोरोना महामारी की वजह से लाॅक डाउन में इस तरह घर के अंदर कैद होने व कोरोना के चलते डर का सामना करने जैसा बुरा वक्त नही आया था। हकीकत यह है कि किसी को नही पता कि ‘कोरोना’से निपटने का वास्तव में सही तरीका क्या है?अब तक इसकी कोई दवा नही आयी है।जहां तक शूटिंग का सवाल है,तो आप भी जानते हैं कि हम लोग बहुत ही अलग परिस्थितियों में शूटिंग करते हैं।मैं तीन माह से घर के अंदर ही कैद थी,इसलिए पुनः सेट पर जाने और शूटिंग शुरू करने का मुझे एक्साइटमेंट था,पर नर्वसनेस भी थी.चिंता व डर भी था।
जब मैं सेट पर पहुॅची तो मैने पाया कि वहां पर निर्माता की तरफ से सुरक्षा के सभी उपाय किए गए थे।गाइड लाइन्स का अक्षरशः पालन किया जा रहा था।क्रू मेंबर ने पीपीई किट पहन रखी थी। मास्क लगाए हुए थे।सेट के गेट पर ही सेनेटाइजर रखा हुआ था।सभी के षरीर का तापमान बार बार लिया जा रहा था।मेरा मेकअप करते और बालों को ठीक करते हुए हेअर ड्रेसर ने भी मुझे छुआ नहीं।सभी लोग दूरी बनाकर चल रहे थे।तो सेट पर पूरे दिन जिस तरह से गाइड लाइन्स का पालन किया जा रहा था।जिस तरह से सुरक्षा के उपाय किए गए थे,जिस तरह से साफ सफाई का ध्यान रखा जा रहा था,उससे शाम होते होते मेरे अंदर का डर व चिंता खत्म हो गयी।
वर्तमान परिस्थितियों में हम जितने भी उपाय कर सकते हैं,उन सभी उपायों को अमल में ला रहे हैं।काम तो करना ही है।दूसरी बात हम कलाकारों का काम ऐसा है कि ‘वर्क फ्राम होम’ नहीं हो सकता।हमें सेट पर जाकर ही षूटिंग करनी पड़ेगी।मुझे खुशी है कि मेरी शूटिग शुरू हो गयी है और मैं अपने अभिनय से इस सीरियल के सृष्टि के किरदार को संवार रही हूं।
इस सीरियल में राहुल शर्मा और एलन कपूर के संग काम करने के क्या अनुभव हैं?
-राहुल शर्मा के साथ काम करना बहुत अच्छा लग रहा है।हमने लाॅक डाउन से पहले दो माह तक शूटिंग की थी।लाॅक डाउन में छूट मिलने पर हम 25 जून से लगातार एक साथ शूटिंग कर रहे हैं।हम काफी इंज्वाॅय कर रहे हैं।वह मेरा दोस्त बन गए हैं।वह राजस्थान के छोटे षहर दौसा से और मैं उत्तर प्रदेष के छोटे षहर आगरा से हूं,तो हम दोनों की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी लगभग एक जैसी है।मैं खाने की बहुत शौकीन हूँ ।हम दोनों शाकाहारी हैं,इसलिए खाने को लेकर भी हमारी अच्छी बाॅंडिंग है।सह कलाकार के तौर पर हम दोनो सहयोगी हैं।सेट पर हम दोनों के बीच इतना अच्छा सामंजस्य है कि हम दोनों हर दृश्य को इस तरह से कर जाते हैं कि पता ही नहीं चलता।जबकि एलन कपूर भी आगरा से ही है,इसलिए हमारे काॅमन दोस्त काफी है।हम पहले भी मिल चुके हैं।
सीरियल‘प्यार की लुका छुपी’’में शादी के बाद पति पत्नी के बीच आने वाली समस्याओं को लेकर भी बात की गयी हैे।बचपन से अब तक आपने अपनी निजी जिंदगी में बहुत कुछ देखा सुना होगा।उसमें से इस सीरियल को करते समय आप कितना रिलेट कर पा रही हैं?
-मैने पहले ही कहा कि इस सीरियल को करने के लिए मेरे हामी भरने के पीछे यही मूल वजह रही।जब मुझे इसका काॅंसेप्ट बताया गया और जब मैने इसके कुछ दृश्य पढ़े तो इसमें वही छोटी छोटी समस्याएं नजर आयीं,जो कि हर छोटे शहर के मध्यमवर्गीय परिवार के अंदर आए दिन आती रहती हैं।देखिए,मध्यमवर्गीय छोटे परिवार के लोेग बड़ी व्यावसायिक समस्याओं का सामना नहीं करता है।वह घर गृहस्थी, पैसे,रिश्तों की छोटी छोटी समस्याओं का ही सामना करता रहता है.और यह सारी समस्याएं इस सीरियल में इतनी रीयल हैं,कि इन्हे मेरे लिए समझना आसान था।क्योंकि मैं भी छोटे शहर के मध्यमवर्गीय परिवार से हॅूं और मैं बचपन से बड़े होने तक अपने आस पास, पड़ोस के लोगों में यह सारी समस्याएं देखी हैं।इसलिए में हर दृश्य के संग रिलेट कर पा रही हॅूं।मैं अपने इस सीरियल के लेखकों का धन्यवाद अदा करना चाहूंगी,जिन्होने इतने वास्तविक दृश्य लिखे हैं।
लाॅक डाउन के वक्त तीन माह कैसे बिताया?
-मैं हमेशा घर से बाहर रही हूं।पहले खाना बनाने में रूचि नही रही।मुझे खाना बनाना नही आता था।तो लाॅक डाउन में मुझे खाना बनाना सीखना पड़ा।इसके लिए मैं लाॅक डाउन की आभारी हूं।लाॅक डाउन की वजह से अब मैं अच्छा खाना पका सकती हूं।
आपके शौक क्या हैं?
-मुझे नृत्य करना और संगीत सुनना बहुत पसंद है।लाॅक डाउन के दिनों में नया शौक खाना पकाना बन गया है।इस दौरान मैंने कई नए तरह के व्यंजन बनाना सीख लिया। मैने कभी सोचा ही नहीं था कि यह मेरा शौक बन जाएगा।हमें नहीं पता होता कि वक्त हमें कब क्या सिखा देता है।
किस तरह का संगीत सुनना पसंद करती हैं?
-मुझे हिंदी के पुराने गाने सुनने का बहुत षौक है।लता मंगेशकर,किशोर कुमार के गाने सुनना और उन्हे गुनगुनाना पसंद है।मेरी राय में संगीत बहुत अच्छा साथी है।जब आप अकेले होते हैं,उस वक्त संगीत सबसे बड़ा कम्पेनियन साबित होता है।
आपने कभी कुछ लिखने की बात नहीं सोची?
-मैं खुद को बहुत अच्छी लेखक नहीं मानती।पर जब वक्त मिलता है, तो मैं अपने मन की भावनाओं को कागज पर जरुर उतारती हूं।मैं हिंदी में ही लिखती हॅूं।
आपने अभी तक फिल्मों से दूरी बनाकर रखा हुआ है?
-जिंदगी में संतुष्टि बहुत जरुरी है।मुझे लगता है कि मैं आज जहां हूं,ठीक हूं.जहां सफलता व शोहरत मिल रही है,उसे छोड़कर कुछ और पाने की लालसा नहीं करनी चाहिए।अभी मैं टीवी पर ही बेहतर देना चाहती हूं।मैं अपने सीरियल‘‘प्यार की लुका चुप्पी’को अपनी तरफ से बेहतर देना चाहती हूं.मुझे फिल्मों से एलर्जी नहीं है,जब मौका मिलेगा,तब वह भी कर लेंगे.पर आज टीवी को छोड़कर उस तरफ बढ़ने की नहीं सोच रही।
कोई ऐसा किरदार है,जिसे आप निभाना चाहती हों?
-मुझे संजय लीला भंसाली की फिल्में बहुत पसंद है।फिल्म‘‘हम दिल दे चुके सनम’’मे ऐश्वर्या राय बच्चन ने नंदिनी का जो किरदार निभाया,उसे निभाना चाहूंगी।‘‘रामलीला’में दीपिका पादुकोण ने जिस किरदार को निभाया,वह भी पसंद है,उसे भी निभाना चाहूंगी। टीवी पर जेनीफर विंजेट का काम बहुत पसंद आता है।
सोशल मीडिया पर आप कितना सक्रिय रहती हैं?
-मैं बहुत ज्यादा सक्रिय रहती हूं।मेरी राय में हर कलाकार को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना चाहिए,इससे कलाकार का अपने दर्शक के साथ सीधे संबंध बनता है,जुड़ाव होता है।कलाकार सोशल मीडिया के माध्यम से पता कर सकता है कि उसका सीरियल लोगों तक पहुॅच रहा है या नहीं,उनका काम लोगों को कितना पसंद आ रहा है।मैं सोशल मीडिया पर अपने सीरियल की जानकारी देती हूं,उनसे पूछती हूं कि उन्हे पसंद आ रहा है या नही।.मैं उन्हे अपने बारे में बताती हूं.पर सोशल मीडिया की लत नही है।
शान्तिस्वरुप त्रिपाठी