लिपिका वर्मा
सोनाक्षी सिन्हा को हमेशा से ही एक्शन फिल्म करने का शौक रहा है। उन्होंने जितनी भी फ़िल्में की है उनमें अच्छे खासे फाइट सीन्स रहे है। सबसे पहली फिल्म, “दबंग” सलमान खान के साथ तो हम सभी को याद भी है, और फिर शाहिद कपूर के साथ फिल्म, “आर राजकुमार” प्रभूदेवा के निर्देशन में बानी आउट एंड आउट एक्शन फिल्म ही तो है। खेर अब सोनाक्षी खुद एक्शन फिल्म, “अकीरा” – ए.आर मुरूगुदास के निर्देशन में बनी फिल्म में बतौर एक्शन हीरोइन दिखाई देने वाली है। और इस बात का सोनाक्षी को बेसब्री स इंतज़ार था। “जी हाँ! जब भी अपनी फिल्मों में हीरोज को एक्शन करते देखती तो मुझे बहुत ही आनंद मिलता। और धीरे धीरे मेरे अंदर भी यही भावना आने लगी कि मैं भी कोई फुलटू, “एक्शन फिल्म करूँ। “अकीरा” फिल्म में सबकी पिटाई करने में, मैंने बहुत ही आनंद लूटा है। और लोगों से ट्रेलर देखने के बाद अपनी प्रशंसा सुन ख़ुशी हुई है। लगता है फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपना जलवा जरूर दिखलाएगी”
पेश है सोनाक्षी के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत कुछ अंश –
फिल्म “अकीरा” टाइटल का क्या तातपर्य है?
यह एक सुशील लड़की है किन्तु बलवान भी – सो अकीरा का मतलब है – इनायत से बलवान – यह संस्कृत के शब्दावली से लिया गया शब्द है। सो मेरा किरदार इस लड़की का बेहद इनायती स्वभाव तो दिखलाता ही है किन्तु साथ ही वह बहुत ही बलवान भी है। जिन हालात से गुजर कर वह अपने आपको बेहतरीन तौर से संभालती है और दुनिया को यह दिखलाती है कि -आज की लड़की किसी भी प्रकार से कमजोर नहीं है, यह फिल्म की पृष्टभूमि है और निर्देशक मुरूगुदास ने इस कहानी को बहुत उम्दा तरीके से सिल्वर स्क्रीन पर पेश भी किया है।
इस कहानी द्वारा लड़कियों को क्या शिक्षा देना अनिवार्य है ?
कोई भी लड़की किसी भी व्यक्ति के सामने कमजोर नहीं है, मुरूगुदास के निर्देशन में यही खासियत है -कि वह एंटरटेनमेंट के साथ अपनी हर फिल्मों द्वारा लोगों को कोई न कोई अच्छा सन्देश भी दे जाते है। दरअसल में, इस फिल्म से यह तो साबित हो जायेगा कि हर लड़की को अपनी रक्षा खुद ही करनी चाहिए। इसके लिए स्कूलों और कॉलेजेस में बच्चपन, “मार्शल आर्ट्स” इत्यादि की ट्रेनिंग हर लड़की को लेना अनिवार्य कर देना चाहिए। इसके लिए हाल ही में मैंने, ‘एन ऍम कॉलेज’ में भी कई इवेंट्स किये है। ऐसा नहीं है कि-मैं केवल फिल्म, “अकीरा” करने के बाद यह सलाह दे रही हूँ या फिर प्रचार कर रही हूँ। दरअसल में फिल्म, “हॉलिडे” से ही मैंने इस बात का प्रचार करना शुरू कर दिया था। और ऐसा मैं फ्यूचर में भी करुँगी। आज की जो हालात है -लड़कियों की, उसे देखते हुए हर लड़की को अपने आप में सशक्त होना है और हर मुश्किल का सामना कर अपने आप को सुरक्षित रखना है। यही फिल्म “अकीरा” में भी दिखलाया गया है।
इस पुरुष प्रधान समाज ‘जैसे सवाल को लेकर आप क्या कहना चाहेंगी -आज बॉलीवुड में ही नहीं अपितु ओलंपिक्स में भी लड़किया देश का नाम रोशन कर रही है -क्या कहना है आपका?
आज महिला प्रधान फ़िल्में भी जोरों शोरो से बन रही है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि लोग ऐसी फ़िल्में देखना पसन्द कर रहे है। निर्देशक और निर्माता इन फिल्मों को बनाने की मंशा रखते है। मुझे ख़ुशी है कि -आज मैं खुद हीरोइक (वीर रस ) फिल्म कर रही हूँ। एक्शन करना मुझे बेहद पसन्द है। आज का समाज उन्नत समाज है और महिला एवम पुरुषो को समान अधिकार भी मिल रहे है। ओलंपिक्स में जा कर लड़कियों का मैडल जीतना न केवल भारतवर्ष के लिए गर्व का मुद्दा है किन्तु यह जीत इस बात की पुष्टि करती है कि- बेटियाँ भी किसी से काम नहीं है??जाहिर सी बात है महिलाओं के लिए बहुत ही बेहतरीन समय चल रहा है। इस उन्मूलन प्रतिक्रिया को और बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
जिस प्रदेश में भ्रू्णहत्या ज्यादा हो रही है वही के प्रदेश की लड़की ने हमारे देश को गौरवान्वित किया है, जो भ्रूणहत्या करते है उन्हें क्या सलाह देना चाहेंगी ?
लड़की पैदा होना एक बहुत ही अच्छी बात है, हम यह भी तो कहते है “लक्ष्मी” आयी है हमारे घर। बेटियों की हत्या करना बहुत ही बुरी बात है। आज मीडिया की वजह से इन सारी लड़कियों का यश सामने आया है, यह अच्छी बात है कि सारी दुनिया देख रही है भारत वर्ष की बच्चियों ने हम सभी का सर गौरव से ऊँचा कर दिया है। भ्रूण हत्या को अंजाम देनेवालो को मैं क्या सलाह दूँ ?? उनको मार डालना चाहिए। उन्हें किसी भी सलाह की जरूरत नहीं है।
पिता शत्रुघ्न के साथ फिल्म कब तक किजियेगा ?
मैं भी काफी उत्सुक हूँ उनके साथ काम करने हेतु। फिल्म, “अकीरा” में वह मेरे पिता का किरदार करने ही वाले थे किन्तु समय के आभाव से ऐसा नहीं हो पाया। मेरी दिली ख्वाईश है कि कम से कम एक फिल्म अपने पिताजी के साथ कर पाऊँ।
अब एक्शन फिल्म कर रही है कभी पिता के बचाव में किसी को मारना पड़े तो तैयार है आप?
हंस कर सोनाक्षी बोली,” मेरी जरूरत नहीं पड़ेगी उन्हें,वह खुद का बचाव बेहतर कर पाएंगे और करते भी आएं है।