मायापुरी अंक 01.1974
उस दिन जब राजकमल स्टूडियो में पहुंचे तो ऋषिकपूर से मुलाकात हो गई। ऋषिकपूर बहुत ही हंसमुख है और साफ-साफ तथा दो टूक बातें करने में विश्वास रखते है। ‘बॉबी’ फिल्म की अभूतपूर्व सफलता के बाद ऋषि बहुत अधिक व्यस्त हो गए है और उन्हें दो-दो तथा तीन-तीन शिफ्टों में काम करना पड़ता है। मैंने ऋषिकपूर से पूछा, आप दिन प्रतिदिन इतने व्यस्त होते जा रहे है, क्या इससे आपकी सेहत और काम पर प्रभाव नही पड़ता ?
जरूर पड़ता है। मगर अब यह कोशिश कर रहा हूं कि ज्यादा फिल्में न लूं ज्यादा भीड़ में आदमी खोकर रह जाता है और स्तर स्थापित नही कर पाता। मेरा प्रत्यन हमेशा यह रहता है कि मैं कहानी सुन कर फिल्म में काम करने का निर्णय करता हूं।
यह तो बहुत अच्छी बात है। युवा पीढ़ी के प्रतीक नायक से हमें ऐसी ही आशा है। मैंने कहा, मगर क्या आप बतायेंगे कि ये रोमांस के चक्कर जो आए दिन आपके साथ जुड़ते जा रहे है उनमें कहां तक सच्चाई है?
सच्चाई कुछ भी नही है जी। रोमांस के लिए समय ही कहां मिलता है। मेरा दीन, ईमान और पूजा सभी कुछ काम है। यों गलत बातें करने वालों को कोई कह भी क्या सकता है? जब रीता भादुड़ी मेरे बारे में न जाने क्या-क्या कहती फिरती है। उन्होंने लोगों से कहां है कि मैंने उन्हें फिल्म से निकलवा दिया है। मैं भला ऐसा क्यों करूंगा? झूठी बातें फैला कर गलत ढंग से पब्लिसिटी प्राप्त करना मेरी समझ से बाहर है।
मगर इसमें कुछ तो सच्चाई होनी चाहिए। क्या आपने इस बारे में रीता भादुड़ी से पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रही है? मैंने ऋषिकपूर की आंखो में झांकते हुए कहा।
मैंने उन्हें कई बार बुलाया। संदेश भिजवाए मगर वह नही आई। झूठ तो आखिर झूठ ही होता है ना? मैं आपसे अपनी रोजी-रोटी और मरे हुए दादा की कसम खाकर कहता हूं कि मैंने ऐसा नही किया। ऋषिकपूर आवेश में आ गये थे।
‘मायापुरी’ में आप कलाकारों की कला की समीक्षा करे। सही बातें लिखें और कोशिश करें कि पत्रिका युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करे। पाठकों के मनोरंजन का भी ध्यान रखें मगर मनोरंजन सस्ता न होकर परिष्कृत रुचि का परिचायक होना चाहिए। ऋषि ने ‘मायापुरी’ के प्रति अपनी शुभकामनाएं प्रकट करते हुए कहा।