मायापुरी अंक 17.1975
नेता की तरह अभिनेता की भी सिक्युरिटी जरूरी है। कोई मानें या न मानें शत्रुघ्न सिन्हा जैसे बाकी अभिनेताओं को भी इसकी जरूरत हो जाती है। यदि ऐसा नही होता तो शायद वे पिछले दिनों सन एण्ड सैंड होटल में आयोजित अपनी बर्थडे पार्टी के मौके पर कुछ सफेदपोश गुन्डे न लाते। कहते हैं कुछ लोग बाकायदा चाकू से लैस होकर आये थे और वे फिल्मी दुनिया के खास लोगों पर नज़र रखे हुए थे। पर उस पार्टी मे ऐसा तो कुछ भी वाकिया नही हुआ बल्कि फिल्मी दुनिया की बड़ी-बड़ी हस्तियों नें जिन्हें शत्रुघ्न सिन्हा हमेशा अपने विरोधी मानते हैं, उन्हें गले लगाया और प्यार किया।
पर हां कुछ लोग शत्रु से जरूर डरते हैं। सुनते हैं मुंबई से हाल ही में प्रकाशित एक मासिक पत्रिका के एक सहयोगी ने पुलिस को सूचित किया है कि उसे डर है कि शत्रुघ्न सिन्हा के चमचे उसकी पिटाई न कर दें कारण यह कि उन्हौंने उस पत्रिका में उनके खिलाफ ‘शत्रुघ्न सिन्हा’ सारे जहां का दर्द’ शीर्षक से एक लेख छपवाया है। हमें उस सहयोगी से सहानुभूति है क्योंकि कुछ ही दिनों पहले वह खुद शत्रुघ्न सिन्हा की कैबिनेट का सदस्य थे। राजनीति की तरह फिल्मों में भी आयाराम-गया-राम तो चलता ही है।